छतरपुर। भले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानूनी महाभारत जारी है. पर कलाकारों की एक मंडली रामायण का चित्रण कर लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रही है. पांच दशक से ये मंडली रामलीला का मंचन करती आ रही है, कई कलाकार ऐसे भी हैं जिनकी कई पीढ़ियां रामलीला का मंचन करती रही हैं. देश के कई हिस्सों में शरद ऋतु में भगवान राम सहित रामायण के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण किया जाता है. खासकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर शहरों में रामलीला का मंचन किया जाता है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कला की तारीफ कर चुके हैं.
पिछले 44 साल से देश के विभिन्न हिस्सों में रामलीला के पात्र का किरदार निभाने वाले सतना निवासी कैलाश मिश्र बताते हैं कि वृंदावन धाम नाम की ये कमेटी रामलीला का मंचन करती है. डिजिटल युग में भी रंग मंच के जरिए धर्म की अलख जगा रहे हैं. रामलीला कमेटी संचालित करने वाले पंडित बृजेश शर्मा बताते हैं कि उनके पहले उनके पिता इस कमेटी को संचालित करते थे, जिसे वो आगे बढ़ा रहे हैं और रंग मंच के माध्यम से लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं. ताकि भावी पीढ़ियों को राम-रावण के बीच का फर्क मालूम हो सके.
रंगमंच के जरिए लोगों को रोजगार भी मिल रहा है इसे संचालित करने वाली संस्था अपने साथ सभी तरह के पौराणिक दृश्यों को जीवंत करने के लिए वेशभूषा-वस्त्र एवं साजो सामान लेकर चलती है. यही वजह है कि रंगमंच का सेट लोगों को बेहद आकर्षित करता है. निश्चित तौर पर रामलीला का मंचन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ ही रंगमंच की कला को बचाये रखने का भी बेहतर, सरल और सस्ता तरीका है