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बदहाल अवस्था में पड़ा छतरपुर जिला अस्पताल का फिजियो विभाग, न मशीनें उपलब्ध, न व्यवस्थाएं

छतरपुर जिले के शासकीय अस्पताल का फिजियो विभाग बदहाल अवस्था में पड़ा है. जहां न तो ठीक से मशीनें उपलब्ध है और न हीं व्यवस्थाएं मौजूद हैं. विभाग के डॉक्टर का कहना है कि वह मरीजों का इलाज करना चाहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन और अन्य अधिकारी उनका सहयोग नहीं करते.

छतरपुर जिला अस्पताल का फिजियो विभाग
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Published : Jun 3, 2019, 11:53 PM IST

छतरपुर। जिले के शासकीय अस्पताल में एकमात्र फिजियोथैरेपी विभाग की हालत बदहाल बनी हुई है. आलम यह विभाग में न तो उचित मात्रा में मशीनें हैं और न ही विभाग की देखरेख ठीक से हो रही है. यहां रखी मशीनों में जंग लग रही है, विभाग के डॉक्टर का कहना है कि वह मरीजों के इलाज करना चाहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन और अन्य अधिकारी उनका सहयोग नहीं करते.

बदहाल पड़ा छतरपुर जिला अस्पताल का फिजियो विभाग

छतरपुर जिला अस्पताल में लगभग सभी विभाग नए अस्पताल में शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन फिजियोथैरेपी विभाग अब भी पुराने अस्पताल में ही जस का तस चल रहा है. जहां न तो ठीक से उसकी देखरेख की जा रही है और न ही वहां पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं. विभागीय डॉक्टर अरुण गुप्ता कहना है कि वह चाहते है कि मरीजों का इलाज हो लेकिन सहयोग न मिलने से यह संभव नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो मशीनें फिजियोथैरेपी विभाग में होनी चाहिए नहीं हैं. कई बार अधिकारियों के कहने और बोलने के बाद भी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

वहीं इस पूरे मामले में एसडीएम प्रेम सिंह चौहान कहना है कि इस मामले में जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों से बात की जाएगी. अगर ऐसा कोई मामला है तो निश्चित ही इस समस्या को हल कर दिया जाएगा. अब अधिकारी कुछ भी कहे फिलहाल तो छतरपुर जिला अस्पताल का फिजियोथैरिपी विभाग अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आ रहा है.

छतरपुर। जिले के शासकीय अस्पताल में एकमात्र फिजियोथैरेपी विभाग की हालत बदहाल बनी हुई है. आलम यह विभाग में न तो उचित मात्रा में मशीनें हैं और न ही विभाग की देखरेख ठीक से हो रही है. यहां रखी मशीनों में जंग लग रही है, विभाग के डॉक्टर का कहना है कि वह मरीजों के इलाज करना चाहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन और अन्य अधिकारी उनका सहयोग नहीं करते.

बदहाल पड़ा छतरपुर जिला अस्पताल का फिजियो विभाग

छतरपुर जिला अस्पताल में लगभग सभी विभाग नए अस्पताल में शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन फिजियोथैरेपी विभाग अब भी पुराने अस्पताल में ही जस का तस चल रहा है. जहां न तो ठीक से उसकी देखरेख की जा रही है और न ही वहां पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं. विभागीय डॉक्टर अरुण गुप्ता कहना है कि वह चाहते है कि मरीजों का इलाज हो लेकिन सहयोग न मिलने से यह संभव नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो मशीनें फिजियोथैरेपी विभाग में होनी चाहिए नहीं हैं. कई बार अधिकारियों के कहने और बोलने के बाद भी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

वहीं इस पूरे मामले में एसडीएम प्रेम सिंह चौहान कहना है कि इस मामले में जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों से बात की जाएगी. अगर ऐसा कोई मामला है तो निश्चित ही इस समस्या को हल कर दिया जाएगा. अब अधिकारी कुछ भी कहे फिलहाल तो छतरपुर जिला अस्पताल का फिजियोथैरिपी विभाग अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आ रहा है.

Intro:छतरपुर जिले के शासकीय अस्पताल में एकमात्र फिजियोथैरेपी विभाग इन दिनों बदहाली के आंसू रो रहा है आलम यह है कि इस विभाग में ना तो उचित मात्रा में मशीनें हैं और ना ही इस विभाग की देखरेख ठीक से हो रही है आलम यह है कि मशीनों में जंग लग गई है तो कुछ मशीनों में जाने लगे हुए ऐसा नहीं है कि विभाग में डॉक्टर ना हो डॉक्टर मौजूद है लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहा है विभाग में उपस्थित डॉक्टर का कहना है कि वह चाहता है कि मरीजों की सेवा करें लेकिन ना तो अस्पताल प्रबंधन और ना ही अन्य अधिकारी उसका सहयोग कर रहे हैं यही वजह है की मशीनों एवं अव्यवस्थाओं के चलते या विभाग बीमारी जैसे हालातों से जूझ रहा है!


Body:आपको बता दें कि जिला अस्पताल में फिजियोथैरेपी विभाग अन्य विभाग की तरह ही महत्वपूर्ण है लेकिन वर्तमान में यह विभाग जिला अस्पताल की अपेक्षा का शिकार बना हुआ है ना ही इस ओर जरा सी मच ध्यान दे रहे हैं और ना ही कलेक्टर साहब!

जिला अस्पताल में लगभग सभी भाग नए अस्पताल में शिफ्ट हो गए हैं लेकिन यह भाग अभी भी पुराने अस्पताल में संचालित है आलम यह है कि इसके बाद के पास ना तो कोई नई मशीनें है और ना ही बेहतर उपकरण है फिजियोथैरेपी के लिए आने वाले मरीजों को डॉक्टर साहब के बल्ब आयाम की सलाह देकर रुखसत कर देते हैं विभाग में पदस्थ डॉ अरुण गुप्ता फिजियोथैरेपिस्ट है और पूरे मन से आम जनता की सेवा करना चाहते हैं लेकिन मजबूरी बस हाथ पर हाथ रखे बैठना पड़ रहा है हमने जब उनसे पूछा कि बाद में किन-किन चीजों की आवश्यकता है और कहां-कहां कमी है उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो मशीनें होनी चाहिए थी वह नहीं है कई बार अधिकारियों के कहने और बोलने के बाद भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं यही वजह है कि भाड़ धीरे धीरे कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है!

बाइट_डॉ अरुण गुप्ता

डॉक्टर अरुण गुप्ता बताते हैं कि वह नियत समय पर विभाग कक्ष में पहुंच जाते हैं बावजूद इसके उन्हें मरीजों कि वह सेवा करने को नहीं मिल रही है जितनी बस सोच रहे थे उनका कहना है कि कई बार ऐसा भी होता है कि मरीज उनके पास आता है और उदास होकर उसे जाना पड़ जाता है!

आपको बता दें कि शरीर की कई अन्य गंभीर बीमारियां हड्डी रोगों से जुड़े हुए मामले फिजियोथैरेपी के जरिए ही ठीक होते हैं बावजूद इसके जिला अस्पताल प्रबंधन और कोई विशेष ध्यान नहीं दे पा रहा है!

वहीं इस पूरे मामले में प्रेम सिंह चौहान जोकि एडीएम है उनका कहना है कि इस मामले में जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों से बात की जाएगी अगर ऐसा कोई मामला है तो निश्चित ही इस समस्या को हल कर दिया जाएगा!

बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान


Conclusion:भले ही अब जिले के अन्य अधिकारी इस ओर ध्यान देने की बात कह रहे हो लेकिन पिछले कई महीनों से युद्ध की विभाग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है बावजूद इसके आज तक इस ओर किसी भी बड़े अधिकारी का ध्यान नहीं गया है लेकिन अब डिप्टी कलेक्टर सहित कलेक्टर महोदय भी इस ओर ध्यान देते हुए उचित कार्यवाही की बात कह रहे हैं!
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