भोपाल। बीते दिन दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग बैठक आयोजित की गयी. जिसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी राज्यों में कृषि क्षेत्र में संरचनागत सुधारों की आवश्यकता बताते हुये कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ने के बावजूद कृषि बाजार में सुधार की आवश्यकता है. जिससे किसानों को उनकी उपज का अच्छे दाम मिल सके.
कमल नाथ ने ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट योजना की ओर ध्यान आकर्षित करते हुये कहा कि ई-पेमेंट सिस्टम अभी भी पूरी तरह व्यवहार में नहीं आ पाया है, जिससे राज्यों को परेशानी हो रही है. इसी प्रकार किसानों के लिये समस्याओं का समाधान करने की व्यवस्था भी स्थापित होना चाहिये. उन्होंने कहा कि एक मण्डी में किसी उपज की गुणवत्ता निर्धारित होने पर उसे सभी मण्डियों के लिये उपयुक्त माना जाना चाहिये.
आयात-निर्यात की एक सुदृढ़ व्यवस्था स्थापित करने पर जोर
सीएम कमलनाथ ने कहा कि एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी अधिनियम में सुधार कर इसे ज्यादा से ज्यादा किसान हितैषी बनाया जाना चाहिये. उन्होंने कृषि उपज के आयात-निर्यात की एक सुदृढ़ व्यवस्था स्थापित करने पर जोर दिया, जिससे सभी राज्यों के किसानों को लाभ मिले.
भू-जल संवर्धन पर बोले कमलनाथ
भू-जल संवर्धन और वर्षा जल के संवर्धन को सतत विकास के लिये जरूरी बताते हुये मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भविष्य में जनसंख्या बढ़ने के साथ ही मानव और औद्योगिक उपयोग के लिये पानी की मांग बढ़ेगी. इसे देखते हुये तत्काल भू-जल का संरक्षण करने की आवश्यकता है. सभी राज्यों को इसके लिये जलग्रहण की गतिविधियों में तेजी लाना पड़ेगी. उन्होंने कहा कि भू-जल का संवर्धन सभी राज्यों के सामूहिक प्रयासों से ही संभव है.
मध्यप्रदेश का दिया उदाहरण
मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए कमल नाथ ने कहा कि प्रदेश में 40 नदियों को जलग्रहण क्षेत्र का उपचार करने के लिये नदी के बहाव को बरकरार रखने की परियोजना चलायी जा रही है. उन्होंने कहा कि भू-जल संवर्धन के लिये केन्द्रीय भू-जल बोर्ड से तकनीकी सहयोग और केन्द्र से वित्तीय सहयोग की जरूरत होगी. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में सभी जल संरचनाओं को जीवन देने की गतिविधियों को बड़े पैमाने पर लागू किया जायेगा.
पिछड़े विकासखण्डों की पहचान
नीति आयोग को मध्यप्रदेश के सूखा राहत उपायों की तैयारियों से अवगत करते हुये मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बताया कि मानसून में देरी की सूचनाओं के चलते कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर किसानों के लिये बीजों की उपयुक्त किस्में उपयोग कराई जा रही है. वहीं दूसरी ओर जिला आपदा प्रबंधन की तैयारियों को भी अद्यतन किया गया है. मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को बताया कि विकास के मापदण्डों पर पिछड़े जिलों की गणना करने की नीति आयोग की अवधारणा को अपनाते हुये 50 विकासखण्डों की पहचान की गई है, जिसमें 29 आदिवासी विकासखण्ड हैं, ताकि इनमें विकास कर ओर ज्यादा ध्यान दिया जा सके.
राज्यों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान
सुरक्षा संबंधी मुद्दों और चरमपंथ प्रभावित क्षेत्रों से जुड़े विषयों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों के लिये विशेष असूचना शाखाओं का गठन किया जाना चाहिये. जिसमें स्थानीय समुदाय का सक्रिय सहयोग होना चाहिये. उन्होंने कहा कि प्रभावित राज्यों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान का सुव्यवस्थित तंत्र स्थापित होना चाहिये और स्थानीय समुदायों में आत्मविश्वास बढ़ाने वाली गतिविधियों को केन्द्र सरकार के सहयोग से लागू किया जाना चाहिये.