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प्रशासन की अनदेखी ने कबाड़ बना दिया छह से अधिक एंबुलेंस, मरीजों को नहीं मिल रही सुविधाएं - कबाड़ बने एंबुलेंस

श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेत्र चिकित्सालय परिसर में देखरेख के अभाव में एंबुलेंस कबाड़ में तब्दील हो रही है, इनमें करीब आधा दर्जन से अधिक संजीवनी 108 और एम्बुलेंस शामिल हैं.

Ambulance turned into junk
एंबुलेंस कबाड़ में तब्दील
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Published : Jun 29, 2020, 9:59 AM IST

बुरहानपुर। श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेत्र चिकित्सालय परिसर में शासन की तरफ से एंबुलेंस मरीजों की सुविधा के लिए प्रदान किए गए थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और देखरेख के अभाव में छह से अधिक एम्बुलेंस कबाड़ में तब्दील हो गए हैं. इनमें करीब आधा दर्जन से अधिक संजीवनी 108 और एम्बुलेंस शामिल हैं. उपयोग में नहीं आने की वजह से ये वाहन अब पूरी तरह बेकार हो चुके हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

ये सभी एम्बुलेंस मरीजों, प्रसूताओं सहित सड़क दुर्घटना में घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए मुहैया कराई गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते अब ये वाहन कबाड़ में पड़े हैं, जो अब अनुपयोगी हो चुके हैं, अधिकांश वाहनों के पार्ट्स भी गायब हो चुके हैं.

हालात ये हैं कि कई बार मरीजों को सरकारी एम्बुलेंस के अभाव में निजी वाहनों से जिला अस्पताल जाना पड़ता है, ऐसे में निजी वाहन चालक मनमाना किराया वसूलते हैं, जिससे मरीजों के परिजनों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और पर्याप्त परिवहन साधनों के दावे किए जाते हैं, लेकिन ये तस्वीरें उन दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं. अब देखना ये है कि स्वास्थ्य विभाग इन एम्बुलेंस को कब दुरुस्त करवाकर मरीजों को सहूलियत प्रदान करता है.

अगर बात स्वास्थ्य विभाग के वाहनों की जाए तो जो वाहन चालू स्थिति में हैं, उनकी स्थिति बद से बदतर है, जबकि संजीवनी 108 और एम्बुलेंस स्वास्थ्य विभाग को कुछ वर्ष पहले ही दिए गए थे, पर रखरखाव और अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये अब कबाड़ हो चुके हैं, यही वजह है कि मरीजों को संजीवनी 108 और एम्बुलेंस की सुविधाओं से महरूम होना पड़ता है.

बुरहानपुर। श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेत्र चिकित्सालय परिसर में शासन की तरफ से एंबुलेंस मरीजों की सुविधा के लिए प्रदान किए गए थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और देखरेख के अभाव में छह से अधिक एम्बुलेंस कबाड़ में तब्दील हो गए हैं. इनमें करीब आधा दर्जन से अधिक संजीवनी 108 और एम्बुलेंस शामिल हैं. उपयोग में नहीं आने की वजह से ये वाहन अब पूरी तरह बेकार हो चुके हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

ये सभी एम्बुलेंस मरीजों, प्रसूताओं सहित सड़क दुर्घटना में घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए मुहैया कराई गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते अब ये वाहन कबाड़ में पड़े हैं, जो अब अनुपयोगी हो चुके हैं, अधिकांश वाहनों के पार्ट्स भी गायब हो चुके हैं.

हालात ये हैं कि कई बार मरीजों को सरकारी एम्बुलेंस के अभाव में निजी वाहनों से जिला अस्पताल जाना पड़ता है, ऐसे में निजी वाहन चालक मनमाना किराया वसूलते हैं, जिससे मरीजों के परिजनों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और पर्याप्त परिवहन साधनों के दावे किए जाते हैं, लेकिन ये तस्वीरें उन दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं. अब देखना ये है कि स्वास्थ्य विभाग इन एम्बुलेंस को कब दुरुस्त करवाकर मरीजों को सहूलियत प्रदान करता है.

अगर बात स्वास्थ्य विभाग के वाहनों की जाए तो जो वाहन चालू स्थिति में हैं, उनकी स्थिति बद से बदतर है, जबकि संजीवनी 108 और एम्बुलेंस स्वास्थ्य विभाग को कुछ वर्ष पहले ही दिए गए थे, पर रखरखाव और अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये अब कबाड़ हो चुके हैं, यही वजह है कि मरीजों को संजीवनी 108 और एम्बुलेंस की सुविधाओं से महरूम होना पड़ता है.

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