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लॉकडाउन में संकट के दौर से गुजर रहे बांस कलाकार, नहीं मिल रहे टोकरी के खरीददार - bambo artist facing crisis during lockdown

लॉकडाउन से हर कोई परेशान है, सभी व्यवसायों पर इसका असर पड़ रहा है. छतरपुर में बांस की टोकरियां बनाने वाले कारीगरों का तो बाजार ही पूरी तरह चौपट हो गया है, जिसके चलते उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

artist facing crisis
कारीगर हो रहे परेशान
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Published : May 30, 2020, 10:04 AM IST

छतरपुर। लॉकडाउन के प्रभाव से हर कोई दो-चार हो रहा है, बुंदेलखंड में भी एक ऐसा ही व्यवसाय है, जहां बांस की टोकरियां बनाई जाती है, जिनका ज्यादातर उपयोग शादी के समय किया जाता है, लॉकडाउन के चलते अब छोटे व्यवसायी लगातार परेशान हो रहे हैं. यही वजह है कि बुंदेलखंड में बनने वाली बांस की टोकरी का व्यवसाय करने वाले कारीगर इन दिनों बेहद परेशान हैं. उनके सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

बांस की टोकरी बनाकर बाजार में बेचने वाले छोटे व्यवसायी इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कारीगरों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते न तो बाजार लग रहे हैं, और न ही शादियां हो रही हैं. धीरे-धीरे ये व्यवसाय पूरी तरह चौपट होता जा रहा है. लॉकडाउन के पहले तक सब कुछ ठीक था, लेकिन अब स्थिति बेहद खराब है. दिन भर में एक भी टोकरी नहीं बिकती है.

80 साल की जमुना देवी बताती हैं कि लगातार बांस की टोकरी की उत्पादन और डिमांड कम हो रही है, लॉकडाउन के चलते आवागमन बंद है. अगर कोई जंगल जाकर बांस काटने की कोशिश करता है तो पुलिस उन्हें मारती है. दिन भर में एक टोकरी ही बन जाए, वही बहुत होता है.

टोकरी बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली चंपा बताती हैं कि बाजार नहीं लग रहे हैं. यही वजह है कि लगातार इस व्यवसाय में गिरावट आ रही है. लॉकडाउन के पहले तक चार से पांच टोकरी रोज बन जाती थी और खरीददार भी मिल जाते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.

40 सालों से बांस की टोकरी बनाने वाले मलखान बताते हैं कि पहले हफ्ते भर में 3 हजार के आसपास का व्यवसाय हो जाता था, लेकिन अब बहुत मुश्किल से ही रोजी- रोटी चल पा रही है. बुंदेलखंड में बांस की टोकरी ज्यादातर लोग अपने घरों में प्रयोग करते हैं, जिसकी मांग समय-समय पर बढ़ती रहती है. इन टोकरियों का इस्तेमाल शादी वाले घरों में करते हैं, लॉकडाउन की वजह से बांस की टोकरी बनाने वाले कारीगर खासे परेशान हैं.

छतरपुर। लॉकडाउन के प्रभाव से हर कोई दो-चार हो रहा है, बुंदेलखंड में भी एक ऐसा ही व्यवसाय है, जहां बांस की टोकरियां बनाई जाती है, जिनका ज्यादातर उपयोग शादी के समय किया जाता है, लॉकडाउन के चलते अब छोटे व्यवसायी लगातार परेशान हो रहे हैं. यही वजह है कि बुंदेलखंड में बनने वाली बांस की टोकरी का व्यवसाय करने वाले कारीगर इन दिनों बेहद परेशान हैं. उनके सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

बांस की टोकरी बनाकर बाजार में बेचने वाले छोटे व्यवसायी इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कारीगरों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते न तो बाजार लग रहे हैं, और न ही शादियां हो रही हैं. धीरे-धीरे ये व्यवसाय पूरी तरह चौपट होता जा रहा है. लॉकडाउन के पहले तक सब कुछ ठीक था, लेकिन अब स्थिति बेहद खराब है. दिन भर में एक भी टोकरी नहीं बिकती है.

80 साल की जमुना देवी बताती हैं कि लगातार बांस की टोकरी की उत्पादन और डिमांड कम हो रही है, लॉकडाउन के चलते आवागमन बंद है. अगर कोई जंगल जाकर बांस काटने की कोशिश करता है तो पुलिस उन्हें मारती है. दिन भर में एक टोकरी ही बन जाए, वही बहुत होता है.

टोकरी बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली चंपा बताती हैं कि बाजार नहीं लग रहे हैं. यही वजह है कि लगातार इस व्यवसाय में गिरावट आ रही है. लॉकडाउन के पहले तक चार से पांच टोकरी रोज बन जाती थी और खरीददार भी मिल जाते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.

40 सालों से बांस की टोकरी बनाने वाले मलखान बताते हैं कि पहले हफ्ते भर में 3 हजार के आसपास का व्यवसाय हो जाता था, लेकिन अब बहुत मुश्किल से ही रोजी- रोटी चल पा रही है. बुंदेलखंड में बांस की टोकरी ज्यादातर लोग अपने घरों में प्रयोग करते हैं, जिसकी मांग समय-समय पर बढ़ती रहती है. इन टोकरियों का इस्तेमाल शादी वाले घरों में करते हैं, लॉकडाउन की वजह से बांस की टोकरी बनाने वाले कारीगर खासे परेशान हैं.

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