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शासकीय स्कूलों में खुले संजीवनी क्लीनिक, लेकिन छात्रों को सता रहा कोरोना का डर

राजधानी भोपाल के शासकीय स्कूलों में संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, लेकिन इस बड़ी लापरवाही पर ध्यान देने के बजाए प्रशासन लापरवाही बरत रहे हैं. इसकी वजह से लगातार छात्रों और शिक्षकों को कोरोना संक्रमण का डर सता रहा है. पढ़िए पूरी खबर...

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संजीवनी से डरे मासूम
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Published : Oct 27, 2020, 3:46 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 5:40 PM IST

भोपाल। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर राजधानी के तीन स्कूलों में संजीवनी क्लीनिक खोले गए, जहां बिना शासन-प्रशासन की इजाजत के स्कूल परिसर में क्लीनिक खुलने से छात्रों और शिक्षकों में भय का माहौल निर्मित हो गया है. कोरोना महामारी के बीच जहां 21 सितंबर से शासकीय स्कूलों में डाउट क्लासेस शुरू हुई थी. ऐसे में स्कूल परिसर में क्लीनिक खुलने से संक्रमण का डर छात्रों को सताने लगा है. यही वजह है कि स्कूल में जो 5 प्रतिशत बच्चे आ रहे थे, वह भी अब स्कूल जाने से कतरा रहे हैं. इसी तरह शहर में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां परिसर के आसपास संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, जिससे छात्रों और शिक्षकों में कोरोना संक्रमण का डर लगातार बना हुआ है.

संजीवनी से डरे मासूम
ग्रामीण इलाकों में बने हैं संजीवनी क्लीनिक
राजधानी के ग्रामीण इलाकों में संजीवनी क्लीनिक की शुरुआत इसलिए की गई थी, क्योंकि इन इलाकों के ज्यादातर लोग अस्पताल नहीं जा पाते थे. ऐसे में ग्रामीण इलाकों के लोग अपने नजदीकी क्लीनिक में सर्दी, जुखाम जैसी बीमारियों का टेस्ट करवा सकें. यहीं वजह है कि शहर में संजीवनी क्लीनिक की शुरुआत की गई, जो काफी सफल भी रहे.
जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं हैं जानकारी
शहर के कई स्कूलों के बाहर संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, जिसमें पुराने भोपाल के 3 स्कूल ऐसे हैं, जहां स्कूल परिसर में ही संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी को अपने ही जिले के स्कूलों की जानकारी नहीं है. इस पर उनका कहना है कि मेरे संज्ञान में ये जानकारी अभी आई है, जहां स्कूलों का निरीक्षण करवाकर संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी.
बिना इजाजत खोले गए क्लीनिक
पुराने भोपाल स्थित रशीदिया शासकीय स्कूल परिसर में संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं. यह क्लीनिक क्षेत्रीय विधायक आरिफ मसूद द्वारा खोला गया है. इस विषय में स्कूल के शिक्षक और प्राचार्य से भी चर्चा नहीं की गई. इसी पर स्कूल की प्राचार्य स्मिता मेश्राम ने बताया कि जब क्लीनिक तैयार हो रहा था, तभी शासन को पत्र लिखा गया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अभी क्लीनिक में मरीजों का आना भी शुरू हो गया है, जहां मरीजों की स्कूल के बाहर भीड़ इकट्ठा हो रही है, जिससे स्कूल के टीचर और बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर स्कूल बंद पड़े हुए हैं, लेकिन अब जब
स्कूल में ही क्लीनिक खुल गया है, तो संक्रमण को कैसे रोका जाए.

शिक्षकों में भय
शिक्षक आशुतोष पांडेय का कहना है कि कोरोना की वजह से स्कूल बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में विभाग द्वारा मोहल्ला कक्षाएं लगाई जा रही हैं, जहां शिक्षक घर-घर जाकर छात्रों की कक्षाएं लगा रहे हैं, जिससे अब तक 50 से अधिक शिक्षकों की कोरोना से मौत हो चुकी है. वहीं बड़ी संख्या में शिक्षक संक्रमित हो गए हैं. अब दूसरी तरफ 21 सितंबर 2020 से डाउट क्लासेस भी शुरू हो गई हैं. जहां शिक्षक स्कूल में भी पढ़ा रहे हैं और मोहल्ला क्लासेस भी ले रहे हैं. ऐसे में स्कूल परिसर में क्लीनिक खुलने से संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है.


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छात्रों में भी डर
स्कूल में अभी कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों की कक्षाएं लग रही हैं, जो बच्चे ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे हैं, वह स्कूल जाकर शिक्षकों से डाउट क्लियर कर रहे हैं. इस पर छात्रों ने कहा कि स्कूल में क्लीनिक खुलने से कोरोना फैलेगा. ऐसे में घर वाले भी स्कूल नहीं आने दे रहे हैं. अगर स्कूल के अंदर मरीज आएंगे, तो स्कूल जाना मुश्किल हो जाएगा.

इन स्कूलों में खुले हैं संजीवनी क्लीनिक
शासकीय रशीदिया हायर सेकंडरी स्कूल, बरखेड़ी कन्या शाला, गिन्नौरी कन्या शाला, उच्चतर माध्यमिक शाला जहांगीराबाद, संस्कृत विद्यालय पुराना भोपाल सहित अन्य कई शासकीय स्कूलों में संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं. कहीं स्कूल की बिल्डिंग में तो कहीं स्कूल के आसपास क्लीनिक खुलने से शिक्षकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

शिक्षकों का कहना है कि क्लीनिक खुलने से छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं. जिन स्कूलों में यह क्लीनिक मौजूद हैं, वहां छात्रों की संख्या 1 हजार से अधिक है. अकेले रशीदिया स्कूल में 1 हजार छात्र पढ़ते हैं. इसके साथ ही उक्त स्कूल में संस्कृत विद्यालय की बिल्डिंग भी है, जहां 600 छात्राएं पढ़ती हैं.

भोपाल। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर राजधानी के तीन स्कूलों में संजीवनी क्लीनिक खोले गए, जहां बिना शासन-प्रशासन की इजाजत के स्कूल परिसर में क्लीनिक खुलने से छात्रों और शिक्षकों में भय का माहौल निर्मित हो गया है. कोरोना महामारी के बीच जहां 21 सितंबर से शासकीय स्कूलों में डाउट क्लासेस शुरू हुई थी. ऐसे में स्कूल परिसर में क्लीनिक खुलने से संक्रमण का डर छात्रों को सताने लगा है. यही वजह है कि स्कूल में जो 5 प्रतिशत बच्चे आ रहे थे, वह भी अब स्कूल जाने से कतरा रहे हैं. इसी तरह शहर में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां परिसर के आसपास संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, जिससे छात्रों और शिक्षकों में कोरोना संक्रमण का डर लगातार बना हुआ है.

संजीवनी से डरे मासूम
ग्रामीण इलाकों में बने हैं संजीवनी क्लीनिक
राजधानी के ग्रामीण इलाकों में संजीवनी क्लीनिक की शुरुआत इसलिए की गई थी, क्योंकि इन इलाकों के ज्यादातर लोग अस्पताल नहीं जा पाते थे. ऐसे में ग्रामीण इलाकों के लोग अपने नजदीकी क्लीनिक में सर्दी, जुखाम जैसी बीमारियों का टेस्ट करवा सकें. यहीं वजह है कि शहर में संजीवनी क्लीनिक की शुरुआत की गई, जो काफी सफल भी रहे.
जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं हैं जानकारी
शहर के कई स्कूलों के बाहर संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, जिसमें पुराने भोपाल के 3 स्कूल ऐसे हैं, जहां स्कूल परिसर में ही संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी को अपने ही जिले के स्कूलों की जानकारी नहीं है. इस पर उनका कहना है कि मेरे संज्ञान में ये जानकारी अभी आई है, जहां स्कूलों का निरीक्षण करवाकर संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी.
बिना इजाजत खोले गए क्लीनिक
पुराने भोपाल स्थित रशीदिया शासकीय स्कूल परिसर में संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं. यह क्लीनिक क्षेत्रीय विधायक आरिफ मसूद द्वारा खोला गया है. इस विषय में स्कूल के शिक्षक और प्राचार्य से भी चर्चा नहीं की गई. इसी पर स्कूल की प्राचार्य स्मिता मेश्राम ने बताया कि जब क्लीनिक तैयार हो रहा था, तभी शासन को पत्र लिखा गया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अभी क्लीनिक में मरीजों का आना भी शुरू हो गया है, जहां मरीजों की स्कूल के बाहर भीड़ इकट्ठा हो रही है, जिससे स्कूल के टीचर और बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर स्कूल बंद पड़े हुए हैं, लेकिन अब जब
स्कूल में ही क्लीनिक खुल गया है, तो संक्रमण को कैसे रोका जाए.

शिक्षकों में भय
शिक्षक आशुतोष पांडेय का कहना है कि कोरोना की वजह से स्कूल बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में विभाग द्वारा मोहल्ला कक्षाएं लगाई जा रही हैं, जहां शिक्षक घर-घर जाकर छात्रों की कक्षाएं लगा रहे हैं, जिससे अब तक 50 से अधिक शिक्षकों की कोरोना से मौत हो चुकी है. वहीं बड़ी संख्या में शिक्षक संक्रमित हो गए हैं. अब दूसरी तरफ 21 सितंबर 2020 से डाउट क्लासेस भी शुरू हो गई हैं. जहां शिक्षक स्कूल में भी पढ़ा रहे हैं और मोहल्ला क्लासेस भी ले रहे हैं. ऐसे में स्कूल परिसर में क्लीनिक खुलने से संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है.


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छात्रों में भी डर
स्कूल में अभी कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों की कक्षाएं लग रही हैं, जो बच्चे ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे हैं, वह स्कूल जाकर शिक्षकों से डाउट क्लियर कर रहे हैं. इस पर छात्रों ने कहा कि स्कूल में क्लीनिक खुलने से कोरोना फैलेगा. ऐसे में घर वाले भी स्कूल नहीं आने दे रहे हैं. अगर स्कूल के अंदर मरीज आएंगे, तो स्कूल जाना मुश्किल हो जाएगा.

इन स्कूलों में खुले हैं संजीवनी क्लीनिक
शासकीय रशीदिया हायर सेकंडरी स्कूल, बरखेड़ी कन्या शाला, गिन्नौरी कन्या शाला, उच्चतर माध्यमिक शाला जहांगीराबाद, संस्कृत विद्यालय पुराना भोपाल सहित अन्य कई शासकीय स्कूलों में संजीवनी क्लीनिक खोले गए हैं. कहीं स्कूल की बिल्डिंग में तो कहीं स्कूल के आसपास क्लीनिक खुलने से शिक्षकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

शिक्षकों का कहना है कि क्लीनिक खुलने से छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं. जिन स्कूलों में यह क्लीनिक मौजूद हैं, वहां छात्रों की संख्या 1 हजार से अधिक है. अकेले रशीदिया स्कूल में 1 हजार छात्र पढ़ते हैं. इसके साथ ही उक्त स्कूल में संस्कृत विद्यालय की बिल्डिंग भी है, जहां 600 छात्राएं पढ़ती हैं.

Last Updated : Oct 27, 2020, 5:40 PM IST
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