भोपाल। प्रदेश में आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा लाए गए पेसा एक्ट को लेकर बीजेपी सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के ट्वीट से प्रदेश की सियासत गरमा गई है. बीजेपी सांसद ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान सबसे ज्यादा आदिवासियों की जमीनें बिकी हैं, लेकिन अब पेसा नियम से सभी अवैध अनुमति भूमि वापस आदिवासियों को मिलेगी. राघोगढ़ की आदिवासी भूमि भी भील राजा को वापस होगी. बीजेपी सांसद के ट्वीट पर दिग्विजय सिंह ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा कि 15 दिन में सबूत दें, नहीं तो मांफी मांगें.
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आदिवासी ज़मीन बिक्री की 170 B की सबसे अधिक अवैध अनुमति 1993-2003 में मिली .! मामा श्री शिवराजसिंह जी के पेसा नियम से सारी अवैध अनुमति भूमि वापस आदिवासियों को मिलेगी.... राघोगढ़ की आदिवासी भूमि भी भील राजा को होगी वापस #MP_पेसा_नियम @ChouhanShivraj @vdsharmabjp@digvijaya_28
— Dr. Sumer Singh Solanki (@DrSumerSolanki1) April 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Dr. Sumer Singh Solanki (@DrSumerSolanki1) April 11, 2023आदिवासी ज़मीन बिक्री की 170 B की सबसे अधिक अवैध अनुमति 1993-2003 में मिली .! मामा श्री शिवराजसिंह जी के पेसा नियम से सारी अवैध अनुमति भूमि वापस आदिवासियों को मिलेगी.... राघोगढ़ की आदिवासी भूमि भी भील राजा को होगी वापस #MP_पेसा_नियम @ChouhanShivraj @vdsharmabjp@digvijaya_28
— Dr. Sumer Singh Solanki (@DrSumerSolanki1) April 11, 2023
दिग्विजय सिंह का पलटवार: विवाद की शुरूआत बीजेपी सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के ट्वीट से हुआ. इस ट्वीट पर दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर पलटवार किया. दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी सांसद सरासर झूठ बोल रहे हैं. आप के पास कोई प्रमाण है क्या? अगले 15 दिन में प्रमाण दीजिए नहीं तो माफी मांगिए. एमपी पहला राज्य था, जिसने पेसा कानून लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया 1998 में शुरु कर ग्राम स्वराज अधिनियम लागू कर दिया था. दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रूके उन्होंने एक और ट्वीट किया. इसमें उन्होंने लिखा कि आप में साहस है तो मेरे साथ पन्ना चल कर देख लीजिए. बीजेपी नेताओं द्वारा किस तरह आदिवासियों की जमीन पर धोखा देकर अपने नाम से रजिस्ट्री करा ली और कब्जा कर लिया. जिस बीजेपी नेता ने कब्जा किया है, वह आपके बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खास हैं.
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सरासर झूट बोल रहे हैं @DrSumerSolanki1 जी आप। आप के पास कोई प्रमाण है क्या? अगले १५ दिन में प्रमाण दीजिये नहीं तो माफ़ी माँगिये। एमपी पहला राज्य था जिसने PESA क़ानून लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया १९९८ में शुरू कर ग्राम स्वराज अधिनियम लागू कर दिया था।@BJP4MP
— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
-१ https://t.co/tB7V20GAhV
">सरासर झूट बोल रहे हैं @DrSumerSolanki1 जी आप। आप के पास कोई प्रमाण है क्या? अगले १५ दिन में प्रमाण दीजिये नहीं तो माफ़ी माँगिये। एमपी पहला राज्य था जिसने PESA क़ानून लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया १९९८ में शुरू कर ग्राम स्वराज अधिनियम लागू कर दिया था।@BJP4MP
— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 11, 2023
-१ https://t.co/tB7V20GAhVसरासर झूट बोल रहे हैं @DrSumerSolanki1 जी आप। आप के पास कोई प्रमाण है क्या? अगले १५ दिन में प्रमाण दीजिये नहीं तो माफ़ी माँगिये। एमपी पहला राज्य था जिसने PESA क़ानून लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया १९९८ में शुरू कर ग्राम स्वराज अधिनियम लागू कर दिया था।@BJP4MP
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पेसा को लेकर सरकार सतर्क: दरअसल पेसा एक्ट के जरिए सरकार आदिवासियों के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. सीएम शिवराज सिंह द्वारा लगातार इसको लेकर समीक्षा की जा रही है. इसके अलावा सभी मंत्रियों से लेकर विधायकों तक को आदिवासी क्षेत्रों में इस एक्ट के प्रचार-प्रसार में लगाया गया है. सरकार इस एक्ट की खूबियां बताकर इसे आगामी चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है.