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चने की पैदावार कम होने से किसान परेशान, सूखे और कीड़ों की पड़ी मार

बुंदेलखंड के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. चने की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस बार सूखे और कीड़ों के कारण पैदावार काफी कम हुई है.

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Published : Apr 6, 2019, 2:44 PM IST

चने की पैदावार कम होने से किसान परेशान,

छतरपुर। बुंदेलखंड के अधिकांश गांव में फसलों की कटाई शुरू हो गई है. चने और गेहूं की फसल लगभग कटने को तैयार है, लेकिन पृथ्वीपुरा गांव के किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. किसानों के मुताबिक फसल की पैदावार उम्मीद से काफी कम हुई है. ऐसे में उन्हें एक बार फिर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

चने की पैदावार कम होने से किसान परेशान,

किसानों के परेशान होने की एक बड़ी वजह अचानक से गिरता भू-जलस्तर भी है. किसानों की मानें तो जो फसल पककर तैयार हो गई है, उसमें अभी एक बार और सिंचाई होनी थी, लेकिन आसपास के पानी के स्रोत सूख गए हैं. जिस वजह से खेतों में पानी नहीं पहुंच पाया है.

बुंदेलखंड के अधिकतर गांव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे हुए हैं. चने की खेती करने वाले किसान ज्यादा परेशान हैं. चने की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि चने की खेती इस बार ठीक नहीं हुई है, उल्टा फसल इल्लियां अलग से लग गई हैं, जिससे काफी नुकसान हुआ है.

छतरपुर। बुंदेलखंड के अधिकांश गांव में फसलों की कटाई शुरू हो गई है. चने और गेहूं की फसल लगभग कटने को तैयार है, लेकिन पृथ्वीपुरा गांव के किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. किसानों के मुताबिक फसल की पैदावार उम्मीद से काफी कम हुई है. ऐसे में उन्हें एक बार फिर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

चने की पैदावार कम होने से किसान परेशान,

किसानों के परेशान होने की एक बड़ी वजह अचानक से गिरता भू-जलस्तर भी है. किसानों की मानें तो जो फसल पककर तैयार हो गई है, उसमें अभी एक बार और सिंचाई होनी थी, लेकिन आसपास के पानी के स्रोत सूख गए हैं. जिस वजह से खेतों में पानी नहीं पहुंच पाया है.

बुंदेलखंड के अधिकतर गांव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे हुए हैं. चने की खेती करने वाले किसान ज्यादा परेशान हैं. चने की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि चने की खेती इस बार ठीक नहीं हुई है, उल्टा फसल इल्लियां अलग से लग गई हैं, जिससे काफी नुकसान हुआ है.

Intro:बुंदेलखंड के अधिकांश क्षेत्र में फसलों की कटाई सुरु हो गई है चने और गेहूं की फसल लगभग कटने को तैयार है लेकिन किसानों के चेहरों पर एक बार फिर चिंता के भाव है किसानों की मानें तो जिस प्रकार से वह फसलों की पैदावार की उम्मीद कर रहे थे उस की अपेक्षा इस बार उपजी फसलों ने उन्हें ना उम्मीद कर दिया है ऐसे में उन्हें एक बार फिर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है!

किसानों के परेशान होने की एक बड़ी वजह अचानक से गिरता भू जलस्तर भी है किसानों की मानें तो जो फसल पक कर तैयार हो गई है उसमें अभी एक बार और सिंचाई होनी थी लेकिन आसपास के पानी के स्रोत सूख गए जिस वजह से खेतों में पानी नहीं पहुंच पाया!




Body:बुंदेलखंड के वह गांव जो मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं अधिकांश गांव में किसान अपनी फसलों को काटने लगे हैं चने की खेती करने वाले किसान परेशान है चने की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि चने की उपाधि इस बार ठीक नहीं हुई है जितनी उपेक्षा की थी उससे आधी भी नहीं मिल रही है उल्टा चनों में इमली अलग से लग गई है जो परेशानी का सबब बनी हुई है!

पृथ्वीपुरा गांव में कटाई का काम सुरु हो गया है गांव के लगभग खेतों में फसले कटने लगी है !

बुजुर्ग किसान गंगा बताते हैं कि चने की खेती में इस बार भारी नुकसान होने की आशंका है पानी के चलते फसल ठीक से नहीं हुई ऊपर से चने में इल्ली अलग से लग गई जिससे फसल बर्बाद हो रही है!

बाइट_गंगा बुजुर्ग किसान

वहीं खेतों से चने काट रहे कैलाश का कहना है कि सारी योजनाएं बड़े किसानों के लिए है छोटे किसानों पर कोई ध्यान नहीं देता कर्ज माफी बड़े किसानों की ही किए जाते हैं अगर छोटे किसान खेतों पर काम ना करें तो लोग भूखे मर जाएं इस वर्ष फसलें उम्मीद के मुताबिक पैदावार नहीं दे रही है उसकी चिंता अभी से शुरू हो गई है!

बाइट_कैलाश किसान

वहीं गेहूं की खेती करने वाले लखन पाल बताते हैं कि उन्होंने अपने 2 एकड़ जमीन में गेहूं की खेती की थी और उन्हें उम्मीद थी कि इस वर्ष गेहूं की अच्छी उपज मिलेगी लेकिन एक बार फिर पानी के चलते फसलों में बेहद नुकसान हुआ है और फसल की उपज ठीक आधी रह गई है जिससे ना तो फसल बाजार में ठीक से दिखेगी और ना ही खेती का खर्च निकल सकेगा!

बाइट_लखन पाल_किसान






Conclusion:मध्य प्रदेश में सत्ता भले ही बदल गई हो लेकिन किसानों के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं किसानों को कहना है कि एक बार फिर उनके ऊपर कर्ज़ का खतरा मंडराने लगा है ऐसे में किसानों की दम पर मध्य प्रदेश में वापसी कर चुकी कांग्रेस की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है हालांकि किसानों का कहना यह भी है कि उन्हें अभी तक नई सरकार से किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है!
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