भोपाल। देश का दिल यानी मध्यप्रेदश अपनी ऐतिहासिक धरोहर और दर्शनीय स्थानों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां भगवान भोलेनाथ से जुड़े ऐसे कई ऐसे धार्मिक स्थान हैं, जहां भक्ति का मनोरम दृश्य अमूमन देखने को मिलता है, भक्त भक्ति में लीन रहते हैं और चारों तरफ ईश्वर भक्ति की धुन गूंजती रहती है. कल शिवरात्री है. इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं. महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है. ऐसे में हम आपको ले चलते हैं एक ऐसे स्थान पर जहां का अपना महत्व है और अपना इतिहास.
शिवरात्रि के मौके पर हम भोजपुर पहुंचे, राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपुर में मौजूद ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है. मंदिर से जुड़ी वैसे तो कई मान्यताएं हैं. मंदिर में स्थित इस शिवलिंग की ऊंचाई साडे़ 21 फीट है, पिंडी का व्यास 18 फीट 8 इंच और जल हरि का निर्माण 20 बाय 20 से हुआ है.
मंदिर का निर्माण है अधूरा
भोजपुरी स्थित इस मंदिर में आज भी निर्माण अधूरा देखा जाता है. जिसके गर्भ गृह में पत्थर के टुकड़े का पॉलिश किया हुआ शिवलिंग है. भारत में पाए जाने वाले मंदिरों में सबसे बड़ा शिवलिंग भोजपुर के शिव मंदिर का माना जाता है.
मंदिर से जुड़ी हैं कई मान्यताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदिर निर्माण से जुड़ी एक कहानी ये भी सामने आती है कि जब द्वापर युग में पांडवों द्वारा माता कुंती की पूजा के लिए शिव मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया गया था और अगले दिन सुबह होने के बाद निर्माण का काम अधूरा छोड़ दिया गया था, जो आज भी वैसा ही अधूरा नजर आता है.
दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग
शिवलिंग का निर्माण भोजपुर के शिव मंदिर को इस तरीके से तैयार किया गया है कि इस शिवलिंग में कहीं भी कोई जोड़ नहीं है. शिवलिंग को एक चट्टान की मदद से ही बनाया गया है. मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग करीब साढ़े 7 फीट लंबा और 17. 8 फुट परिधि वाला है, जो दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है.
शिवरात्रि पर आते हैं हजारों श्रद्धालु
महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसी कारण महिलाएं अपनी मनोकामना के साथ इस दिन व्रत रखती हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा करने यहां बड़ी संख्या में पहुंचती हैं, शिवरात्रि पर हर साल इस मंदिर में करीब 1 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.