भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने कई स्टडी सेंटर नियमों को ताक पर रखकर खोले थे. इन स्टडी सेंटरों में ना तो फैकल्टीज थे न स्टूडेंट और ना ही कोई कोर्स कराए जाते थे, सिर्फ इन स्टडी सेंटरों का किराया भरा जाता था. यह खुलासा माखनलाल यूनिवर्सिटी की जांच समिति द्वारा ईओडब्ल्यू को सौंपी गयी रिपोर्ट में हुआ है. जांच समिति ने ईओडब्ल्यू को 10 अध्यायों में रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें नियुक्तियों संबंधी और आर्थिक अनियमितताओं संबंधी कई शिकायतें हैं.
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. माखनलाल विश्वविद्यालय की 3 सदस्यी जांच समिति ने जो रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंपी है. उसमें खुलासा हुआ है कि माखनलाल यूनिवर्सिटी ने कई स्टडी सेंटर्स खोल रखे थे, लेकिन इन सेंटरों में कोई फैकल्टी नहीं थी. ना ही यहां पर स्टूडेंट्स थे. ना ही कोई रिसर्च या कोर्स कराए जाते थे, लेकिन इन सेंटरों के भवनों का किराया बाकायदा हर महीने भरा जाता था.
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने यह भी बताया कि यूनिवर्सिटी ने कई ऐसी अयोग्य संस्थाओं को भी सेमीनार और कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की ग्रांट दी थी, जो उच्च स्तर की नहीं थी. महज संस्थाओं को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें सेमीनार और कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के ग्रांट दिए जाते थे. जांच समिति ने प्रोफेसर्स के प्रमोशन और अप्वाइंटमेंट को लेकर भी रिपोर्ट में बताया है कि नियम शर्तों का उल्लंघन कर कई प्रोफेसर को अप्वाइंटमेंट और प्रमोशन दिया गया है.
ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी ने बताया कि जांच समिति ने 10 चैप्टर्स में यह पूरी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को दी है. अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही प्रोफेसर से पूछताछ की जाएगी और यह इन्वेस्टिगेशन की जाएगी कि प्रोफेसर को किस विषय के लिए अप्वाइंट किया गया है और उसके लिए प्रोफेसर योग्य है या नहीं या उसके पास संबंधित विषय की डिग्री और शर्तों के मुताबिक योग्यता है या नहीं. माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले को लेकर ईओडब्ल्यू की टीम माखनलाल यूनिवर्सिटी में सर्च भी करेगी और जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है, उनसे पूछताछ भी करेगी.