भोपाल। 46 मैच, 2793 रन और 34.91 का औसत, 60 और 70 के दशक में टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी के ये आंकड़े इतना बताने के लिए काफी हैं कि आखिर क्यों महज 20 साल के लड़के को टाइगर पटौदी और नवाब पटौदी कहा जाने लगा, वो भी उसके करियर की शुरूआत में ही. टाइगर पटौदी भोपाल और पटौदी के नवाब खानदान से ताल्लुक जरूर रखते थे, लेकिन उन्हें नवाब पटौदी इस वजह से नहीं बल्कि उनके क्रिकेट खेलने के अंदाज की वजह से कहा गया.
अपने 46 मैच के छोटे से करियर में नवाब पटौदी के 6 शतक और 17 अर्धशतक बताते हैं कि वे किस किस्म के बल्लेबाज थे. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करते ही भारतीय टीम की इंग्लैड के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज जीत में नवाब पटौदी ने अहम भूमिका निभाई. नवाब पटौदी केवल 21 साल के थे जब सन 1962 में टीम इंडिया की कमान उनके हाथ में आई. खास बात ये कि नवाब पटौदी की ही कप्तानी में इंडियन टीम ने पहली बार भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर टेस्ट सीरीज जीती थी.
क्रिकेट के मैदान पर अपने अंदाज के लिए मशहूर नवाब पटौदी की प्यार-मोहब्बत के मैदान पर खेली गई बाजी भी खासी चर्चित थी. बताया जाता है कि जब शर्मीला टैगोर उनका मैच देखने मैदान में पहुंचती थीं, तो नवाब पटौदी मैदान के उसी कोने पर सिक्सर मारते थे जिधर शर्मीला बैठी होती थीं. 1961 से 1975 तक मध्यप्रदेश के इस सितारे ने भारतीय टीम में शामिल होकर पूरी दुनिया में अपनी चमक बिखेरी, वो भी तब जबकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर स्टार्ट करने से पहले ही सड़क हादसे में वे अपनी एक आंख की रोशनी खो चुके थे. क्रिकेट खेलना बंद करने के बाद भी वे किसी न किसी रूप में तब तक क्रिकेट जगत से जुड़े रहे, जब तक उनकी सांसें चलती रहीं. 22 सितंबर 2011 को नवाब पटौदी ने दुनिया को अलविदा कह दिया.