छतरपुर। बुंदेलखंड में पान की खेती करने वाले किसान इस समय बेहद परेशान हैं. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण छतरपुर में पान किसानों के ऊपर से संकट के बादल जाने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. आलम ये है कि खेतों में लगे-लगे ही पान सड़ने लगे हैं. लगातार पिछले करीब चार महीने से हो रहे घाटे से पान की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं.
इस साल हुआ बड़ा नुकसान
छतरपुर में पान की खेती करने वालों का पान न सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश भी जाता था. लेकिन कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से दूसरे देश तो दूर भारत में ही पान का एक राज्य से दूसरे राज्य जाना नहीं हो रहा है. पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस साल पान की खेती में बहुत नुकसान हुआ है. लॉकडाउन के चलते पान ना तो बाहर जा पाया और ना ही मजदूर मिले. यही वजह है कि अब पान खेत में लगा-लगा ही सड़ गया है.
पहले लॉकडाउन और अब बारिश
पान की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि एक तो पहले ही लॉकडाउन में पान की बिक्री नहीं हो रही थी. जिस कारण खेतों में लगे पान को नहीं तोड़ा. वहीं अब मानसून आते ही बारिश होने लगी है. इस बारिश के कारण पूरे पान खेत में ही लगे-लगे सड़ गए.
अब तक नहीं मिली कोई मदद
किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के शुरूआती दौर से ही काफी परेशानियां सामने आने लगी थी. जिससे उन्होंने स्थानीय विधायक को भी अवगत कराया था. किसानों की परेशानी सुनने के बाद विधायक नीरज दीक्षित ने जल्द ही इसके सामाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली है.
पान की खेती करने वाले किसान भोला चौरसिया ने बताया कि फसल खेतों में लगी-लगी सड़ गई है. मुआवजे के नाम पर फिलहाल स्थानीय प्रशासन ने किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की है. जनप्रतिनिधि लगातार मुआवजे की बात कह रहे हैं, लेकिन अब तक खेतों का मुआयना करने के लिए न तो पटवारी मौके पर आया है और न ही किसी नेता ने उनकी सुध ली है.
सरकार बदली लेकिन समस्या नहीं
ETV भारत ने भी किसानों की परेशानियों को लेकर स्थानीय विधायक नीरज दीक्षित से बात की थी, जिसके बाद उन्होंने कहा था इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात की जाएगी. जल्द ही पान किसानों के लिए भी राहत राशि की घोषणा की जाएगी. लेकिन समय के साथ सरकार बदली और एक बार फिर पान किसान न सिर्फ परेशान हैं. बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब होने लगी है. पान किसानों का कहना है कि आज तक स्थानीय जनप्रतिनिधि न तो पान की खेती को किसानी का दर्जा दिला पाए हैं और न ही उसमें होने वाले नुकसान का मुआवजा ठीक से मिलता है.
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किसानों पर बढ़ रहा कर्ज
पान की खेती करने वाले किसानों की मानें तो उनपर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है. अब उनके पास इतने भी पैसे नहीं है कि जो पान खेत में लगे-लगे सड़ गए हैं, उन्हें मजदूर लगाकर बाहर निकाल लिया जाए. ऐसे में पान की खेती करने वाले किसानों को उम्मीद है स्थानीय प्रशासन और सरकार की ओर से उन्हें मदद मिलेगी, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई भी मदद नजर नहीं आ रही है.