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बस से उतरते समय पहिये के नीचे आई छात्रा, इलाज के दौरान मौत

राजधानी भोपाल के नजीराबाद थाना क्षेत्र में एक स्कूली छात्रा के साथ दर्दनाक हादसा होने का मामला सामने आया है, जहां पर उसी की स्कूल बस ने उसको बस से उतरते समय कुचल दिया, जिससे बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई.

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Published : Jan 30, 2021, 9:55 AM IST

Updated : Jan 30, 2021, 10:43 AM IST

भोपाल। जिले के नजीराबाद इलाके में गुरुवार की शाम दसवीं कक्षा की एक छात्रा अपने ही स्कूल की बस के नीचे आकर हादसे का शिकार हो गई. इस पर उसे इलाज के लिए निजी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां कुछ घंटों तक चले इलाज के बाद उसने दम तोड़ दिया. घटना के समय छात्रा बस से उतरने का प्रयास कर रही थी, लेकिन चालक ने उतरने से पहले ही बस को चला दिया, जिससे बस का पहिया छात्रा की कमर पर से गुजर गया. इस घटना के विरोध में ग्रामीणों ने स्कूल के सामने नारेबाजी करते हुए प्रबंधन पर कई प्रकार की लापरवाही के आरोप लगाए हैं.

बस से उतरते समय आई बस के टायर के नीचे

नज़ीराबाद थाना प्रभारी भरत प्रताप सिंह के मुताबिक छात्रा कढ़ैया शाह स्थित संस्कार वैली पब्लिक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ती थी और स्कूल की बस से आना-जाना करती थी. गुरुवार शाम करीब साढ़े चार बजे रेणु बस से घर लौट रही थी, तब गांव के पास स्टॉप पर चालक ने बस रोकी तो रेणु उतरने लगी, उसका एक पैर ही जमीन पर पहुंचा था, तभी चालक ने तेजी के साथ बस को आगे बढ़ा दिया, जिससे छात्रा गिर पड़ी और बस का पहिया उसकी कमर पर से गुजर गया. चालक को जैसे ही पता चला कि छात्रा बस की चपेट में आ गई है तो उसने वाहन दौड़ा दिया. इसी बीच वहां से गुजर रहे राहगीरों ने पीछा कर बस को पकड़ लिया.

इलाज के दौरान निजी अस्पताल में हुई मौत

हादसे की जानकारी मिलते ही बच्ची के परिजन और गांव वाले मौके पर पहुंच गए. इस बीच स्कूल संचालक भी मौके पर पहुंचे और घायल बच्ची को इलाज के लिए भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया. अस्पताल से मिली सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम कराया और शुक्रवार को लाश परिजन को सौंप दी.

स्कूल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप

मृतका के पिता हरिनारायण ने बताया कि कोरोना काल में भी स्कूल चल रहा था. गुरुवार को स्कूल से लौटते समय ड्राइवर ने उतरने से पहले ही गाड़ी चला दी, जिससे बच्ची की जान चली गई. वहीं छोटे भाई महेंद्र गुर्जर का आरोप है कि प्रबंधन की लापरवाही के चलते उसकी बहन की जान गई है. गांव के सरपंच राधेश्याम मीना ने बताया कि कोरोना काल में भी स्कूल चल रहा था. बाहर से भी टीचर पढ़ाने आते थे, जिससे गांव में महामारी का डर था.

भोपाल। जिले के नजीराबाद इलाके में गुरुवार की शाम दसवीं कक्षा की एक छात्रा अपने ही स्कूल की बस के नीचे आकर हादसे का शिकार हो गई. इस पर उसे इलाज के लिए निजी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां कुछ घंटों तक चले इलाज के बाद उसने दम तोड़ दिया. घटना के समय छात्रा बस से उतरने का प्रयास कर रही थी, लेकिन चालक ने उतरने से पहले ही बस को चला दिया, जिससे बस का पहिया छात्रा की कमर पर से गुजर गया. इस घटना के विरोध में ग्रामीणों ने स्कूल के सामने नारेबाजी करते हुए प्रबंधन पर कई प्रकार की लापरवाही के आरोप लगाए हैं.

बस से उतरते समय आई बस के टायर के नीचे

नज़ीराबाद थाना प्रभारी भरत प्रताप सिंह के मुताबिक छात्रा कढ़ैया शाह स्थित संस्कार वैली पब्लिक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ती थी और स्कूल की बस से आना-जाना करती थी. गुरुवार शाम करीब साढ़े चार बजे रेणु बस से घर लौट रही थी, तब गांव के पास स्टॉप पर चालक ने बस रोकी तो रेणु उतरने लगी, उसका एक पैर ही जमीन पर पहुंचा था, तभी चालक ने तेजी के साथ बस को आगे बढ़ा दिया, जिससे छात्रा गिर पड़ी और बस का पहिया उसकी कमर पर से गुजर गया. चालक को जैसे ही पता चला कि छात्रा बस की चपेट में आ गई है तो उसने वाहन दौड़ा दिया. इसी बीच वहां से गुजर रहे राहगीरों ने पीछा कर बस को पकड़ लिया.

इलाज के दौरान निजी अस्पताल में हुई मौत

हादसे की जानकारी मिलते ही बच्ची के परिजन और गांव वाले मौके पर पहुंच गए. इस बीच स्कूल संचालक भी मौके पर पहुंचे और घायल बच्ची को इलाज के लिए भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया. अस्पताल से मिली सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम कराया और शुक्रवार को लाश परिजन को सौंप दी.

स्कूल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप

मृतका के पिता हरिनारायण ने बताया कि कोरोना काल में भी स्कूल चल रहा था. गुरुवार को स्कूल से लौटते समय ड्राइवर ने उतरने से पहले ही गाड़ी चला दी, जिससे बच्ची की जान चली गई. वहीं छोटे भाई महेंद्र गुर्जर का आरोप है कि प्रबंधन की लापरवाही के चलते उसकी बहन की जान गई है. गांव के सरपंच राधेश्याम मीना ने बताया कि कोरोना काल में भी स्कूल चल रहा था. बाहर से भी टीचर पढ़ाने आते थे, जिससे गांव में महामारी का डर था.

Last Updated : Jan 30, 2021, 10:43 AM IST
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