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रंग मंच पर रामायण का चित्रण कर धर्म की अलख जगा रहे ये कलाकार

पिछले कई दशकों से रंगमंच के माध्यम से एक मंडली लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रही है, ये मंडली मध्यप्रदेश सहित पूरे भारत में जगह-जगह जाकर भगवान राम का चरित्र चित्रण कर रंगमंच के माध्यम से लोगों को धर्म के प्रति सचेत कर रही है.

रामलीला का मंचन
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Published : Jul 18, 2019, 3:33 PM IST

छतरपुर। भले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानूनी महाभारत जारी है. पर कलाकारों की एक मंडली रामायण का चित्रण कर लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रही है. पांच दशक से ये मंडली रामलीला का मंचन करती आ रही है, कई कलाकार ऐसे भी हैं जिनकी कई पीढ़ियां रामलीला का मंचन करती रही हैं. देश के कई हिस्सों में शरद ऋतु में भगवान राम सहित रामायण के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण किया जाता है. खासकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर शहरों में रामलीला का मंचन किया जाता है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कला की तारीफ कर चुके हैं.

रामलीला के जरिए रंगमंच की झलक बिखेर रहे कलाकार

पिछले 44 साल से देश के विभिन्न हिस्सों में रामलीला के पात्र का किरदार निभाने वाले सतना निवासी कैलाश मिश्र बताते हैं कि वृंदावन धाम नाम की ये कमेटी रामलीला का मंचन करती है. डिजिटल युग में भी रंग मंच के जरिए धर्म की अलख जगा रहे हैं. रामलीला कमेटी संचालित करने वाले पंडित बृजेश शर्मा बताते हैं कि उनके पहले उनके पिता इस कमेटी को संचालित करते थे, जिसे वो आगे बढ़ा रहे हैं और रंग मंच के माध्यम से लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं. ताकि भावी पीढ़ियों को राम-रावण के बीच का फर्क मालूम हो सके.

रंगमंच के जरिए लोगों को रोजगार भी मिल रहा है इसे संचालित करने वाली संस्था अपने साथ सभी तरह के पौराणिक दृश्यों को जीवंत करने के लिए वेशभूषा-वस्त्र एवं साजो सामान लेकर चलती है. यही वजह है कि रंगमंच का सेट लोगों को बेहद आकर्षित करता है. निश्चित तौर पर रामलीला का मंचन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ ही रंगमंच की कला को बचाये रखने का भी बेहतर, सरल और सस्ता तरीका है

छतरपुर। भले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानूनी महाभारत जारी है. पर कलाकारों की एक मंडली रामायण का चित्रण कर लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रही है. पांच दशक से ये मंडली रामलीला का मंचन करती आ रही है, कई कलाकार ऐसे भी हैं जिनकी कई पीढ़ियां रामलीला का मंचन करती रही हैं. देश के कई हिस्सों में शरद ऋतु में भगवान राम सहित रामायण के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण किया जाता है. खासकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर शहरों में रामलीला का मंचन किया जाता है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कला की तारीफ कर चुके हैं.

रामलीला के जरिए रंगमंच की झलक बिखेर रहे कलाकार

पिछले 44 साल से देश के विभिन्न हिस्सों में रामलीला के पात्र का किरदार निभाने वाले सतना निवासी कैलाश मिश्र बताते हैं कि वृंदावन धाम नाम की ये कमेटी रामलीला का मंचन करती है. डिजिटल युग में भी रंग मंच के जरिए धर्म की अलख जगा रहे हैं. रामलीला कमेटी संचालित करने वाले पंडित बृजेश शर्मा बताते हैं कि उनके पहले उनके पिता इस कमेटी को संचालित करते थे, जिसे वो आगे बढ़ा रहे हैं और रंग मंच के माध्यम से लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं. ताकि भावी पीढ़ियों को राम-रावण के बीच का फर्क मालूम हो सके.

रंगमंच के जरिए लोगों को रोजगार भी मिल रहा है इसे संचालित करने वाली संस्था अपने साथ सभी तरह के पौराणिक दृश्यों को जीवंत करने के लिए वेशभूषा-वस्त्र एवं साजो सामान लेकर चलती है. यही वजह है कि रंगमंच का सेट लोगों को बेहद आकर्षित करता है. निश्चित तौर पर रामलीला का मंचन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ ही रंगमंच की कला को बचाये रखने का भी बेहतर, सरल और सस्ता तरीका है

Intro:छतरपुर! पिछले कई सालों से रंगमंच के माध्यम से एक मंडली लोगों को धर्म के प्रति जगाने का काम कर रही है यह मंडली मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत में जगह-जगह जाकर भगवान राम का चरित्र चित्रण कर रंगमंच के माध्यम से लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रही है!Body:डिजिटल युग मे रंगमंच* डिजिटल युग में रंगमंच भले ही सुनने में कुछ अजीब सा लग रहा होगा लेकिन वृंदावन धाम के रहने वाले बृजेश कुमार अपनी कई पीढ़ियों से रंगमंच के माध्यम से लगातार लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं बृजेश कुमार बताते हैं कि उन्हें यह कार्य करते 50 साल हो गया है और कहा हमारी तीन पीढ़ियां लगातार रंगमंच के माध्यम से भगवान राम का चरित्र चित्रण कर लोगों को धर्म के प्रति जागरूक करती आ रही है!

*राम और रावण में फर्क जरूरी* रंगमंच का काम करने वाले बृजेश कुमार बताते हैं कि वृंदावन धाम में रहते हुए रंगमंच के माध्यम से ही व भगवान राम की सेवा कर रहे हैं उनका कहना है कि अगर हम धर्म का प्रचार नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ी राम और रावण में अंतर नहीं समझ पाएगी!

जरूरी है कि आने वाली पीढ़ी को बेहतर और मनोरंजक तरीके से अपने धर्म की जानकारी दी जाए ताकि आने वाली युवा पीढ़ी ना सिर्फ अपने धर्म के प्रति आदर भाव रखे बल्कि सभी का सम्मान भी करें!

*बिना किसी शासकीय आर्थिक मदत के चलता है रंगमंच*


बृजेश कुमार बताते हैं कि उनके रंगमंच में लगभग 25 से 30 लोग काम करते हैं उन्हें इस बात की खुशी है कि वह इसके माध्यम से लोगों को न सिर्फ रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं बल्कि उनके परिवार का भरण पोषण भी कर रहे हैं हालांकि उन्हें इस बात का दुख भी है कि सरकार की तरफ से रंगमंच जैसे बेहतर माध्यमों को कोई आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है! अगर सरकार इस ओर ध्यान दें तो रंगमंच जैसे मध्यम और भी बेहतर हो सकते हैं!

*बेहतर कलाकार रामायण चरित्रों बना देते है जीवंत*

यह रंगमंच की मंडली छोटे-छोटे गांव में भी जाकर भगवान राम का चरित्र चित्रण देहाती प्रभावशाली ढंग से करती है कलाकार अपने चरित्र में इतने खो जाते हैं कि देखने वालों को लगता है मानो सामने साक्षात रामायण चल रही हो!

इतना ही नहीं जिस भी गांव में रंगमंच करने पहुंचते हैं वहां सैकड़ों की संख्या में लोग उनकी कलाकारी देखने के लिए पहुंच जाते हैं देर रात तक लोगों का हुजूम लगा रहता है और तालियों की गड़गड़ाहट उन्हें प्रोत्साहन देती रहती है!

बाइट- पंडित श्री बृजेश शर्मा
बाइट- पंडित कैलाश प्रसाद मिश्रा
Conclusion:रंगमंच संचालित करने वाली संस्था अपने साथ सभी तरह के पौराणिक दृश्यों को जीवंत करने के लिए वेशभूषा वस्त्र एवं साजो सामान लेकर चलती है! इस रंगमंच का जहां पर भी सेट लगता है तो लोगों को ऐसा लगता है कि मानो किसी पौराणिक फिल्म की शूटिंग चल रही हो!
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