भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने मेडिकल इमरजेंसी के मद्देनजर अस्पतालों में स्टाफ की कमी को देखते हुए सस्पेंडेट नर्सिंग और पेरामेडिकल स्टाफ को बहाल करने का फैसला लिया है. इसके साथ ही ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने वाले 186 डाक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आने वाले दिनों स्टाफ की आपूर्ति बड़ी चुनौती है. इसको देखते हुए स्वास्थ्य आयुक्त ने नर्सिंग स्टाफ और पेरामेडिकल के निलंबित कर्मचारियों को बहाल कर कोरोना में ड्यूटी लगाने के आदेश दिए हैं.
- तत्काल प्रभाव से सेवा वापसी के आदेश
स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने सभी क्षेत्रीय संचालकों को भेजे आदेश में निलंबित तृतीय श्रेणी नर्सिंग और पेरामेडिकल स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, कम्पाउंडर, फार्मासिस्ट, रेडियोग्राफर को तत्काल प्रभाव से सेवा में वापसी करने को कहा है. मैदानी कर्मचारियों एएनएम, एमपीडब्लू पर्यवेक्षक, बीईई को बहाल कर कोरोना मरीजों के इलाज संबंधी सेवाओं में ड्यूटी लगाने के आदेश भी दिए हैं.
- डाक्टर्स के खिलाफ एक्शन की तैयारी
पिछले दिनों भोपाल, इंदौर के सरकारी कालेजों में इंटर्नशिप पूरी करने वाले 235 डाक्टर्स को नौकरी ज्वाइन करने के आदेश जारी हुए थे, लेकिन इसमें से 186 डाक्टर कोरोना के बढ़ते मामलों में ड्यूटी करने से बच रहे हैं. इसको देखते हुए अब स्वास्थ्य आयुक्त ने चिकित्सा शिक्षा आय़ुक्त को पत्र लिखकर इनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. गौरतलब है कि इंदौर के एमवाय मेडिकल कॉलेज से पास हुए और भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप करने वाले डाक्टर्स को बॉन्ड भराकर ग्रामीण सेवा के तहत पोस्टिंग दी गई है. इन डाक्टर्स को 15 दिनों में ज्वाइन करना था. इसके साथ ही इनको एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए कहा गया था.
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- इन जिलों में हुई थी डॉक्टरों की पोस्टिंग
स्वास्थ्य विभाग के आंकडों के अनुसार भोपाल में 48, इंदौर में 32, सीहोर में 14, उज्जैन में 13, रतलाम में 9, बड़वानी में 8, बुरहानपुर में 7, खंडवा और देवास में 6-6, राजगढ़ और बैतूल में 5-5, होशंगाबाद, खरगोन, शाजापुर, विदिशा और नीमच में 4-4, धार और रायसेन में 3-3, हरदा और मंदसौर में 2-2, झाबुआ और अलीराजपुर में 1-1 डॉक्टर ने अब तक ज्वानिंग नहीं दी है.