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स्कूल में पड़ी-पड़ी सड़ रहीं किताबें, ईटीवी भारत ने दिलाई सुध - किताबें खराब हो रही

छतरपुर के देवरी गांव के शासकीय हाई स्कूल में बने अतिरिक्त कक्ष में कक्षा 3 से लेकर दसवीं तक की किताबें खराब हो रही हैं. यहां इन किताबों की देखरेख भी नहीं हो. जब ईटीवी भारत ने इस मामला को लेकर जिम्मेदारों से बात की तो खबर में जानिए क्या था उनका कहना...

किताबें
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Published : Nov 19, 2019, 8:12 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 8:18 PM IST

छतरपुर। कहावत है कि शिक्षा से बढ़कर कोई धन नहीं होता है, लेकिन क्या आप अपने धन को खराब होने के लिए छोड़ सकते हैं. नहीं ना, लेकिन छतरपुर के शिक्षा विभाग ने शायद यह कहावत नहीं सुनी, इसीलिए बड़ी लापरवाही करते हुए देवरी गांव के शासकीय हाई स्कूल में बने अतिरिक्त कक्ष में कक्षा 3 से लेकर दसवीं तक की किताबों को खराब होने के लिए छोड़ दिया. यहां पड़ी कुछ किताबें बंडल में बंद हैं तो कुछ खुली हुई पड़ी हैं,इनमें से ज्यादातर किताबें अब उपयोग करने लायक नहीं बची हुई हैं.

कई किताबें जरूर अभी नई हैं जिनका अभी तक बंडल तक नहीं खोला गया है. लापरवाही की हद तो देखिए जिस कमरे में किताबें रखी हुईं हैं बारिश के मौसम में उसी कमरे की खिड़की खुली छोड़ दी गई है, जिससे किताबें गीली होकर गल गई हैं. इसके बावजूद इनका रखरखाव करने वाला यहां कोई नजर नहीं आता.

देवरी गांव के शासकीय हाई स्कूल में सड़ रहीं किताबें

मामले में जब हमने स्कूल के प्रिंसिपल आरएल अवस्थी से बात की तो उनका कहना है कि हमने जिन किताबों को वितरण के लिए मंगवाया था,उन किताबों का वितरण कर दिया गया है. यह कमरा बीआरसी ने स्टोर रूम के लिए लिया था, यह किताबें उन्होंने ही रखी हैं. किताबें क्यों वितरित नहीं की गईं, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है.

जब ईटीवी भारत ने मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उनका कहना है कि हम जल्द ही इस मामले का पता करते हैं कि आखिर वह किताबें कहां से आई हैं और किस वजह से उनका वितरण नहीं हुआ है. अगर किताबें खराब हो रहीं हैं तो उनकी देखरेख करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे.

सवाल यही है कि एडीएम भले ही अब देखरेख कराने की बात कर रहे हों, लेकिन आखिर अब तक किसी को किताबें खराब होती हुईं क्यों नहीं दिख रही थीं और शायद अगर ईटीवी भारत नहीं दिखाता तो ये कभी इनको दिखती भी नहीं.

छतरपुर। कहावत है कि शिक्षा से बढ़कर कोई धन नहीं होता है, लेकिन क्या आप अपने धन को खराब होने के लिए छोड़ सकते हैं. नहीं ना, लेकिन छतरपुर के शिक्षा विभाग ने शायद यह कहावत नहीं सुनी, इसीलिए बड़ी लापरवाही करते हुए देवरी गांव के शासकीय हाई स्कूल में बने अतिरिक्त कक्ष में कक्षा 3 से लेकर दसवीं तक की किताबों को खराब होने के लिए छोड़ दिया. यहां पड़ी कुछ किताबें बंडल में बंद हैं तो कुछ खुली हुई पड़ी हैं,इनमें से ज्यादातर किताबें अब उपयोग करने लायक नहीं बची हुई हैं.

कई किताबें जरूर अभी नई हैं जिनका अभी तक बंडल तक नहीं खोला गया है. लापरवाही की हद तो देखिए जिस कमरे में किताबें रखी हुईं हैं बारिश के मौसम में उसी कमरे की खिड़की खुली छोड़ दी गई है, जिससे किताबें गीली होकर गल गई हैं. इसके बावजूद इनका रखरखाव करने वाला यहां कोई नजर नहीं आता.

देवरी गांव के शासकीय हाई स्कूल में सड़ रहीं किताबें

मामले में जब हमने स्कूल के प्रिंसिपल आरएल अवस्थी से बात की तो उनका कहना है कि हमने जिन किताबों को वितरण के लिए मंगवाया था,उन किताबों का वितरण कर दिया गया है. यह कमरा बीआरसी ने स्टोर रूम के लिए लिया था, यह किताबें उन्होंने ही रखी हैं. किताबें क्यों वितरित नहीं की गईं, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है.

जब ईटीवी भारत ने मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उनका कहना है कि हम जल्द ही इस मामले का पता करते हैं कि आखिर वह किताबें कहां से आई हैं और किस वजह से उनका वितरण नहीं हुआ है. अगर किताबें खराब हो रहीं हैं तो उनकी देखरेख करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे.

सवाल यही है कि एडीएम भले ही अब देखरेख कराने की बात कर रहे हों, लेकिन आखिर अब तक किसी को किताबें खराब होती हुईं क्यों नहीं दिख रही थीं और शायद अगर ईटीवी भारत नहीं दिखाता तो ये कभी इनको दिखती भी नहीं.

Intro:छतरपुर जिले के देवरी गांव में एक बार फिर शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है डेरी गांव के हाई स्कूल में बने अतिरिक्त कक्ष में लाखों की संख्या में कक्षा 3 से लेकर दसवीं तक की किताब में पड़ी हुई है कुछ किताबें बंडल में बंद है तो कुछ खुली हुई अवस्था में खराब हो चुकी है!


Body: छतरपुर जिले के देवरी संकुल में शिक्षा विभाग की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है देवी हाई स्कूल के अतिरिक्त कक्ष में लाखों की संख्या में किताबें रद्दी की तरह रखी गई है यह किताबें कक्षा 3 से लेकर 10वीं तक की कक्षाओं की है यह सभी किताबें नई है तो कुछ किताबों के बंडल तक नहीं खोले गए हैं बारिश की वजह से कमरे की खिड़की खुले होने की वजह से कई किताबें खराबी हो गई है हालांकि इस मामले में जब हमने स्कूल के प्रिंसिपल और एल अवस्थी से बात की तो उनका कहना था कि हमने जिन किताबों को वितरण के लिए मंगवाया था वह किताबें वितरण कर दी गई हैं यह कमरा बीआरसी ने स्टोर रूम के लिए लिया था यह किताबें उनके द्वारा ही रखी है यह किताब एक क्यों बे चरण नहीं की गई कहां से आई है इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है!

बाइट_आरएल अवस्थी प्रिंसिपल

मामले में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी एसके शर्मा से बात की तो उन्होंने मामले में कुछ भी बोलने से बचते हुए उल्टा यह कह दिया कि किताबें कहीं भी पड़ी रहें आपको क्या!

हालांकि बाद में जब हमने पूरे मामले में एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उनका कहना था कि हम जल्द ही इस मामले में संज्ञान लेते हुए दिखाते हैं कि आखिर वह किताबें कहां से आई हैं और किस वजह से उनका वितरण नहीं हुआ है!

बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान


Conclusion:भले ही एडीएम प्रेम सिंह चौहान मामले में संज्ञान लेते हुए जांच की बात कह रहे हो लेकिन शिक्षा विभाग के जिला अधिकारी एसके शर्मा का रवैया ना सिर्फ निंदनीय है बल्कि तानाशाही भरा भी है शिक्षा विभाग के अधिकारी होने के नाते उनका कहना था कि किताबें कहीं भी पड़ी रह सकती हैं!
Last Updated : Nov 19, 2019, 8:18 PM IST
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