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क्या वापसी के बाद कांग्रेस में राकेश सिंह चतुर्वेदी का बरकरार रहेगा रुतबा

लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए कांग्रेस पूरी ताकत लगा रही है. ऐसे में ग्वालियर चंबल संभाग में ब्राह्मण वोट बैंक और खासकर भिंड जिले में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद के साथ कांग्रेस ने सब कुछ भुला कर राकेश सिंह को वापस पार्टी में शामिल कर लिया.

राकेश सिंह की कांग्रेस में घर वापसी
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Published : Apr 23, 2019, 8:59 PM IST

भोपाल। ग्वालियर चंबल के कद्दावर नेता राकेश सिंह चतुर्वेदी की कांग्रेस में घर वापसी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है. लोकसभा चुनाव में आर-पार की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस ने पुरानी बातों को भुलाकर और कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद राकेश सिंह को पार्टी में शामिल तो कर लिया है लेकिन एमपी की सियासत में राकेश सिंह को लेकर एक सवाल खड़ा हो रहा है.जिस तरह विधानसभा में भरे सदन में राकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस को धोखा देकर बीजेपी का दामन थामा था, ऐसे में क्या कांग्रेस में वापसी के बाद भी उनका पुराना रूतबा बरकार रहेगा.

राकेश सिंह की कांग्रेस में घर वापसी

लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए कांग्रेस पूरी ताकत लगा रही है. ऐसे में ग्वालियर चंबल संभाग में ब्राह्मण वोट बैंक और खासकर भिंड जिले में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद के साथ कांग्रेस ने सब कुछ भुला कर राकेश सिंह को वापस पार्टी में शामिल कर लिया.

कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि राकेश सिंह चौधरी कांग्रेस के बहुत वरिष्ठ और पुराने नेता रहे हैं. उन्होंने कहा कि राकेश सिंह ने खुद स्वीकार किया है कि उनसे गलती हो गई थी. बीजेपी में जाना उनकी सबसे बड़ी भूल थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें स्वीकार कर लिया है और पार्टी को इसका फायदा जरूर मिलेगा.

राकेश सिंह के बीजेपी छोड़ने और घर वापसी पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि राकेश सिंह को लेकर आज भी कांग्रेस की क्या परिस्थितियां हैं, किसी से छुपी नहीं हैं. नेता आज भी उनसे द्वेष रखते हैं. इसलिए आने वाली परिस्थितियां कितनी सुखद होंगी, यह कहा नहीं जा सकता है.

भोपाल। ग्वालियर चंबल के कद्दावर नेता राकेश सिंह चतुर्वेदी की कांग्रेस में घर वापसी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है. लोकसभा चुनाव में आर-पार की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस ने पुरानी बातों को भुलाकर और कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद राकेश सिंह को पार्टी में शामिल तो कर लिया है लेकिन एमपी की सियासत में राकेश सिंह को लेकर एक सवाल खड़ा हो रहा है.जिस तरह विधानसभा में भरे सदन में राकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस को धोखा देकर बीजेपी का दामन थामा था, ऐसे में क्या कांग्रेस में वापसी के बाद भी उनका पुराना रूतबा बरकार रहेगा.

राकेश सिंह की कांग्रेस में घर वापसी

लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए कांग्रेस पूरी ताकत लगा रही है. ऐसे में ग्वालियर चंबल संभाग में ब्राह्मण वोट बैंक और खासकर भिंड जिले में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद के साथ कांग्रेस ने सब कुछ भुला कर राकेश सिंह को वापस पार्टी में शामिल कर लिया.

कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि राकेश सिंह चौधरी कांग्रेस के बहुत वरिष्ठ और पुराने नेता रहे हैं. उन्होंने कहा कि राकेश सिंह ने खुद स्वीकार किया है कि उनसे गलती हो गई थी. बीजेपी में जाना उनकी सबसे बड़ी भूल थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें स्वीकार कर लिया है और पार्टी को इसका फायदा जरूर मिलेगा.

राकेश सिंह के बीजेपी छोड़ने और घर वापसी पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि राकेश सिंह को लेकर आज भी कांग्रेस की क्या परिस्थितियां हैं, किसी से छुपी नहीं हैं. नेता आज भी उनसे द्वेष रखते हैं. इसलिए आने वाली परिस्थितियां कितनी सुखद होंगी, यह कहा नहीं जा सकता है.

Intro:भोपाल। ग्वालियर चंबल के कद्दावर नेताओं में शुमार राकेश सिंह चतुर्वेदी की कांग्रेस में वापसी हो चुकी है। हालांकि पार्टी में उनकी वापसी का भारी विरोध था। लेकिन लोकसभा चुनाव में आर पार की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस ने पुरानी बातें बिसार कर उन्हें अपनाने का काम किया है। लेकिन मध्य प्रदेश की सियासत में एक बड़ा सवाल बार-बार उठ रहा है कि जिस तरह से विधानसभा में भरे सदन में राकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस को धोखा देकर बीजेपी का दामन थामा था, ऐसे में क्या कांग्रेस उन्हें स्वीकार कर पाएगी।


Body:यह सवाल बड़ा भी है और अहम भी है। क्योंकि जिस तरह से राकेश सिंह ने कांग्रेस को धोखा देकर भाजपा का दामन थामा था, वह माफी के लायक नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि सियासत में सब कुछ जायज है और राकेश सिंह की वापसी में कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। उन्होंने 2013 में तत्कालीन विधानसभा के आखिरी सत्र में जब कांग्रेस शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर रही थी, तब अचानक से अविश्वास प्रस्ताव का विरोध कर कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस घटना ने कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं को गहरा सदमा दिया था। 2013 में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बन गई। राकेश सिंह के भाई मुकेश चतुर्वेदी भी बीजेपी के टिकट पर विधायक बन गए। लेकिन उन्हे जो सम्मान और रुतबा कांग्रेस में हासिल था, वह बीजेपी में कभी हासिल नहीं हो सका। यहां तक कि राकेश सिंह को राज्यसभा भेजने का वादा करने वाले शिवराज सिंह भी अपना वादा भूल गए। राज्य में जब तक शिवराज की सत्ता कायम रही, तब तक राकेश सिंह चुप्पी साधे रहे और 2018 विधानसभा चुनाव का इंतजार करते रहे। अपने राजनीतिक अनुभव से उन्हें अंदाजा हो गया था कि 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस वापसी कर सकती है। इसलिए उन्होंने सुरेश पचौरी के जरिए कांग्रेस में वापसी के प्रयास तेज कर दिए, लेकिन अजय सिंह सहित कई कांग्रेसी नेताओं के विरोध के चलते उनकी वापसी विधानसभा चुनाव के पहले नहीं हो सकी और आखिरकार राकेश सिंह बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। बीजेपी भी चुनाव में हार गई तो राकेश सिंह की बेचैनी और बढ़ गई और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही उन्होंने फिर से वापसी के प्रयास तेज कर दिए।

मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनते ही उन्होंने फिर घर वापसी की कोशिशें तेज कर दी, लेकिन लगातार विरोध के चलते उनकी वापसी मुश्किल नजर आ रही थी। ऐसे में उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के जरिए वापसी के प्रयास किए। लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए कांग्रेस पूरी ताकत लगा रही है। ऐसे में ग्वालियर चंबल संभाग में ब्राह्मण वोट बैंक और खासकर भिंड जिले में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद के साथ कांग्रेस ने सब कुछ भुला कर राकेश सिंह को वापस पार्टी में शामिल कर लिया।


Conclusion:राकेश सिंह के बीजेपी छोड़ने और घर वापसी पर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने जिस अपमान और दुर्व्यवहार और उपेक्षा के चलते कांग्रेस छोड़ी थी, तब की परिस्थितियां सब ने देखी थी। विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव की परिस्थिति में उन्होंने भाजपा को अपनाया था। आज भी उन को लेकर कांग्रेस की क्या परिस्थितियां हैं, किसी से छुपी नहीं हैं, वही नेता आज भी उनसे द्वेष रखते हैं। मुझे लगता है कि आने वाली परिस्थितियां कितनी सुखद होंगी, यह कहा नहीं जा सकता है। लेकिन बीजेपी में उन्हें यथोचित सम्मान मिला, जिसकी सबको जानकारी है।

वहीं इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि राकेश सिंह चौधरी कांग्रेस के बहुत वरिष्ठ और पुराने नेता रहे हैं। उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि उनसे गलती हो गई थी, भाजपा में जाना उनकी बड़ी भूल थी,अब वो फिर घर वापसी कर चुके हैं। कांग्रेस ने भी उनका खुले दिल से स्वागत किया है, उनके आने से कांग्रेस को ग्वालियर चंबल संभाग में मजबूती मिलेगी। सभी कार्यकर्ता उनको परिवार का हिस्सा मानते हैं, पहले भी वह 4 बार कांग्रेस से विधायक रहे हैं। वही जिस तरह उन्होंने पार्टी छोड़ी थी, उस पर कांग्रेस का कहना है कि राकेश सिंह ने खुद माना है कि भाजपा में जाना और वह एपिसोड उनके जीवन की बड़ी गलती थी, जिसे वह भूलना चाहते हैं। वह स्वयं स्वीकार कर चुके हैं, तो उसकी चर्चा बार-बार करना ठीक नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें स्वीकार कर लिया है और पार्टी को इसका फायदा जरूर मिलेगा।
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