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कानबाई माता की शोभा यात्रा में जमकर थिरके मराठी समाज के लोग, ढपली की थाप पर गाये गीत

बड़े ही उल्लास के साथ कानबाई माता की शोभा यात्रा निकाली गई. जिसमें मराठी समाज के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. माता के लिए गाए भजन और की अमन-चैन की प्रार्थना की.

बड़े ही उल्लास के साथ निकाली गई कानबाई माता की शोभा यात्रा
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Published : Aug 12, 2019, 6:02 PM IST

बुरहानपुर। जिले में कानबाई माता की शोभा यात्रा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ निकाली गई. मराठी समाज के स्थानीय लोगों ने इस अवसर पर ढपली की थाप पर माता के गीत और भजन गाए. इस समाज में कानबाई माता का विशेष महत्व है.

बड़े ही उल्लास के साथ निकाली गई कानबाई माता की शोभा यात्रा
मराठी समाज हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के द्वादश को चने की दाल और गुड़ से मीठी पूरनपोली और खीर बनाकर माता को भोग लगाते हैं. इसके बाद बड़ी धूमधाम से शोभा यात्रा निकाल कर कानबाई माता को स्नान के लिए ताप्ती नदी के तट पर ले जाते हैं, फिर माता के भजन गाए जाते हैं. स्नान से पूर्व लोगों ने कानबाई माता से बाढ़ से प्रभावित लोगों की सलामती और देश में अमन चैन की भी प्रार्थना की.इस अवसर पर महापौर अनिल भोसले ने बताया कि मराठी लोग नाग पंचमी के दिन कानबाई माता को घरों में विराजित करते हैं, जिसके बाद इस पर्व पर रोट के दिन कानबाई माता को स्नान के लिए ताप्ती नदी ले जाते हैं. स्नान के बाद माता के गीत और भजन गाए जाते हैं.

बुरहानपुर। जिले में कानबाई माता की शोभा यात्रा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ निकाली गई. मराठी समाज के स्थानीय लोगों ने इस अवसर पर ढपली की थाप पर माता के गीत और भजन गाए. इस समाज में कानबाई माता का विशेष महत्व है.

बड़े ही उल्लास के साथ निकाली गई कानबाई माता की शोभा यात्रा
मराठी समाज हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के द्वादश को चने की दाल और गुड़ से मीठी पूरनपोली और खीर बनाकर माता को भोग लगाते हैं. इसके बाद बड़ी धूमधाम से शोभा यात्रा निकाल कर कानबाई माता को स्नान के लिए ताप्ती नदी के तट पर ले जाते हैं, फिर माता के भजन गाए जाते हैं. स्नान से पूर्व लोगों ने कानबाई माता से बाढ़ से प्रभावित लोगों की सलामती और देश में अमन चैन की भी प्रार्थना की.इस अवसर पर महापौर अनिल भोसले ने बताया कि मराठी लोग नाग पंचमी के दिन कानबाई माता को घरों में विराजित करते हैं, जिसके बाद इस पर्व पर रोट के दिन कानबाई माता को स्नान के लिए ताप्ती नदी ले जाते हैं. स्नान के बाद माता के गीत और भजन गाए जाते हैं.
Intro:बुरहानपुर जिले के विभिन्न स्थानों से आज कानबाई माता की शोभायात्रा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ निकाली गई, जहां स्थानीय महाराष्ट्रीयन समाज के लोगों ने इस अवसर पर ढपली की थाप पर माता के गीत और भजन गाए, बता दे कि महाराष्ट्रीयन लोगों में कानबाई माता का एक विशेष महत्व है, महाराष्ट्रीयन समाज हर वर्ष श्रावण शुक्ल मास में चने की दाल और गुड़ से मीठी पूरनपोली और दूध की खीर बनाकर माता को अलसुबह भोग लगाते हैं, जिसके बाद बड़ी धूमधाम से शोभायात्रा के रूप में कानबाई माता को स्नान के लिए ताप्ती नदी के तट पर ले जाया जाता है, माता के स्नान के बाद स्थानीय अग्रसेन चौक में बही यानि माता के भजन गाए जाते हैं, जहां शिष्य अपने गुरु की शान में बही पढ़ते हैं।


Body:ताप्ती नदी के राजघाट के तट पर कानबाई माता के स्नान से पूर्व महाराष्ट्रीयन समाज के लोगों ने कानबाई माता से बाढ़ के प्रकोप से प्रभावित लोगो की सलामती की प्रार्थना की है, साथ ही देश में अमन चैन की भी प्रार्थना की गई, महापौर अनिल भोसले ने बताया कि मराठी भाषी महाराष्ट्रीयन लोग नाग पंचमी के दिन कानबाई माता को घरों में विराजित करते हैं, जिसके बाद महाराष्ट्रीयन पर्व रोट के दिन कानबाई माता को स्नान के लिए ताप्ती नदी लाया जाता है, स्नान के पश्चात अग्रसेन चौक में माता के गीत और भजन गाए जाते हैं।


Conclusion:बाईट 01:- अनिल भोसले, समाजजन व महापौर।
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