छतरपुर। बुंदेलखंड के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही है. स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर लाख दावे करने वाली सरकार की जमीनी हकीकत छतरपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में देखने को मिली. जहां डिलेवरी के बाद मां जमीन पर तो बच्चे को पॉलीथिन पर लिटा दिया है. मामले की गंभीरता देखते हुए जिला चिकित्सा अधिकारी ने जांच की बात कही है.
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही हैं. स्वास्थ्य सेवाओं के हालात इतने बदतर हैं, कि ज्यादातर अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं खुद ही वेंटिलेटर पर पहुंच चुकी हैं. ऐसे में प्रदेश और केंद्र सरकार के तमाम वादे और दावे कागजों पर ही नजर आ रहे हैं. छतरपुर के सरकारी अस्पताल की तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं किस तरह पिछली और वर्तमान सरकार के दावे पूरे किए जा रहे हैं. जहां जन्म के बाद गर्भवती महिलाओं और उसके नवजात को अस्पताल में अच्छा बिस्तर दूर एक पलंग भी नसीब नहीं है.
ऐसे में जन्म के बाद नवजात को पॉलिथीन तो जन्म देने वाली मां को फर्श पर ही सोना पड़ रहा है. जबकि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में पहली दीर्घकालिक महिला वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की बात कही है. जबकि जन्म के तुरंत बाद नवजात को जमीन पर सुलाने से कई तरह के इंफेक्शन का डर रहता है. गौर करने वाली बात यह है, कि अस्पताल भर्ती पीड़िता का कहना है कि वो पॉलीथिन भी वे घर से लेकर आए थे. पीड़िता के पति गोकुल का कहना है कि उसके यहां एक हफ्ते पहले बेटा हुआ है, जो पहले स्वस्थ था. लेकिन अब बच्चे को पीलिया हो गया है. वहीं मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी बीएस वाजपेयी ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.