छतरपुर। बुंदेलखंड की शान माना जाने वाला बुंदेली पान अब वहां की पहचान बनता जा रहा है, जिसकी खपत अब विदेशों में भी होने लगी है, लेकिन मौसम की बेरूखी और जनप्रतिनिधियों के लचीले रवैये से पान किसान उपेक्षा के शिकार हैं. आलम ये है कि उन्हें उनकी लागत का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.
हर चुनाव में पान विकास निगम एवं विकास बोर्ड बनाए जाने की चर्चा शुरु होती है, लेकिन चुनाव बाद गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाता है. पान किसानों का कहना है कि चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान से लेकर कमलनाथ तक ने आश्वासन दिया था, बड़े बड़े वादे करते हुए पान विकास बोर्ड बनाने की बात भी कही थी. बावजदू इसके दोनों नेताओं ने सत्ता में आने के बाद भी इस दिशा में कोई काम नहीं किया.
विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-कांग्रेस ने पान की खेती करने वाले किसानों के लिए पान विकास बोर्ड गठित करने की बात कही थी, लेकिन चुनाव के बाद ये मुद्दा सियासी दांव-पेंचों में फंसकर रह गया है. साथ ही 10 हजार के नुकसान पर 50 रुपये का मुआवजा पान की खेती करने वाले किसानों को दिया जाता है. इस चुनाव में भी पान की खेती करने वाले किसानों का मुद्दा नेताओं की जुबान पर है, लेकिन पान विकास निगम बोर्ड के गठन का सपना पाल रहे किसानों के हालात जस के तस हैं.