छतरपुर। कहते हैं वसुधा पर कलाकारों की कमी नहीं है, चाहे शहर हो या गांव सभी जगह कला के साधक मिल जाएंगे. ऐसे ही एक नन्हें कलाकार छतरपुर जिले के गौरिहार तहसील के छोटे से गांव पलटा के हैं, जिन्होंने महज 12 साल की उम्र में देव वाद्य यंत्र पखावज जैसे अति कठिन यंत्र की न सिर्फ बारीकियां सीखी, बल्कि बड़े मंचों पर उसकी प्रस्तुतियां देकर अपने परिवारजनों सहित जिला व प्रदेश का नाम रोशन किया है. उनको ये कला विरासत में मिली है, जिसकों वे बखूबी आगे ले जाने का सफल प्रयास कर रहे हैं.
उत्तरप्र देश संगीत नाटक एकेडमी ने आयोजित की थी प्रतियोगिता
लॉकडाउन में संगीत नाटक अकादमी लखनऊ के स्टूड़ियो में प्रतिभागियों द्वारा भेजी गई वीडियो क्लिप से प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसे संगीत की परख रखने वाले गुरुजनों ने देखा-सुना व उसका बारीकी से अध्यन किया, जिसमें बाल वर्ग से तबला वादन में तीन ताल की प्रस्तुति देकर अनमोल ने प्रथम स्थान हासिल किया, वहीं देव वाद्य यंत्र पखावज में अनमोल ने चार ताल व कवित्त प्रस्तुत किया, जिसको निर्णायक मंडल ने खूब सराहा और उन्हें प्रथम स्थान से नवाजा.
दर्जनों मंचों पर सम्मानित हो चुके अनमोल
अनमोल ने टीकमगढ़ जिले के दिगौड़ा में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में तबले व पखावज की प्रस्तुतियां दी थी, कार्यक्रम में मौजूद पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने अनमोल द्विवेदी को उनके तबला सहित पखावज वादन के लिए सम्मानित किया था, इसी प्रकार अनमोल बुंदेलखंड सहित पूर्वोत्तर के जिलों में आयोजित शास्त्रीय संगीत कला मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर सम्मान पा चुके हैं. अनमोल ने 6 साल की उम्र से ही अपने दादा अवधेश के सानिध्य में पखावज सहित तबला वादन की तालीम लेना शुरू किया था, अनमोल 7वीं का छात्र है, जिसे पढ़ाई के साथ-साथ तबला और पखावज वादन की कला में महारथ हासिल है, वो लगातार सोशल मीडिया पर अपनी कला का प्रदर्शन कर छाया रहता है.
विरासत में मिली कला
अनमोल को तबला और पखावज की तालीम देने वाले पंडित अवधेश द्विवेदी खुद दोनों वाद्य यंत्रों को बजाने में माहिर हैं और उनके द्वारा देश के कई हिस्सों में प्रस्तुतियां दी जा चुकी हैं, जिसके लिए उन्हें अनेकों पुरस्कार भी मिले हैं. अवधेश द्विवेदी के पिता व अनमोल के परदादा झंडी लाल द्विवेदी देश के पखावज वादकों में से एक थे, जो दतिया के कुदउ संगीत घराने से ताल्लुक रखते थे. अनमोल के पिता सुरेश द्विवेदी प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं, जो तबला वादन में अच्छी खासी रुचि रखते हैं.