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प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मिलेगा पोषण, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी - भोपाल न्यूज

मध्यप्रदेश में छोटे बच्चों के लिए पोषण माह चलाया जा रहा है, तो यह सवाल उठता है कि, जो मजदूर पलायन करके प्रदेश में आए हैं, उनके बच्चों को इस महीने के दौरान चलाए जा रहे अभियान का फायदा कैसे दिया जाएगा. इसे लेकर ईटीवी भारत ने महिला एवं बाल विकास संचालनालय की संचालिका स्वाति मीणा से बात की.

Children will get nutrition
बच्चों को मिलेगा पोषण
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Published : Sep 2, 2020, 7:28 PM IST

भोपाल। कोरोना काल के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते जब काम बंद किया गया, तो हजारों की संख्या में मजदूरों ने पलायन किया. ये ऐसे मजदूर थे, जो काम के सिलसिले में अपने स्थानीय गांव, प्रदेश से दूर जाकर किसी दूसरे शहर और प्रदेश में काम कर रहे थे, लॉकडाउन के कारण काम न मिलने के चलते ये सब वापस अपने गांव की ओर लौट आए.

महिला एवं बाल विकास संचालनालय की संचालिका स्वाति मीणा

पलायन कर रहे मजदूरों में हर उम्र का व्यक्ति शामिल था. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या महिलाएं, सभी काम रोजगार ना मिलने के कारण अपने- अपने गांव लौटने पर मजबूर हो गए. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले इन मजदूर परिवार के सदस्यों का कोई भी रजिस्ट्रेशन कहीं भी उपलब्ध नहीं है.

मध्यप्रदेश में भी दूसरे प्रदेशों से सैकड़ों की संख्या में मजदूर अपने- अपने गांव की ओर लौटे, जिनमें गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे. चूंकि ये सभी मध्य प्रदेश के नागरिक हैं, इसलिए यहां की योजनाओं का लाभ लेने की पात्रता भी रखते हैं. लेकिन एकीकृत आंकड़े ना होने के कारण ये प्रदेश की योजनाओं से वंचित रहे हैं. इनमें खासतौर पर छोटे बच्चे शामिल हैं. अब जब मध्यप्रदेश में छोटे बच्चों के लिए पोषण माह चलाया जा रहा है, तो ये सवाल उठता है कि, जो बच्चे पलायन करके प्रदेश में आए हैं, उन्हें इस महीने के दौरान चलाए जा रहे अभियान का फायदा कैसे दिया जाएगा.

ऐसे मिलेगा पलायन कर आये मजदूरों के बच्चों को पोषण

पोषण माह के तहत ऐसे बच्चे जो अपने माता- पिता के साथ पलायन कर प्रदेश में आए हैं. उनके लिए क्या योजना महिला एवं बाल विकास विभाग की है, इस बारे में जानकारी देते हुए विभाग की संचालक स्वाती मीणा नायक ने बताया कि, जब मजदूरों का पलायन गांव की ओर हुआ. तब वहां पर हेल्थ कैंप लगाए गए, उसी समय महिला एवं बाल विकास ने इन हेल्थ कैंपो के साथ ही एक अस्थाई आंगनबाड़ियों का भी सेटअप किया.

आंगनबाड़ियों का काम था कि, पलायन करके आए मजदूरों के परिवार में जो छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं हैं, उनकी जानकारी मिल सके, इसके साथ ही इन बच्चों में से ऐसे बच्चों को भी चिन्हांकित किया है, जो कुपोषित हैं. जिलेवार रोजाना आंकड़े इकट्ठा किए गए हैं, जिन्हें केंद्र सरकार को भी भेजा गया है. पोषण माह के तहत जो भी लाभ प्रदेश के अन्य बच्चों को दिए जाएंगे, वो लाभ इन पलायन करके आए मजदूरों के बच्चों को भी देने की कोशिश होगी.

जानिए क्या हैं पोषण माह अभियान

केंद्र सरकार की योजना पोषण माह अभियान साल 2018 से मध्य प्रदेश में भी हर साल आयोजित किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य है जन आंदोलन और जनभागीदारी से कुपोषण को मिटाना. इस साल कोविड-19 के कारण बच्चों की ग्रोथ की मॉनिटरिंग पर असर पड़ा है, जिसे लेकर इस साल का उद्देश्य अति कुपोषित बच्चों को चिन्हांकित कर उनकी मॉनिटरिंग करना और दूसरा किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए पौधारोपण अभियान चलाना. इसके लिए महिला एवं बाल विकास की ओर से बच्चों को सूचीबद्ध करने शारीरिक माप का रिकॉर्ड रखने और गंभीर कुपोषित बच्चों का पोषण प्रबंधन और उनकी निगरानी करने का काम किया जाएगा.

भोपाल। कोरोना काल के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते जब काम बंद किया गया, तो हजारों की संख्या में मजदूरों ने पलायन किया. ये ऐसे मजदूर थे, जो काम के सिलसिले में अपने स्थानीय गांव, प्रदेश से दूर जाकर किसी दूसरे शहर और प्रदेश में काम कर रहे थे, लॉकडाउन के कारण काम न मिलने के चलते ये सब वापस अपने गांव की ओर लौट आए.

महिला एवं बाल विकास संचालनालय की संचालिका स्वाति मीणा

पलायन कर रहे मजदूरों में हर उम्र का व्यक्ति शामिल था. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या महिलाएं, सभी काम रोजगार ना मिलने के कारण अपने- अपने गांव लौटने पर मजबूर हो गए. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले इन मजदूर परिवार के सदस्यों का कोई भी रजिस्ट्रेशन कहीं भी उपलब्ध नहीं है.

मध्यप्रदेश में भी दूसरे प्रदेशों से सैकड़ों की संख्या में मजदूर अपने- अपने गांव की ओर लौटे, जिनमें गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे. चूंकि ये सभी मध्य प्रदेश के नागरिक हैं, इसलिए यहां की योजनाओं का लाभ लेने की पात्रता भी रखते हैं. लेकिन एकीकृत आंकड़े ना होने के कारण ये प्रदेश की योजनाओं से वंचित रहे हैं. इनमें खासतौर पर छोटे बच्चे शामिल हैं. अब जब मध्यप्रदेश में छोटे बच्चों के लिए पोषण माह चलाया जा रहा है, तो ये सवाल उठता है कि, जो बच्चे पलायन करके प्रदेश में आए हैं, उन्हें इस महीने के दौरान चलाए जा रहे अभियान का फायदा कैसे दिया जाएगा.

ऐसे मिलेगा पलायन कर आये मजदूरों के बच्चों को पोषण

पोषण माह के तहत ऐसे बच्चे जो अपने माता- पिता के साथ पलायन कर प्रदेश में आए हैं. उनके लिए क्या योजना महिला एवं बाल विकास विभाग की है, इस बारे में जानकारी देते हुए विभाग की संचालक स्वाती मीणा नायक ने बताया कि, जब मजदूरों का पलायन गांव की ओर हुआ. तब वहां पर हेल्थ कैंप लगाए गए, उसी समय महिला एवं बाल विकास ने इन हेल्थ कैंपो के साथ ही एक अस्थाई आंगनबाड़ियों का भी सेटअप किया.

आंगनबाड़ियों का काम था कि, पलायन करके आए मजदूरों के परिवार में जो छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं हैं, उनकी जानकारी मिल सके, इसके साथ ही इन बच्चों में से ऐसे बच्चों को भी चिन्हांकित किया है, जो कुपोषित हैं. जिलेवार रोजाना आंकड़े इकट्ठा किए गए हैं, जिन्हें केंद्र सरकार को भी भेजा गया है. पोषण माह के तहत जो भी लाभ प्रदेश के अन्य बच्चों को दिए जाएंगे, वो लाभ इन पलायन करके आए मजदूरों के बच्चों को भी देने की कोशिश होगी.

जानिए क्या हैं पोषण माह अभियान

केंद्र सरकार की योजना पोषण माह अभियान साल 2018 से मध्य प्रदेश में भी हर साल आयोजित किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य है जन आंदोलन और जनभागीदारी से कुपोषण को मिटाना. इस साल कोविड-19 के कारण बच्चों की ग्रोथ की मॉनिटरिंग पर असर पड़ा है, जिसे लेकर इस साल का उद्देश्य अति कुपोषित बच्चों को चिन्हांकित कर उनकी मॉनिटरिंग करना और दूसरा किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए पौधारोपण अभियान चलाना. इसके लिए महिला एवं बाल विकास की ओर से बच्चों को सूचीबद्ध करने शारीरिक माप का रिकॉर्ड रखने और गंभीर कुपोषित बच्चों का पोषण प्रबंधन और उनकी निगरानी करने का काम किया जाएगा.

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