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Vishwakarma Puja 2021: विश्वकर्मा जयंती पर करें औजारों की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा का पर्व 17 सितंबर को मनाया जायेगा. इस दिन सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है इसलिए कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) भी मनाई जायेगी. इसी के साथ वामन जयंती और परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) भी इसी डेट को पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर थे. इनकी पूजा से जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती है.

Vishwakarma Puja 2021
विश्वकर्मा पूजा
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Published : Sep 17, 2021, 12:06 AM IST

हैदराबाद। हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा पूजा का बहुत महत्व है. इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है. विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म (Birth) हुआ था, इसलिए इसे विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर थे. इनकी पूजा से जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती है. इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा आइये जानते हैं.

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Puja Shubh Muhurat)
17 सितंबर दिन शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में विश्वकर्मा पूजा पर्व मनाया जायेगा. विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 07 मिनट से अगले दिन 18 सितंबर, शनिवार को प्रात: 03 बजकर 36 मिनट तक बना रहेगा. मान्यता के अनुसार, हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा सूर्य की कन्या संक्रांति पर की जाती है. इस वर्ष 17 सितंबर को रात 01 बजकर 29 मिनट पर सूर्य की कन्या संक्रांति का क्षण है. इस दिन राहुकाल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है. राहुकाल को छोड़कर आप विश्वकर्मा पूजा करें.

कैसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Kaise Karen Vishwakarma Puja)

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं.
  • स्नान कर विश्वकर्मा पूजा की सामग्रियों को एकत्रित कर लें.
  • बेहतर होगा कि इस पूजा को पति पत्नी साथ में करें.
  • पूजा के लिए पति-पत्नी हाथ में चावल लें और भगवान विश्वकर्मा को सफेद फूल अर्पित करें.
  • अब हवन कुंड बनाकर इसमें धूप, दीप, पुष्प अर्पित करते हुए आहुति दें.
  • इसके बाद अपनी मशीनों और औजारों की पूजा करें.
  • फिर भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Significance of Vishwakarma Puja)
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति की शिल्पकला का विकास होता है, जिससे व्यक्ति को अपने काम में सफलता हासिल होती है. विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ ही औजारों, मशीनों, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक समान की भी पूजा की जाती है. इस मौके पर प्रसाद भी बांटने का विधान है. इस दिन कई लोग अपनी मशीनों को आराम देते हैं. आमतौर पर कई कार्यालय इस दिन बंद रहते हैं. इस पर्व पर कई राज्यों जैसे- उत्तरप्रदेश, बिहार, कर्नाटक और दिल्ली में भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियों की झाकियां भी निकाली जाती हैं.

शहडोल: धूमधाम से मनाई गई विश्वकर्मा जयंती

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा (Who is Lord Vishwakarma)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा. इसलिए विश्वकर्मा जी को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है. शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा जी का पुत्र कहा जाता है. रावण की लंका, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, इंद्र के लिए वज्र, भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा हुआ माना जाता है. इसके अलावा इन्होंने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, यमपुरी, कुबेरपुरी का निर्माण किया है. उनकी इसी कुशलता के की वजह से उनको पूजनीय माना जाता है.

हैदराबाद। हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा पूजा का बहुत महत्व है. इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है. विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म (Birth) हुआ था, इसलिए इसे विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर थे. इनकी पूजा से जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती है. इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा आइये जानते हैं.

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Puja Shubh Muhurat)
17 सितंबर दिन शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में विश्वकर्मा पूजा पर्व मनाया जायेगा. विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 07 मिनट से अगले दिन 18 सितंबर, शनिवार को प्रात: 03 बजकर 36 मिनट तक बना रहेगा. मान्यता के अनुसार, हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा सूर्य की कन्या संक्रांति पर की जाती है. इस वर्ष 17 सितंबर को रात 01 बजकर 29 मिनट पर सूर्य की कन्या संक्रांति का क्षण है. इस दिन राहुकाल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है. राहुकाल को छोड़कर आप विश्वकर्मा पूजा करें.

कैसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Kaise Karen Vishwakarma Puja)

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं.
  • स्नान कर विश्वकर्मा पूजा की सामग्रियों को एकत्रित कर लें.
  • बेहतर होगा कि इस पूजा को पति पत्नी साथ में करें.
  • पूजा के लिए पति-पत्नी हाथ में चावल लें और भगवान विश्वकर्मा को सफेद फूल अर्पित करें.
  • अब हवन कुंड बनाकर इसमें धूप, दीप, पुष्प अर्पित करते हुए आहुति दें.
  • इसके बाद अपनी मशीनों और औजारों की पूजा करें.
  • फिर भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Significance of Vishwakarma Puja)
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति की शिल्पकला का विकास होता है, जिससे व्यक्ति को अपने काम में सफलता हासिल होती है. विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ ही औजारों, मशीनों, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक समान की भी पूजा की जाती है. इस मौके पर प्रसाद भी बांटने का विधान है. इस दिन कई लोग अपनी मशीनों को आराम देते हैं. आमतौर पर कई कार्यालय इस दिन बंद रहते हैं. इस पर्व पर कई राज्यों जैसे- उत्तरप्रदेश, बिहार, कर्नाटक और दिल्ली में भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियों की झाकियां भी निकाली जाती हैं.

शहडोल: धूमधाम से मनाई गई विश्वकर्मा जयंती

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा (Who is Lord Vishwakarma)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा. इसलिए विश्वकर्मा जी को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है. शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा जी का पुत्र कहा जाता है. रावण की लंका, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, इंद्र के लिए वज्र, भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा हुआ माना जाता है. इसके अलावा इन्होंने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, यमपुरी, कुबेरपुरी का निर्माण किया है. उनकी इसी कुशलता के की वजह से उनको पूजनीय माना जाता है.

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