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मां की मौत के बाद पिता की बीमारी से जूझ रहीं दो बेटियां, नाजुक कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी

छतरपुर के पड़रिया गांव में दो बच्चियों की मां का निधन हो चुका है, पिता बीमार हैं. ऐसे में अपने परिवार की जिम्मेदारी 16 और दस साल की बच्चियों पर आ गई है.

Burden of responsibility on delicate shoulders
नाजुक कंधो पर जिम्मेदारी का बोझ
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Published : Apr 23, 2020, 9:05 AM IST

छतरपुर। जिले के पड़रिया गांव में दो सगी बहने ऐसी भी हैं. जो खेलने-कूदने की उम्र में मजदूरी कर रही हैं और अपने परिवार का पेट पाल रही हैं. दरअसल इन बच्चियों के सिर से मां का साया हट चुका है, पिता भी बीमार हैं. जिसके चलते परिवार की जिम्मेदारी 16 साल की पूनम और उसकी दस साल की बहन मन्तो पर आ गई है. भीषण गर्मी में गेहूं की फसल काटकर दोनों बहने अपने पिता के इलाज की व्यवस्था कर रही हैं. बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला है. असामयिक निधन पर मिलने वाली अनुग्रह राशि भी इस परिवार को नहीं मिली है.

मृतका के पति मुन्नीलाल ने बताया कि, ग्राम पंचायत द्वारा उसकी पत्नी की उम्र 40 साल की जगह 60 साल दर्ज की गई है. जिससे अब उसे अपात्र बता रहे हैं, जबकि पत्नी के आधार कार्ड सहित अन्य रिकॉर्ड में उसके पत्नी की उम्र 40 साल ही दर्ज है. जब इस मामले में सीईओ से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि, मामले की जानकारी नहीं थी. अब मामला संज्ञान में आने के बाद जांच कर हितग्राही को अनुग्रह राशि दिलवाई जाएगी.

मां का गुजर जाना इन बच्चियों के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं है. यही कारण है कि, पूरा दिन खेत में मजदूरी करने के बाद शाम को पिता की सेवा भी कर रही हैं. छोटे भाई के भी पालन-पोषण की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है. जबकि बड़ा भाई घर गृहस्थी के काम में कोई हाथ नहीं बंटाता है. ऐसे में इन मासूम कंधों को सरकार के सहारे की जरूरत है, प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं किया गया है और न ही जनप्रतिनिधि ही इनकी सुध ले रहे हैं.

छतरपुर। जिले के पड़रिया गांव में दो सगी बहने ऐसी भी हैं. जो खेलने-कूदने की उम्र में मजदूरी कर रही हैं और अपने परिवार का पेट पाल रही हैं. दरअसल इन बच्चियों के सिर से मां का साया हट चुका है, पिता भी बीमार हैं. जिसके चलते परिवार की जिम्मेदारी 16 साल की पूनम और उसकी दस साल की बहन मन्तो पर आ गई है. भीषण गर्मी में गेहूं की फसल काटकर दोनों बहने अपने पिता के इलाज की व्यवस्था कर रही हैं. बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला है. असामयिक निधन पर मिलने वाली अनुग्रह राशि भी इस परिवार को नहीं मिली है.

मृतका के पति मुन्नीलाल ने बताया कि, ग्राम पंचायत द्वारा उसकी पत्नी की उम्र 40 साल की जगह 60 साल दर्ज की गई है. जिससे अब उसे अपात्र बता रहे हैं, जबकि पत्नी के आधार कार्ड सहित अन्य रिकॉर्ड में उसके पत्नी की उम्र 40 साल ही दर्ज है. जब इस मामले में सीईओ से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि, मामले की जानकारी नहीं थी. अब मामला संज्ञान में आने के बाद जांच कर हितग्राही को अनुग्रह राशि दिलवाई जाएगी.

मां का गुजर जाना इन बच्चियों के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं है. यही कारण है कि, पूरा दिन खेत में मजदूरी करने के बाद शाम को पिता की सेवा भी कर रही हैं. छोटे भाई के भी पालन-पोषण की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है. जबकि बड़ा भाई घर गृहस्थी के काम में कोई हाथ नहीं बंटाता है. ऐसे में इन मासूम कंधों को सरकार के सहारे की जरूरत है, प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं किया गया है और न ही जनप्रतिनिधि ही इनकी सुध ले रहे हैं.

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