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करोड़ों खर्च होने के बाद भी प्यासा है मध्यप्रदेश, धूल फांक रही कई नल-जल योजनाएं

बढ़ती गर्मी में मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. कई नगरीय निकायों में 2 से 3 दिन छोड़कर पानी लोगों को मिल रहा है. ग्रामीण इलाकों की हालत तो और भी ज्यादा खराब है, जबकि पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Jun 3, 2020, 8:40 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 11:10 PM IST

efforts to deal with water crisis less in madhya pradesh
प्यासा है एमपी

भोपाल। मध्य प्रदेश के कई इलाकों में कोरोना से ज्यादा मुसीबत पानी की कमी बनी हुई है. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. कई नगरीय निकायों में 2 से 3 दिन छोड़कर पानी लोगों को मिल रहा है. ग्रामीण इलाकों की हालत तो और भी ज्यादा खराब है. गर्मी बढ़ने के साथ ही प्रदेश भर से पानी की कमी की शिकायतें आने लगी हैं. हालांकि पीएचई ने कई शिकायतों का निपटारा किया है, लेकिन इस भीषण गर्मी में ये नाकाफी साबित हो रहा है.

बंद पड़ी नल-जल योजनाएं

करोड़ों खर्च फिर भी प्यासा है एमपी
मध्यप्रदेश में सरकार पिछले 15 सालों में करीब 35 हजार करोड़ रुपए पीने का पानी जुटाने में खर्च कर चुकी है, फिर भी प्रदेश की मात्र 12 फीसदी ग्रामीण आबादी को ही पेयजल मिल पा रहा है. वहीं 56 नगरीय निकायों में 1 दिन छोड़कर पानी मिल रहा है, जबकि कई जिलों में 3 से 4 दिनों में पानी मिलता है.

बंद पड़ी नल-जल योजनाएं
सरकारों के भारी भरकम खर्चे के बाद भी प्रदेश में 1358 नल जल योजना हैं. वहीं 596 नल-जल योजनाओं के जल स्रोत सूख गए हैं, जबकि 176 नल-जल योजनाओं के जल स्रोत की पाइप लाइन टूट गई है. वहीं प्रदेश में 19,314 हैंडपंप अब भी बंद पड़े हैं. प्रदेश में कुल 16,263 नल जल योजनाएं संचालित हो रही हैं, जिनके लिए सरकार व्यय कर रही है, फिर भी पानी की कमी बनी हुई है.

पानी उपलब्ध कराने में एमपी फिसड्डी

इन जिलों में बढ़ी शिकायतें
प्रदेश में भले ही कई इलाकों में पानी गिरने लगा हो पर सूरज का तापमान अपने शबाब पर है, जिस कारण जल स्त्रोत लगातार सूख रहे हैं. इसी कारण प्रदेश भर से पीएचई में शिकायतों का अंबार लगने लगा है. अभी तक दर्ज शिकायतों में छतरपुर से 82, टीकमगढ़ से 50, दमोह से 111, मंडला से 24, कटनी से 112, अनूपपुर से 99, नरसिंहपुर से 68 शिकायतें शामिल हैं. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वाकई में प्रदेश में पानी को लेकर सरकार के प्रयास नाकाफी हैं. राज्य के बुंदेलखंड अचंल में भी भीषण जलसंकट गहराया हुआ है.

प्रचंड गर्मी में कैसे हुआ शिकायतों का निपटारा
लगातार बढ़ रही शिकायतों के बाद पीएचई विभाग ने प्रदेश में 523 नए हैंडपंप लगाए हैं, जबकि 6,186 हैंडपंप में पाइप बढ़ाए गए हैं. वहीं 800 स्थानों पर सिंगल मोटर पंप लगाया गया, जिससे लोगों को पानी की किलल्त से निजात मिल सके, लेकिन इस भीषण गर्मी और पानी की कमी में सरकार के ये प्रयास कम साबित हो रहे हैं.

पानी उपलब्ध कराने में एमपी फिसड्डी
लोगों को पानी उपलब्ध करवाने के मामले में मध्यप्रदेश देश में सातवें स्थान पर है. प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के तहत 13 जिले के 4022 गांव में 15 समूह नल जल योजना शुरू करने की बात कह रही है. अब देखना होगा कि आने वाले सालों में पानी के संकट से लोग कितना उबर पाते हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश के कई इलाकों में कोरोना से ज्यादा मुसीबत पानी की कमी बनी हुई है. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. कई नगरीय निकायों में 2 से 3 दिन छोड़कर पानी लोगों को मिल रहा है. ग्रामीण इलाकों की हालत तो और भी ज्यादा खराब है. गर्मी बढ़ने के साथ ही प्रदेश भर से पानी की कमी की शिकायतें आने लगी हैं. हालांकि पीएचई ने कई शिकायतों का निपटारा किया है, लेकिन इस भीषण गर्मी में ये नाकाफी साबित हो रहा है.

बंद पड़ी नल-जल योजनाएं

करोड़ों खर्च फिर भी प्यासा है एमपी
मध्यप्रदेश में सरकार पिछले 15 सालों में करीब 35 हजार करोड़ रुपए पीने का पानी जुटाने में खर्च कर चुकी है, फिर भी प्रदेश की मात्र 12 फीसदी ग्रामीण आबादी को ही पेयजल मिल पा रहा है. वहीं 56 नगरीय निकायों में 1 दिन छोड़कर पानी मिल रहा है, जबकि कई जिलों में 3 से 4 दिनों में पानी मिलता है.

बंद पड़ी नल-जल योजनाएं
सरकारों के भारी भरकम खर्चे के बाद भी प्रदेश में 1358 नल जल योजना हैं. वहीं 596 नल-जल योजनाओं के जल स्रोत सूख गए हैं, जबकि 176 नल-जल योजनाओं के जल स्रोत की पाइप लाइन टूट गई है. वहीं प्रदेश में 19,314 हैंडपंप अब भी बंद पड़े हैं. प्रदेश में कुल 16,263 नल जल योजनाएं संचालित हो रही हैं, जिनके लिए सरकार व्यय कर रही है, फिर भी पानी की कमी बनी हुई है.

पानी उपलब्ध कराने में एमपी फिसड्डी

इन जिलों में बढ़ी शिकायतें
प्रदेश में भले ही कई इलाकों में पानी गिरने लगा हो पर सूरज का तापमान अपने शबाब पर है, जिस कारण जल स्त्रोत लगातार सूख रहे हैं. इसी कारण प्रदेश भर से पीएचई में शिकायतों का अंबार लगने लगा है. अभी तक दर्ज शिकायतों में छतरपुर से 82, टीकमगढ़ से 50, दमोह से 111, मंडला से 24, कटनी से 112, अनूपपुर से 99, नरसिंहपुर से 68 शिकायतें शामिल हैं. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वाकई में प्रदेश में पानी को लेकर सरकार के प्रयास नाकाफी हैं. राज्य के बुंदेलखंड अचंल में भी भीषण जलसंकट गहराया हुआ है.

प्रचंड गर्मी में कैसे हुआ शिकायतों का निपटारा
लगातार बढ़ रही शिकायतों के बाद पीएचई विभाग ने प्रदेश में 523 नए हैंडपंप लगाए हैं, जबकि 6,186 हैंडपंप में पाइप बढ़ाए गए हैं. वहीं 800 स्थानों पर सिंगल मोटर पंप लगाया गया, जिससे लोगों को पानी की किलल्त से निजात मिल सके, लेकिन इस भीषण गर्मी और पानी की कमी में सरकार के ये प्रयास कम साबित हो रहे हैं.

पानी उपलब्ध कराने में एमपी फिसड्डी
लोगों को पानी उपलब्ध करवाने के मामले में मध्यप्रदेश देश में सातवें स्थान पर है. प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के तहत 13 जिले के 4022 गांव में 15 समूह नल जल योजना शुरू करने की बात कह रही है. अब देखना होगा कि आने वाले सालों में पानी के संकट से लोग कितना उबर पाते हैं.

Last Updated : Jun 4, 2020, 11:10 PM IST
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