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समर्थन मूल्य से किसानों का हुआ मोहभंग, खरीदी केंद्रों में व्याप्त अव्यवस्था बनी वजह

बुरहानपुर में ऐसे कई किसान हैं, जिन्होंने समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन तो करवाया, लेकिन उपज लेकर नहीं पहुंचे. इसकी वजह सरकारी क्रय केंद्रों की अव्यवस्था बताई जा रही है. किसान व्यापारियों को कम दाम में अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं.

Many farmers prefer to sell their crop out
समर्थन मूल्य से किसानों का मोह भंग
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Published : May 27, 2020, 2:38 PM IST

बुरहानपुर। प्रदेश सरकार किसानों की उपज खरीदने के बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन अव्यवस्थाओं के कारण खरीजी केंद्रों से किसानों का मोहभंग होता नजर आ रहा है. बुरहानपुर जिले में किसानों ने लगभग 15 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की थी, लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के चलते मात्र 1 हजार 867 किसानों ने ही समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन कराया, उसमें से भी मात्र 1 हजार 167 किसान ही अंतिम दिन तक अपनी उपज लेकर पहुंचे.

समर्थन मूल्य से किसानों का हुआ मोहभंग

नाफेड अधिकारी अमित मालवीय ने कहा कि, आज दिनांक तक जो खरीदी किसानों से हुई है उसका 8 करोड़ 69 लाख किसानों को भुगतान किया जाना था, जिसमें से 6 करोड़ 19 लाख का भुगतान किया जा चुका है. कई किसान खरीदी केंद्रों की अव्यवस्थाओं की वजह से पंजीयन करवाने के बाद भी अपनी उपज लेकर नहीं पहुंचे. जिससे ये प्रतीत हो रहा है कि, मंडी में दलालों के सक्रिय होने के साथ-साथ किसानों को उनकी उपज का कम तौल बताया जाता है. जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी से बचने के लिए किसान मंडी में उपज बेचने की बजाए बाहर बेचने को मजबूर हैं. किसानों के हित की बात करने वाली प्रदेश सरकार की सच्चाई इस बात से भी उजागर होती है कि, मंडी तक किसान नहीं पहुंच पा रहे हैं और उनका मोह समर्थन मूल्य से भी भंग हो चुका है.

बुरहानपुर। प्रदेश सरकार किसानों की उपज खरीदने के बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन अव्यवस्थाओं के कारण खरीजी केंद्रों से किसानों का मोहभंग होता नजर आ रहा है. बुरहानपुर जिले में किसानों ने लगभग 15 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की थी, लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के चलते मात्र 1 हजार 867 किसानों ने ही समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन कराया, उसमें से भी मात्र 1 हजार 167 किसान ही अंतिम दिन तक अपनी उपज लेकर पहुंचे.

समर्थन मूल्य से किसानों का हुआ मोहभंग

नाफेड अधिकारी अमित मालवीय ने कहा कि, आज दिनांक तक जो खरीदी किसानों से हुई है उसका 8 करोड़ 69 लाख किसानों को भुगतान किया जाना था, जिसमें से 6 करोड़ 19 लाख का भुगतान किया जा चुका है. कई किसान खरीदी केंद्रों की अव्यवस्थाओं की वजह से पंजीयन करवाने के बाद भी अपनी उपज लेकर नहीं पहुंचे. जिससे ये प्रतीत हो रहा है कि, मंडी में दलालों के सक्रिय होने के साथ-साथ किसानों को उनकी उपज का कम तौल बताया जाता है. जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी से बचने के लिए किसान मंडी में उपज बेचने की बजाए बाहर बेचने को मजबूर हैं. किसानों के हित की बात करने वाली प्रदेश सरकार की सच्चाई इस बात से भी उजागर होती है कि, मंडी तक किसान नहीं पहुंच पा रहे हैं और उनका मोह समर्थन मूल्य से भी भंग हो चुका है.

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