भोपाल। सबसे प्राचीन पद्धति में से एक आयुष चिकित्सा पद्धति आज भी लोगों के बीच अपनी साख बनाए हुए है. हालांकि जल्दी परिणाम के चलते लोग एलोपैथी पर निर्भर होते हैं, लेकिन यदि स्थाई चिकित्सा की बात की जाए तो आज भी आयुर्वेद, योग, यूनानी, और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को अपनाया जाता है.
राजधानी में आयुष अस्पताल
राजधानी भोपाल में भी आयुष अस्पतालों की बात की जाए, तो काफी बड़ी संख्या में यहां पर सरकारी आयुष अस्पताल मौजूद हैं. राजधानी भोपाल में खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज समेत इस समय छोटे-बड़े मिलाकर कुल 43 से 45 सरकारी आयुष अस्पताल संचालित हो रहे हैं. वहीं अगर मरीजों की बात करें, तो लॉकडाउन लगने और कोविड- 19 के चलते ओपीडी को बंद कर दिया गया है.
अस्थाई ओपीडी सेंटर
हालांकि कई मरीज ऐसे हैं, जिन्हें हमेशा डॉक्टर के परामर्श और दवाइयों की जरूरत पड़ती है, जिसे देखते हुए अस्थाई रुप से 6 ओपीडी संचालित की जा रही हैं. ये सुबह 8 से 1 बजे तक संचालित होती हैं. हालांकि इस वक्त ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या पहले की तुलना में काफी कम हो गई है. जहां पहले हर महीने 550-600 मरीज आते थे, वहीं अब 120-150 के बीच मरीज आ रहे हैं.
होम्योपैथी अस्पताल बना कोविड-19 केयर सेंटर
आयुष अस्पतालों में डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की बात की जाए, तो इस समय आयुष के कई सारे डॉक्टर और इंटर्न कोविड-19 की ड्यूटी में लगे हैं, इन्हें भी सर्वे-सैंपलिंग के काम में लगाया गया है. इसके साथ ही भोपाल के शासकीय होम्योपैथी अस्पताल में कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. जहां पर कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे में स्टाफ की कमी को लेकर प्राचार्य का कहना है कि, उनका काफी स्टॉफ कोविड-19 ड्यूटी में लगा हुआ है, फिर भी अस्पताल संचालन और ओपीडी दोनों का प्रबंध किया जा रहा है. अभी तक स्टॉफ की कमी जैसी कोई बात नहीं है.