केंद्रीय बजट पर आम से खास तक सबकी नजरें पैनी रहती हैं. बजट की तारीख नजदीक आते ही गांव के नुक्कड़ से चाय की दुकानों और चौपालों पर बजट की खूब चर्चा होती है. बजट से हर कोई अपनी जरूरत के हिसाब से उम्मीद लगाता है क्योंकि बजट ही तय करता है कि किसकी जेब हल्की होगी किसकी भारी. पर ज्यादातर लोगों की नजर टैक्स स्लैब पर रहती है. हर साल आयकर दर की समीक्षा की जाती है. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से टैक्स स्लैब में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है.
2014 के बाद बुनियादी छूट सीमा स्थिर
एक फरवरी 2022 दिन मंगलवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चौथी बार आम बजट पेश करेंगी. सवाल ये है कि क्या इस बार टैक्स स्लैब (current tax slab table) में कोई बदलाव होगा या नहीं. 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर छूट की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दी थी. वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी थी, तब से बुनियादी छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
LIVE बजट 2021-22 : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश कर रहीं हैं बजट
इस बार टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद
वित्त मंत्री मंगलवार को अपना चौथा केंद्रीय बजट पेश करेंगी. विश्लेषकों का मानना है कि करदाताओं को बड़ी राहत देने की घोषणा हो सकती है. मूल छूट सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए (Taxpayers Expectations from Union Budget 2022) किया जा सकता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्लैब 3 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए किए जाने की संभावना है, जबकि टॉप इनकम स्लैब को भी मौजूदा 15 लाख रुपए से संशोधित किए जाने की संभावना है.
इस बार वित्त मंत्री से क्या है उम्मीद
वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में आयकर दरों या स्लैब में कोई खास बदलाव नहीं किया था. हालांकि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कर विवादों को हल करने के लिए कई उपाय किए हैं. आगे के उपायों से मुकदमेबाजी कम करने में मदद मिल सकती है. अनुपालन बोझ कम करने के लिए टीडीएस और टीसीएस प्रावधानों के युक्तिकरण का भी स्वागत किया जाएगा.
स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ने की डिमांड
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) की डिमांड है कि टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी राहत देनी चाहिए. इसकी लिमिट बढ़ाने की जरूरत है. इनकम टैक्स के तहत अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट सिर्फ 50 हजार रुपए है. इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए किया जाना चाहिए. स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग वैसे खर्च के लिए की जा रही है, जो ऑफिस के काम पर होता है और यह प्रोफेशनल टैक्स के अतिरिक्त होता है.