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कोरोना से लड़ने के दावे तमाम, लेकिन नाकाफी है जमीनी इंतजाम

मध्य प्रदेश मे तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच सरकार का दावा है कि प्रदेश में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और बेड की कमी नहीं है. लेकिन सरकार के तमाम दावो की हकीकत जमीन के हालात बयां कर रहे हैं. प्रदेश में न तो रेमडेसिविर मिल रही है, न ऑक्सीजन की आपूर्ति हो पा रही है और न ही अस्पतालों में बेड मिल रहे हैं.

Government's claims are many but arrangements are low
कोरोना से लड़ने के दावे तमाम, लेकिन नाकाफी है जमीनी इंतजाम
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Published : Apr 28, 2021, 10:45 PM IST

भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी पूरी करने में जुटी हुई है. प्रदेश में जिस तरह के कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. अस्पतालों में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और बेड की कमी लगातार बनी हुई है. हालांकि सरकार दावे कर रही है कि ऑक्सीजन की जितनी मांग है, उतनी आपूर्ति की जा रही है. लेकिन हकीकत इन दावों से अलग है.

सरकार के दावे तमाम लेकिन नाकाफी इंतजाम

तेजी से बढ़ रहे हैं एक्टिव केस

मध्य प्रदेश में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 94 हजार के पार पहुंच गई है. इंदौर, भोपाल में यह आंकड़ा 13 हजार से ज्यादा है. बड़े शहरों के अलावा रीवा, टीकमगढ़, मुरैना, झाबुआ जैसे छोटे जिलों में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है. इन जिलों में एक्टिव मरीजों की संख्या 15-15 सौ से ज्यादा हो गई है. जिस तेजी से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से हाॅस्पिटल में बेड की उपलब्धता करना सरकारे के लिए चुनौती बना हुआ है.

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अस्पतालों में बेड की कमी

मध्य प्रदेश में कोविड के लिए कुल रिजर्व आइसोलेटेड बेड की संख्या 22 हजार 319 है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 9744 बेड भरे हैं, जबकि 12575 खाली है. इसी तरह रिजर्व ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड की संख्या 23,169 है, इसमें से 19959 भरे हैं, जबकि 3210 खाली हैं. इसी तरह रिजर्व आईसीयू बेड 9482 हैं, इसमें से सिर्फ 470 ही खाली हैं. फिर भी शहरों में अस्पतालों में बेड के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है. इसके अलावा बीना में एक हजार बेड का अस्पताल तैयार किया जा रहा है. साथ ही कोविड केयर सेंटरों की संख्या भी लगातार बढ़ाई जा रही है.

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ऑक्सीजन की कमी बन रही चुनौती

मध्य प्रदेश में हालात ये हैं कि अगर कोरोना मरीज को किसी अस्पताल में जगह मिल भी गई तो वहां ऑक्सीजन की कमी चुनौती बनी हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को करीब 606 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की गई, हालांकि बताया जा रहा है कि जरूरत इससे भी ज्यादा की है. सरकार भी इससे भलीभांती वाफिक है. यही वजह है कि सरकार सभी हाॅस्पिटल का ऑक्सीजन ऑडिट करा रही है. इसका मकसद अस्पतालों में ऑक्सीजन की बर्बादी को रोका जा सके और जरूरत पड़ने पर सही व्यक्ति को ऑक्सीजन मिल सके. इधर सीएम शिवराज ने सभी कलेक्टर्स को अपने-अपने जिलों में बंद पड़े ऑक्सीजन के पुराने प्लांटो को शुरू करने की कोशिश करने के निर्देश दिए हैं. ऑक्सीजन की कमी के हालात ऐसे हैं कि मरीजों के परिजन दर-दर भटकने को मजबूर है.

सबसे मुश्किल रेमडेसिविर मिलना

प्रदेश में ऑक्सीजन की तो सिर्फ किल्लत है, लेकिन रेमडेसिविर तो उपलब्ध ही नहीं है. इसके लिए लगभग हर मरीज के परिजन को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार के आंकड़ों की माने तो पिछले 20 दिनों में सरकार ने 6 अलग-अलग कंपनियों से 1 लाख 76 हजार रेमडेसिविर की आपूर्ति की. इतने इंजेक्शन आने के बाद भी प्रदेश में इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. मरीजों के परिजन रेमडेसिविर के लिए कलेक्टर ऑफिस से लेकर स्वास्थ्य मंत्री के बंगले तक चक्कर लगा रहे हैं

भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी पूरी करने में जुटी हुई है. प्रदेश में जिस तरह के कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. अस्पतालों में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और बेड की कमी लगातार बनी हुई है. हालांकि सरकार दावे कर रही है कि ऑक्सीजन की जितनी मांग है, उतनी आपूर्ति की जा रही है. लेकिन हकीकत इन दावों से अलग है.

सरकार के दावे तमाम लेकिन नाकाफी इंतजाम

तेजी से बढ़ रहे हैं एक्टिव केस

मध्य प्रदेश में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 94 हजार के पार पहुंच गई है. इंदौर, भोपाल में यह आंकड़ा 13 हजार से ज्यादा है. बड़े शहरों के अलावा रीवा, टीकमगढ़, मुरैना, झाबुआ जैसे छोटे जिलों में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है. इन जिलों में एक्टिव मरीजों की संख्या 15-15 सौ से ज्यादा हो गई है. जिस तेजी से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से हाॅस्पिटल में बेड की उपलब्धता करना सरकारे के लिए चुनौती बना हुआ है.

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अस्पतालों में बेड की कमी

मध्य प्रदेश में कोविड के लिए कुल रिजर्व आइसोलेटेड बेड की संख्या 22 हजार 319 है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 9744 बेड भरे हैं, जबकि 12575 खाली है. इसी तरह रिजर्व ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड की संख्या 23,169 है, इसमें से 19959 भरे हैं, जबकि 3210 खाली हैं. इसी तरह रिजर्व आईसीयू बेड 9482 हैं, इसमें से सिर्फ 470 ही खाली हैं. फिर भी शहरों में अस्पतालों में बेड के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है. इसके अलावा बीना में एक हजार बेड का अस्पताल तैयार किया जा रहा है. साथ ही कोविड केयर सेंटरों की संख्या भी लगातार बढ़ाई जा रही है.

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ऑक्सीजन की कमी बन रही चुनौती

मध्य प्रदेश में हालात ये हैं कि अगर कोरोना मरीज को किसी अस्पताल में जगह मिल भी गई तो वहां ऑक्सीजन की कमी चुनौती बनी हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को करीब 606 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की गई, हालांकि बताया जा रहा है कि जरूरत इससे भी ज्यादा की है. सरकार भी इससे भलीभांती वाफिक है. यही वजह है कि सरकार सभी हाॅस्पिटल का ऑक्सीजन ऑडिट करा रही है. इसका मकसद अस्पतालों में ऑक्सीजन की बर्बादी को रोका जा सके और जरूरत पड़ने पर सही व्यक्ति को ऑक्सीजन मिल सके. इधर सीएम शिवराज ने सभी कलेक्टर्स को अपने-अपने जिलों में बंद पड़े ऑक्सीजन के पुराने प्लांटो को शुरू करने की कोशिश करने के निर्देश दिए हैं. ऑक्सीजन की कमी के हालात ऐसे हैं कि मरीजों के परिजन दर-दर भटकने को मजबूर है.

सबसे मुश्किल रेमडेसिविर मिलना

प्रदेश में ऑक्सीजन की तो सिर्फ किल्लत है, लेकिन रेमडेसिविर तो उपलब्ध ही नहीं है. इसके लिए लगभग हर मरीज के परिजन को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार के आंकड़ों की माने तो पिछले 20 दिनों में सरकार ने 6 अलग-अलग कंपनियों से 1 लाख 76 हजार रेमडेसिविर की आपूर्ति की. इतने इंजेक्शन आने के बाद भी प्रदेश में इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. मरीजों के परिजन रेमडेसिविर के लिए कलेक्टर ऑफिस से लेकर स्वास्थ्य मंत्री के बंगले तक चक्कर लगा रहे हैं

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