भगवान और भक्तों का नाता बहुत पुराना है जब भी भगवान के होने की बात उठती है तब भगवान अपना प्रमाण किसी न किसी रूप में देते है. छतरपुर जिले के लवकुश नगर में कुछ ऐसी ही कहानी सिंहपुर गांव के चरण पादुका मंदिर की है बताते हैं कि यहां भगवान राम के पदचिन्ह आज भी मौजूद हैं,जो मंदिर के पीछे नदी में बनी चट्टान पर साफ तौर से दिखाई देते हैं हजारों साल बीत जाने के बाद भी इन पैरों के निशान साफ तौर पर देखे जा सकते हैं.
मंदिर के महंत बताते हैं कि हजारों साल पहले मंदिर के आसपास पानी भर गया था तभी भगवान श्री राम एक ऋषि के भेष में आए और उन्होंने मंदिर के महंत को जाकर चेतावनी दी कि तुम्हारे मंदिर में पानी भर गया है अगर तुम सही समय रहते मंदिर के बाहर निकलोगे तो तुम्हारी मौत निश्चित हो जाएगी यह कहते हुए भगवान चट्टान पर जाकर खड़े हो गए तभी महंत समझ गए कि यह भगवान राम हैं और उन्होंने उनके पैर पकड़ लिए तब से लेकर आज तक चट्टानों पर भगवान राम के पैर के निशान मौजूद है जो लोगों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं
मंदिर उतना नहीं है जितना इसका चमत्कारिक खास है जंगल के बीच होने के बाद भी भगवान श्रीराम को आराध्य मानने वाले लोग यहां पहुंच जाते हैं.
चट्टान पर बने भगवान राम के पद लोगों को इस बात का लगातार एहसास दिलाते हैं कि अगर सच्चे मन से भगवान की आराधना की जाती है तो भगवान किसी ना किसी रूप में अगर भगवान को दर्शन देते हैं अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह भगवान राम पर सवाल खड़े किए हैं ऐसे में यह मंदिर उन तमाम सवालों का अपने आप में खुद एक जवाब है जहां भगवान राम के होने की पुष्टि उनके पद चिन्ह करते हैं.