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गांव की कोरोना रिपोर्टः ग्रामीणों को नहीं है सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा

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Published : May 9, 2021, 11:08 PM IST

कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को प्रभावित तो किया ही है साथ ही इस लहर ने ग्रामीण क्षेत्रों पर भी प्रभाव डाला है. ग्रामीण क्षेत्रों का आलम यह है कि लोग एक-दूसरे से मिलने भी नहीं जा रहे है. वहीं सरकारी व्यवस्थाओं पर से भी ग्रमीणों का विश्वास उठ गया है. लोग निजी क्लिनिक और निजी डॉक्टरों से ही इलाज करवा रहे है. सरकार का किल कोरोना अभियान भी ग्रामीण क्षेत्रो में फेल होता नजर आ रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को आप तो पहले से ही अच्छे से जानते है.

Village Corona Report
गांव की कोरोना रिपोर्ट

भोपाल। सरकार कोरोना से बचाव के लिए रोज नए आदेश निकाल रही है. शासन किल कोरोना अभियान चलाकर गांव तक पहुंचने और मरीजों को इलाज मुहैया कराने के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना ने अपनी रफ्तार गांव, कस्बों में बढ़ा दी है. भोपाल के आस-पास ही ग्रामीण क्षेत्रों में बुरे हालात हैं. यहां पर गांव के गांव संक्रमण की चपेट में है. आलम यह है कि लोगों के मन में कोरोना का डर और उसके इलाज की चिंता उनके मन में घर कर के बैठी हुई है कि संक्रमित होने या उसकी आशंका होने पर भी वह जानकारी नहीं दे रहे हैं. सरकार के दावों की हकीकत का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत ने राजधानी के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों का जायजा लिया. टीम भोपाल से 20 किलोमीटर दूर फंदा ब्लॉक में पहुंची. हमारे साथ जानिए ग्राम पंचायत खजूरी सड़क की ग्राउंड रिपोर्ट...

ग्रामीणों को नहीं है सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा
  • सर्दी, जुकाम होने पर भी नहीं बता रहे ग्रामीण

खजूरी ग्राम पंचायत क्षेत्र में करीब 4 हजार की आबादी है. इसमें ज्यादातर गांव कोरोना वायरस चपेट में है. गांव में हालात यह है कि लोग घरों में बंद है. जरूरी काम होने पर ही बाहर आ रहे है. शासन की गाइडलाइन के तहत स्वास्थ्य अमला और पंचायत स्तर के अधिकारी कर्मचारी सभी व्यवस्थाएं ठीक होने की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि एक गांव में ही 40 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इसके साथ ही क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां रोजाना सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज बढ़ रहे है, लेकिन इन मरीजों को सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा नहीं है. क्षेत्र के लोग कोरोना के डर से प्राइवेट क्लीनिक या स्थानीय डॉक्टर के पास जा रहे है. कोरोना की भयावहता इतनी है कि अब लोगों ने सर्वे के दौरान परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भी देना बंद कर दिया है. ऐसे में सरकार की कोरोना वायरस से बचाव और जागरूकता की तैयारियां बेमतलब साबित हो रही हैं.

कोरोना के साये में मंत्री का इलाका, हर दिन बढ़ रहा संक्रमितों का आंकड़ा

  • खार खेड़ी में मिले 40 कोरोना संक्रमित मरीज

राजधानी से 20 किलोमीटर दूर विकासखंड फंदा में 3 गांव शामिल है, इनमें खजूरी सड़क, खार खेड़ी और खेतला खेड़ी है. इसमें सिर्फ खार खेड़ी में ही 40 कोरोना संक्रमित मरीज मिले है. इनमें से कुछ मरीज अभी भी संक्रमण की चपेट में है. उनका इलाज जारी है. स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग और पंचायत स्तर के कर्मचारी दावा कर रहे हैं कि सब ठीक है, लोगों को इलाज मिल रहा है, संक्रमण की चपेट से उबर रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे उलट है. लोग एक-दूसरे के घर नहीं जा रहे हैं. घरों में कैद हैं. इतना ही नहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग की टीम जब सर्वे के लिए इनके पास पहुंच रही है, तो उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. लोग इतने डरे हुए है कि सर्वे करने आए कर्मचारियों को अपने और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य वास्तविक स्थिति नहीं बता रहे. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना का खौफ किस कदर लोगों के जनजीवन पर हावी है.

  • इलाज के डर से क्वारंटीन सेंटर पड़े खाली

कोरोना की चपेट में आए ग्रामीण क्षेत्रों का आलम यह है कि सरकार का किल कोरोना अभियान बेमतलब साबित हो रहा है. डर के कारण लोग सरकारी अस्पतालों में नहीं जा रहे है. यहां तक की जिनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है, वह भी घरों में ही रहकर होम आइसोलेशन में रहना ठीक समझ रहे है. शासन द्वारा बनाए गए क्वारंटीन सेंटर पर एक भी मरीज रहने नहीं पहुंचा है. खजूरी सड़क में सरकारी स्कूल में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में जमीन पर बिस्तर लगाकर लोगों के रुकने का इंतजाम किया गया है, लेकिन यहां गाइडलाइन के अनुसार मरीजों के लिए अलग-अलग शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. साथ ही यहां पर स्वास्थ्य विभाग का अमला भी बहुत कम आता है. ऐसा ही आलम फंदा कला गांव का है. यहां भी छात्रावास में बने क्वारंटाइन सेंटर में कोई भी मरीज नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है कि हमने सारी व्यवस्थाएं सेंटर पर उपलब्ध करा दी है, लेकिन मरीज घर पर रहना ही चाहता है.

60 हजार पर एक 'डॉक्टर', वो भी मुख्यालय अटैच (गांव की कोरोना रिपोर्ट - पार्ट 1)

  • प्राइवेट इलाज पर भरोसा कर रहे ग्रामीण

ईटीवी भारत ने इस संबंध में क्षेत्र में निजी क्लीनिक और स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले डॉक्टर और जनप्रतिनिधियों से बात की उनका कहना है कि लोग सरकार की व्यवस्थाओं और इलाज से डर रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में जाने की बजाए लोग प्राइवेट डॉक्टर से इलाज करवाना चाहते हैं. उनको डर है कि कहीं कोरोना के नाम पर उनकी जिंदगी खतरे में ना पड़े. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में रोजाना 50 से 100 मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार जैसी समस्याएं लेकर निजी क्लीनिक पर पहुंच रहे है.

  • वैक्सीनेशन के भी बुरे हाल

ईटीवी भारत की टीम ने वैक्सीनेशन की जानकारी ली तो सामने आया कि लोग वैक्सीन के साइड इफेक्ट से डर रहे हैं. अभी तक केवल 1,200 लोगों को वैक्सीन लग पाई है, जो 45 साल से अधिक उम्र के हैं. 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों का वैक्सीनेशन शुरू ही नहीं हो पाया.

बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का दंश झेल रहा स्वास्थ्य मंत्री का पैतृक गांव

  • स्वास्थ सुविधाओं की कमी

ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण निरंतर बढ़ रहा है. सरकार किल कोरोना अभियान चलाकर संक्रमण को रोकने की बात कर रही है, लेकिन लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं. सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के मरीज भी इन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं, क्योंकि जो दवाइयां स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करा रहा है उनसे मरीज ठीक नहीं हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भी कमी है.

भोपाल। सरकार कोरोना से बचाव के लिए रोज नए आदेश निकाल रही है. शासन किल कोरोना अभियान चलाकर गांव तक पहुंचने और मरीजों को इलाज मुहैया कराने के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना ने अपनी रफ्तार गांव, कस्बों में बढ़ा दी है. भोपाल के आस-पास ही ग्रामीण क्षेत्रों में बुरे हालात हैं. यहां पर गांव के गांव संक्रमण की चपेट में है. आलम यह है कि लोगों के मन में कोरोना का डर और उसके इलाज की चिंता उनके मन में घर कर के बैठी हुई है कि संक्रमित होने या उसकी आशंका होने पर भी वह जानकारी नहीं दे रहे हैं. सरकार के दावों की हकीकत का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत ने राजधानी के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों का जायजा लिया. टीम भोपाल से 20 किलोमीटर दूर फंदा ब्लॉक में पहुंची. हमारे साथ जानिए ग्राम पंचायत खजूरी सड़क की ग्राउंड रिपोर्ट...

ग्रामीणों को नहीं है सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा
  • सर्दी, जुकाम होने पर भी नहीं बता रहे ग्रामीण

खजूरी ग्राम पंचायत क्षेत्र में करीब 4 हजार की आबादी है. इसमें ज्यादातर गांव कोरोना वायरस चपेट में है. गांव में हालात यह है कि लोग घरों में बंद है. जरूरी काम होने पर ही बाहर आ रहे है. शासन की गाइडलाइन के तहत स्वास्थ्य अमला और पंचायत स्तर के अधिकारी कर्मचारी सभी व्यवस्थाएं ठीक होने की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि एक गांव में ही 40 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इसके साथ ही क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां रोजाना सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज बढ़ रहे है, लेकिन इन मरीजों को सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा नहीं है. क्षेत्र के लोग कोरोना के डर से प्राइवेट क्लीनिक या स्थानीय डॉक्टर के पास जा रहे है. कोरोना की भयावहता इतनी है कि अब लोगों ने सर्वे के दौरान परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भी देना बंद कर दिया है. ऐसे में सरकार की कोरोना वायरस से बचाव और जागरूकता की तैयारियां बेमतलब साबित हो रही हैं.

कोरोना के साये में मंत्री का इलाका, हर दिन बढ़ रहा संक्रमितों का आंकड़ा

  • खार खेड़ी में मिले 40 कोरोना संक्रमित मरीज

राजधानी से 20 किलोमीटर दूर विकासखंड फंदा में 3 गांव शामिल है, इनमें खजूरी सड़क, खार खेड़ी और खेतला खेड़ी है. इसमें सिर्फ खार खेड़ी में ही 40 कोरोना संक्रमित मरीज मिले है. इनमें से कुछ मरीज अभी भी संक्रमण की चपेट में है. उनका इलाज जारी है. स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग और पंचायत स्तर के कर्मचारी दावा कर रहे हैं कि सब ठीक है, लोगों को इलाज मिल रहा है, संक्रमण की चपेट से उबर रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे उलट है. लोग एक-दूसरे के घर नहीं जा रहे हैं. घरों में कैद हैं. इतना ही नहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग की टीम जब सर्वे के लिए इनके पास पहुंच रही है, तो उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. लोग इतने डरे हुए है कि सर्वे करने आए कर्मचारियों को अपने और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य वास्तविक स्थिति नहीं बता रहे. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना का खौफ किस कदर लोगों के जनजीवन पर हावी है.

  • इलाज के डर से क्वारंटीन सेंटर पड़े खाली

कोरोना की चपेट में आए ग्रामीण क्षेत्रों का आलम यह है कि सरकार का किल कोरोना अभियान बेमतलब साबित हो रहा है. डर के कारण लोग सरकारी अस्पतालों में नहीं जा रहे है. यहां तक की जिनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है, वह भी घरों में ही रहकर होम आइसोलेशन में रहना ठीक समझ रहे है. शासन द्वारा बनाए गए क्वारंटीन सेंटर पर एक भी मरीज रहने नहीं पहुंचा है. खजूरी सड़क में सरकारी स्कूल में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में जमीन पर बिस्तर लगाकर लोगों के रुकने का इंतजाम किया गया है, लेकिन यहां गाइडलाइन के अनुसार मरीजों के लिए अलग-अलग शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. साथ ही यहां पर स्वास्थ्य विभाग का अमला भी बहुत कम आता है. ऐसा ही आलम फंदा कला गांव का है. यहां भी छात्रावास में बने क्वारंटाइन सेंटर में कोई भी मरीज नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है कि हमने सारी व्यवस्थाएं सेंटर पर उपलब्ध करा दी है, लेकिन मरीज घर पर रहना ही चाहता है.

60 हजार पर एक 'डॉक्टर', वो भी मुख्यालय अटैच (गांव की कोरोना रिपोर्ट - पार्ट 1)

  • प्राइवेट इलाज पर भरोसा कर रहे ग्रामीण

ईटीवी भारत ने इस संबंध में क्षेत्र में निजी क्लीनिक और स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले डॉक्टर और जनप्रतिनिधियों से बात की उनका कहना है कि लोग सरकार की व्यवस्थाओं और इलाज से डर रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में जाने की बजाए लोग प्राइवेट डॉक्टर से इलाज करवाना चाहते हैं. उनको डर है कि कहीं कोरोना के नाम पर उनकी जिंदगी खतरे में ना पड़े. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में रोजाना 50 से 100 मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार जैसी समस्याएं लेकर निजी क्लीनिक पर पहुंच रहे है.

  • वैक्सीनेशन के भी बुरे हाल

ईटीवी भारत की टीम ने वैक्सीनेशन की जानकारी ली तो सामने आया कि लोग वैक्सीन के साइड इफेक्ट से डर रहे हैं. अभी तक केवल 1,200 लोगों को वैक्सीन लग पाई है, जो 45 साल से अधिक उम्र के हैं. 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों का वैक्सीनेशन शुरू ही नहीं हो पाया.

बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का दंश झेल रहा स्वास्थ्य मंत्री का पैतृक गांव

  • स्वास्थ सुविधाओं की कमी

ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण निरंतर बढ़ रहा है. सरकार किल कोरोना अभियान चलाकर संक्रमण को रोकने की बात कर रही है, लेकिन लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं. सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के मरीज भी इन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं, क्योंकि जो दवाइयां स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करा रहा है उनसे मरीज ठीक नहीं हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भी कमी है.

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