भोपाल। मजबूत इच्छाशक्ति और बुलंद हौसले के चलते हैदराबाद में इलाज करा रहे सागर के कोरोना योद्धा डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा ने अपनी जिंदगी की जंग जीत ली है. यशोद अस्पताल प्रबंधन ने उनकी हिम्मत को सलाम किया है. यशोदा अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इलाज के दौरान सत्येंद्र मिश्रा में गजब की हिम्मत दिखी. प्रबंधन ने बताया कि ठीक होने के बाद वह फिर से सागर जाकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है.
संक्रमितों का इलाज करते-करते हुए थे संक्रमित
यशोदा अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा एक कोरोना योद्धा हैं. वह खुद एक पल्मोनोलॉजिस्ट हैं. डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. उनमें संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि वह बहुत जल्द ही वेंटिलेशन पर आ गए. निस्वार्थ भाव से मरीजों के प्रति उनकी निष्ठा और कर्त्वय को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी खर्च पर यशोदा अस्पताल में सत्येंद्र मिश्रा का इलाज कराने की बात कही. इसके बाद उन्हें सागर से भोपाल और फिर वहां से हैदराबाद के लिए एयरलिफ्ट किया गया.
यशोदा अस्पताल में चल रहा था इलाज
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि कोरोना मरीज के फेफड़ों में अगर संक्रमण अधिक फैल जाए तो 4-6 सप्ताह के अंदर फेफड़ों के प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. ऐसे में यशोदा अस्पताल विश्व के गिने चुने अस्पतालों में से एक है, जहां कोरोना संक्रमित मरीज के फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है.
फेफड़ों का अधिकतम भाग हुआ था डैमेज
यशोदा अस्पताल के प्रबंधन ने बताया कि कोरोना के चलते डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा के फेफड़ों का अधिकतम भाग बुरी तरह से डैमेज हो चुका था. ऐसे में यशोदा अस्पताल के डॉक्टरों के सामने एक चुनौती भरा कार्य था. प्रथम चरण में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और ऑक्सीजन की सप्लाई उच्च स्तर पर जारी रखी. सही मेडिकल ट्रीटमेंट, ऑक्सीजन और एंटीबायोटिक दवाओं के चलते सत्येंद्र मिश्रा को पहले सप्ताह के अंत तक वेंटिलेटर से हटा दिया गया. यशोद मेडिकल स्टाफ द्वारा सही देखभाल के चलते उनकी सेहत में सुधार हुआ, अब उन्हें छुट्टी दी जा सकती है.
डॉ. सत्येंद्र मिश्रा की अस्पताल से छुट्टी, अगले हफ्ते होगी सागर वापसी
प्रबंधन ने कहा कि हम उनका, उनके परिवार और मध्य प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हैं, कि उन्होंने यशोदा अस्पताल में अपना विश्वास जताया. उन्होंने कहा कि डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा का इलाज करके उन्हें भी खुशी हुई है. बिना फेफड़ों के प्रत्यारोपण के अब वह सामान्य जीवन जी सकते हैं. उन्होंने कहा कि ठीक होने के बाद सत्येंद्र मिश्रा में काफी उत्साह है. वह फिर से लोगों की बीच जाकर उनका इलाज करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यशोदा अस्पताल सत्येंद्र मिश्रा की निष्ठा, बहादुरी और जज्बे को सलाम करता है.