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MP JUDO Star: युवाओं के आइकॉन अनुराग कुशवाहा, रातभर ऑटो चलाते और दिन में कड़ी प्रैक्टिस, जूडो में जीता गोल्ड मेडल

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 21, 2023, 9:06 AM IST

Updated : Sep 21, 2023, 9:32 AM IST

अगर इंसान के हौसले बुलंद हैं और कड़ी मेहनत की जाए तो बड़ी से बड़ी बाधा भी खत्म हो जाती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भोपाल के अनुराग कुशवाहा ने. अनुराग ने जूडो खेल में मध्यप्रदेश की शान बढ़ाई है. जूनियर व सीनियर लेवल पर जूडो में अनुराग गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. रातभर ऑटो चलाना और फिर दिन में जूडो के लिए कड़ी मेहनत करके अनुराग ने युवाओं को नई राह दिखाई है. पढ़िए ईटीवी भारत के भोपाल से संवाददाता आदर्श चौरसिया की खास रिपोर्ट...

MP JUDO Star
युवाओं के आइकॉन अनुराग कुशवाहा जूडो में जीता गोल्ड मेडल
अनुराग कुशवाहा से खास बातचीत

भोपाल। जूडो में नाम कमाने वाले अनुराग कुशवाहा अभी मात्र 21 साल के हैं. ढाई साल पहले वह ऑटो चलाया करते थे. क्योंकि उनके घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह फ्री होकर खेल का अभ्यास कर सकें. लेकिन अनुराग को जुनून था कि उन्हें जूडो में ही आगे बढ़ना है. 6 फीट 4 इंच हाइट के अनुराग जब कॉलेज में पढ़ते तभी वह जूडो में अपना भविष्य बनाना चाहते थे. उन्होंने शुरुआती दौर में बॉक्सिंग के कैंप को ज्वाइन किया. लेकिन हाइट के साथ ही वजन ज्यादा होने के चलते उनका सिलेक्शन नहीं हो पा रहा था. तभी जूडो के कोच का उन पर ध्यान गया और उन्हें इस खेल से जुड़ने की सलाह दी. एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अनुराग ने स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल किया तो नेशनल भी खेलकर आए.

घर की आर्थिक स्थिति कमजोर : अनुराग उन खिलाड़ियों में शुमार हैं, जो कम समय में बेहतर मुकाम पर पहुंच गए हैं. अनुराग बताते हैं कि उनके पिता गार्ड हैं. घर में एक भाई और एक बहन है. मां आशा कार्यकर्ता हैं. घर की स्थिति अच्छी नहीं थी. ऐसे में घर में पैसों की भी परेशानी हुआ करती थी. अनुराग कुशवाहा हाइट और हेल्थ दोनों को लेकर कई बार हंसी-ठिठोली और लोगों के मजाक का भी केंद्र बने. लेकिन उनका रुझान खेलों की ओर था. ऐसे में वह उन्होंने बॉक्सिंग के एक ट्रायल कैंप में शिरकत की और एक महीने प्रैक्टिस करते रहे. लेकिन कहते हैं कि किस्मत में कुछ और ही लिखा था. वहां उनको उतना प्रोत्साहन नहीं मिला. एक दिन उनका जूडो के कोच से सामना हुआ. उन्होंने जूडो खेल में अनुराग को आने को कहा.

रातभर ऑटो चलाया, दिन में प्रैक्टिस : इसके बाद अनुराग ने भी कड़ी मेहनत की और सालभर में ही उस मुकाम पर पहुंच गए जहां पहुंचने में लोगों को कई साल लगते हैं. अनुराग बताते हैं कि पैसे नहीं होने के कारण पहले उन्होंने बाउंसर की नौकरी की. अनुराग की हाइट 6 फुट 4 इंच से अधिक है. इसलिए उन्हें ये काम आसानी से मिल गया. लेकिन वहां ड्यूटी बहुत लंबी करनी पड़ती थी. ऐसे में उनकी ना डाइट पूरी हो पाती और ना ही वह किसी खेल में जा पाते थे. घर से स्टेडियम की दूरी 50 किलोमीटर थी. ऐसे में वह पार्ट टाइम ऑटो चलाने लगे. अनुराग बताते हैं कि उनके एक दोस्त की ऑटो थी और उसी को चलाकर वह कुछ पैसा कमा लेते थे. जिससे उनका खर्चा निकल आता था.

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21 किलो कम किया वजन : भोपाल के पास बैरसिया के गांव के रहने वाले अनुराग कहते हैं कि जब वह रातभर ऑटो चलाकर सुबह खेलने जाते थे उनके गांव के लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे. अनुराग जब प्रैक्टिस शुरू की तब उनका वजन 120 किलो के आसपास था. ऐसे में 1 साल के अंदर उन्होंने अपने 21 किलो वजन को कम किया. अब अंडर 100 के अंदर वह खेला करते हैं. अनुराग कहते हैं कि इसके लिए भी उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी. अनुराग ने 2021 में पहली बार जूनियर नेशनल रैंकिंग खेली थी. इसके बाद 2022 में हुई जूनियर स्टेट में अनुराग ने गोल्ड मेडल हासिल किया. इसी साल हुई सीनियर स्टेट चैंपियनशिप में उन्हें सिल्वर मेडल मिला. अनुराग का कहना है कि 28 अक्टूबर से गोवा में नेशनल की तैयारी के लिए कैंप लग रहा है. उसमें भी उनका चयन हुआ है.

अनुराग कुशवाहा से खास बातचीत

भोपाल। जूडो में नाम कमाने वाले अनुराग कुशवाहा अभी मात्र 21 साल के हैं. ढाई साल पहले वह ऑटो चलाया करते थे. क्योंकि उनके घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह फ्री होकर खेल का अभ्यास कर सकें. लेकिन अनुराग को जुनून था कि उन्हें जूडो में ही आगे बढ़ना है. 6 फीट 4 इंच हाइट के अनुराग जब कॉलेज में पढ़ते तभी वह जूडो में अपना भविष्य बनाना चाहते थे. उन्होंने शुरुआती दौर में बॉक्सिंग के कैंप को ज्वाइन किया. लेकिन हाइट के साथ ही वजन ज्यादा होने के चलते उनका सिलेक्शन नहीं हो पा रहा था. तभी जूडो के कोच का उन पर ध्यान गया और उन्हें इस खेल से जुड़ने की सलाह दी. एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अनुराग ने स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल किया तो नेशनल भी खेलकर आए.

घर की आर्थिक स्थिति कमजोर : अनुराग उन खिलाड़ियों में शुमार हैं, जो कम समय में बेहतर मुकाम पर पहुंच गए हैं. अनुराग बताते हैं कि उनके पिता गार्ड हैं. घर में एक भाई और एक बहन है. मां आशा कार्यकर्ता हैं. घर की स्थिति अच्छी नहीं थी. ऐसे में घर में पैसों की भी परेशानी हुआ करती थी. अनुराग कुशवाहा हाइट और हेल्थ दोनों को लेकर कई बार हंसी-ठिठोली और लोगों के मजाक का भी केंद्र बने. लेकिन उनका रुझान खेलों की ओर था. ऐसे में वह उन्होंने बॉक्सिंग के एक ट्रायल कैंप में शिरकत की और एक महीने प्रैक्टिस करते रहे. लेकिन कहते हैं कि किस्मत में कुछ और ही लिखा था. वहां उनको उतना प्रोत्साहन नहीं मिला. एक दिन उनका जूडो के कोच से सामना हुआ. उन्होंने जूडो खेल में अनुराग को आने को कहा.

रातभर ऑटो चलाया, दिन में प्रैक्टिस : इसके बाद अनुराग ने भी कड़ी मेहनत की और सालभर में ही उस मुकाम पर पहुंच गए जहां पहुंचने में लोगों को कई साल लगते हैं. अनुराग बताते हैं कि पैसे नहीं होने के कारण पहले उन्होंने बाउंसर की नौकरी की. अनुराग की हाइट 6 फुट 4 इंच से अधिक है. इसलिए उन्हें ये काम आसानी से मिल गया. लेकिन वहां ड्यूटी बहुत लंबी करनी पड़ती थी. ऐसे में उनकी ना डाइट पूरी हो पाती और ना ही वह किसी खेल में जा पाते थे. घर से स्टेडियम की दूरी 50 किलोमीटर थी. ऐसे में वह पार्ट टाइम ऑटो चलाने लगे. अनुराग बताते हैं कि उनके एक दोस्त की ऑटो थी और उसी को चलाकर वह कुछ पैसा कमा लेते थे. जिससे उनका खर्चा निकल आता था.

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21 किलो कम किया वजन : भोपाल के पास बैरसिया के गांव के रहने वाले अनुराग कहते हैं कि जब वह रातभर ऑटो चलाकर सुबह खेलने जाते थे उनके गांव के लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे. अनुराग जब प्रैक्टिस शुरू की तब उनका वजन 120 किलो के आसपास था. ऐसे में 1 साल के अंदर उन्होंने अपने 21 किलो वजन को कम किया. अब अंडर 100 के अंदर वह खेला करते हैं. अनुराग कहते हैं कि इसके लिए भी उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी. अनुराग ने 2021 में पहली बार जूनियर नेशनल रैंकिंग खेली थी. इसके बाद 2022 में हुई जूनियर स्टेट में अनुराग ने गोल्ड मेडल हासिल किया. इसी साल हुई सीनियर स्टेट चैंपियनशिप में उन्हें सिल्वर मेडल मिला. अनुराग का कहना है कि 28 अक्टूबर से गोवा में नेशनल की तैयारी के लिए कैंप लग रहा है. उसमें भी उनका चयन हुआ है.

Last Updated : Sep 21, 2023, 9:32 AM IST
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