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छतरपुर: मिट्टी परीक्षण नहीं होने से किसानों की फसल की पैदावार हुई कम - मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला

मिट्टी की सही जांच न होने से किसानों की फसल कम निकल रही है. पहले जहां किसान ज्यादा फसल की पैदावार करता था, वहीं अब औसतन फसल की पैदावार कम हो गई है.

heavy loss due to no soil testing
मिट्टी परीक्षण नहीं होने से फसल की पैदावार हुई कम
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Published : Apr 24, 2020, 7:25 PM IST

छतरपुर। जहां एक ओर बुंदेलखंड का किसान अपनी फसल की पैदावार को लेकर चिंतित रहता है. कभी पानी की किल्लत की वजह से फसलों को नुकसान होता है, तो कभी ओलावृष्टि के चलते किसानों की फसल नष्ट हो जाती है, लेकिन अब प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही भी किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रही है. जिले में किसानों को उम्मीद से कम फसल नसीब हुई है. पहले मिट्टी की उर्वरक क्षमता को लेकर कोई दुविधा नहीं होती थी, लेकिन जब से रासायनिक खाद आई हैं तब से मिट्टी की उर्वरक क्षमता का परीक्षण करना आवश्यक हो गया है.

मिट्टी परीक्षण नहीं होने से फसल की पैदावार हुई कम

प्रशासनिक मशीनरी द्वारा बनाई गई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला तो महज कागजों तक ही सीमित है. किसानों को इन प्रयोगशालाओं का कोई फायदा नहीं मिलता है, जबकि शासन इन प्रयोगशालाओं में पदस्थ कर्मचारियों को हर माह लाखों रुपए वेतन भुगतान करती है.

किसान सुरेश चंद यादव का कहना है कि मिट्टी में आवश्यक तत्वों की कमी का पता नहीं लग पाता है, जिससे फसलों को नुकसान होता है और पैदावर कम होती है. जहां पहले एक बीघा में 25 क्विंटल गेहूं का उत्पादन करते थे, वहीं अब महज 10 क्विंटल गेहूं का उत्पादन कर पाते हैं. रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया खेती है, जिसमें नुकसान ही हो रहा है.

शासन-प्रशासन किसानों की मिट्टी का परीक्षण कराकर उसमें अनुपस्थित जरुरी तत्वों की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराएं, ताकि किसान फसल के समय उसमें तत्वों की पूर्ति कर सकें.

छतरपुर। जहां एक ओर बुंदेलखंड का किसान अपनी फसल की पैदावार को लेकर चिंतित रहता है. कभी पानी की किल्लत की वजह से फसलों को नुकसान होता है, तो कभी ओलावृष्टि के चलते किसानों की फसल नष्ट हो जाती है, लेकिन अब प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही भी किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रही है. जिले में किसानों को उम्मीद से कम फसल नसीब हुई है. पहले मिट्टी की उर्वरक क्षमता को लेकर कोई दुविधा नहीं होती थी, लेकिन जब से रासायनिक खाद आई हैं तब से मिट्टी की उर्वरक क्षमता का परीक्षण करना आवश्यक हो गया है.

मिट्टी परीक्षण नहीं होने से फसल की पैदावार हुई कम

प्रशासनिक मशीनरी द्वारा बनाई गई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला तो महज कागजों तक ही सीमित है. किसानों को इन प्रयोगशालाओं का कोई फायदा नहीं मिलता है, जबकि शासन इन प्रयोगशालाओं में पदस्थ कर्मचारियों को हर माह लाखों रुपए वेतन भुगतान करती है.

किसान सुरेश चंद यादव का कहना है कि मिट्टी में आवश्यक तत्वों की कमी का पता नहीं लग पाता है, जिससे फसलों को नुकसान होता है और पैदावर कम होती है. जहां पहले एक बीघा में 25 क्विंटल गेहूं का उत्पादन करते थे, वहीं अब महज 10 क्विंटल गेहूं का उत्पादन कर पाते हैं. रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया खेती है, जिसमें नुकसान ही हो रहा है.

शासन-प्रशासन किसानों की मिट्टी का परीक्षण कराकर उसमें अनुपस्थित जरुरी तत्वों की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराएं, ताकि किसान फसल के समय उसमें तत्वों की पूर्ति कर सकें.

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