भोपाल। पिछले दिनों मध्यप्रदेश के दौरे पर आए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को ऐसा अभियान चलाने की सलाह दी थी, जिसमें जनगणना के दौरान आदिवासी अपना धर्म हिंदू बताएं. आरएसएस की इस मुहिम का मुकाबला करने के लिए आदिवासी कांग्रेस खाट पंचायत करने जा रही है. जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ता गांवों में जाकर आदिवासियों को आरएसएस के इस अभियान से सचेत रहने की सलाह देंगे.
मप्र आदिवासी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय शाह ने कहा कि आदिवासी भोले भाले हैं. जिसके चलते वे भुलावे और छलावे में आ जाते हैं. इसी कारण से आरएसएस के इस अभियान का मुकाबला करना पड़ेगा. इसके लिए उनके पास आरएसएस की तरह पैसा नहीं है, लेकिन खाट पंचायत के जरिए आदिवासियों को जागरूक किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि आजादी के 72 साल बाद भी आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में आदिवासियों को अपना धर्म हिंदू लिखने के लिए बाध्य करना फासीवाद है. उन्होंने कहा कि हम संविधान से चलेंगे, ना कि आरएसएस की तानाशाही से. आदिवासी को कोई भी धर्म अपनाने की आजादी है.
अजय शाह ने बताया कि 1941 तक आदिवासियों को एनपीआर में मूल निवासी लिखने की व्यवस्था थी, जो 1951 में खत्म कर दी गई. उन्होंने कहा कि यह बड़े अफसोस की बात है कि देश में जैन 2 प्रतिशत से भी कम है, फिर भी उनके लिए अलग से धर्म कोड हैं लेकिन 20 करोड़ आदिवासियों के लिए कोई धर्म कोड नहीं है. उन्होंने बताया कि सर्व आदिवासी संघ की तरफ से 18 फरवरी को संसद का घेराव होने जा रहा है. जहां देशभर के आदिवासी इकट्ठे होकर अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग करेंगे.