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पितृ मोक्ष अमावस्या पर बन रहा विशेष गज छाया योग, जानें क्या है शुभ मुहूर्त - महाभारत

श्राद्ध पक्ष में गजछाया योग का बनना दुर्लभ माना गया है. इस बार यह योग 6 अक्‍टूबर को लगने जा रहा है. इस दौरान तीर्थ स्‍नान, दान और जप का व‍िशेष महत्‍व है. शास्त्रों में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में जिस दिन गज छाया योग लगता है, उस दिन पितृों को दिया गया जल और पिण्ड का सुख उन्हें 13 वर्षों तक प्राप्त होता है.

Pitru Moksha Amavasya
पितृ मोक्ष अमावस्या
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Published : Oct 3, 2021, 7:47 AM IST

Updated : Oct 3, 2021, 8:24 AM IST

भोपाल। इस वर्ष पित्र पक्ष विशेष है, क्योंकि काफी वर्षों बाद इस साल गज छाया योग बन रहा है. इस वर्ष 5 अक्टूबर को पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. इस रात 1 बजकर 10 मिनट से गजछाया योग आरंभ होगा. यह 6 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस समय पितृों का पूजन अत्यंत शुभ फलदायी होगा. शास्त्रों के अनुसार इस संयोग में चंद्रमा के ऊपर स्थित पितृलोक से पितृों की आत्माएं आसानी से आ जा सकती हैं. इस योग में पितरों की पूजा बहुत ही शुभ कहा गया है.

गजछाया योग पर दें तर्पण.

कई सालों बाद बन रहा है विशेष योग
श्राद्ध पक्ष में गजछाया योग का बनना दुर्लभ माना गया है. इस बार यह योग 6 अक्‍टूबर को लगने जा रहा है. इस दौरान तीर्थ स्‍नान, दान और जप का व‍िशेष महत्‍व है. शास्त्रों में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में जिस दिन गज छाया योग लगता है, उस दिन पितृों को दिया गया जल और पिण्ड का सुख उन्हें 13 वर्षों तक प्राप्त होता है. गजछाया योग में तर्पण करने से पितृ बड़े तृप्त और प्रसन्न होते हैं.

क्‍या है गजछाया योग
गजछाया योग एक ऐसा योग है, जो प्रत्‍येक वर्ष नहीं बनता बल्कि यह कभी-कभार कुछ व‍िशेष नक्षत्रों के संयोग से ही बनते हैं. मान्‍यता है क‍ि यह जब भी बनता है तो केवल प‍ितृपक्ष में बनता है. जब आश्विन कृष्‍ण पक्ष में त्रयोदशी त‍िथ‍ि को चंद्रमा और सूर्य दोनों हस्त नक्षत्र में होते हैं. यह त‍िथ‍ि पितृपक्ष की त्रयोदशी या फ‍िर अमावस्‍या के द‍िन ही बनती है. इस योग का उल्‍लेख स्‍कंदपुराण, अग्निपुराण, मत्‍स्‍यपुराण, वराहपुराण और महाभारत में किया गया है. मान्‍यता है क‍ि इस योग में अगर पितृों का श्राद्ध तर्पण क‍िया जाए तो पितृ कम से कम 13 वर्ष तक तृप्‍त रहते हैं.

कैसे बनता है यह विशेष योग
सूर्य पर राहू या फिर केतू की दृष्टि पड़ने पर गज छाया का योग बनता है. इससे पहले 2018 में सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर भी गज छाया योग बना था. पितृ पक्ष में गज छाया योग होने पर तर्पण और श्राद्ध करने से वंश वृद्धि, धन संपत्ति और पितृों से मिलने वाले आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. इस योग को पितृों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का खास अवसर बताया गया है. गजछाया योग में गया, पुष्‍कर, हर‍िद्वार, बद्रीनाथ और प्रयागराज में पितृों का श्राद्ध करने के ल‍िए लोग दूर-दूर से आते हैं. नद‍ी के तट पर पितृों का श्राद्ध करते हैं. मान्‍यता है क‍ि इस योग में श्राद्ध करने से पितृ को अक्षय पुण्‍य की प्राप्ति होती है.

दान का विशेष महत्व
अग्नि, मत्स्य और वराह पुराण में भी गजछाया योग का वर्णन किया गया है. इस शुभ योग में पितृों के लिए श्राद्ध और घी मिली हुई खीर का दान करने से पितृ कम से कम 12 सालों के लिए तृप्त हो जाते हैं. गजछाया योग में तीर्थ-स्नान, ब्राह्मण भोजन, अन्न, वस्त्रादि का दान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसमें विधि-विधान से श्राद्ध करने से पितृ को तृप्ति मिलती है. श्राद्ध करने वाले को पारिवारिक उन्नति और संतान से सुख मिलता है. साथ ही ऋण से भी मुक्ति मिलती है. पितृ दोष वाले जातकों को इस विशेष योग में तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.

भोपाल। इस वर्ष पित्र पक्ष विशेष है, क्योंकि काफी वर्षों बाद इस साल गज छाया योग बन रहा है. इस वर्ष 5 अक्टूबर को पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. इस रात 1 बजकर 10 मिनट से गजछाया योग आरंभ होगा. यह 6 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस समय पितृों का पूजन अत्यंत शुभ फलदायी होगा. शास्त्रों के अनुसार इस संयोग में चंद्रमा के ऊपर स्थित पितृलोक से पितृों की आत्माएं आसानी से आ जा सकती हैं. इस योग में पितरों की पूजा बहुत ही शुभ कहा गया है.

गजछाया योग पर दें तर्पण.

कई सालों बाद बन रहा है विशेष योग
श्राद्ध पक्ष में गजछाया योग का बनना दुर्लभ माना गया है. इस बार यह योग 6 अक्‍टूबर को लगने जा रहा है. इस दौरान तीर्थ स्‍नान, दान और जप का व‍िशेष महत्‍व है. शास्त्रों में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में जिस दिन गज छाया योग लगता है, उस दिन पितृों को दिया गया जल और पिण्ड का सुख उन्हें 13 वर्षों तक प्राप्त होता है. गजछाया योग में तर्पण करने से पितृ बड़े तृप्त और प्रसन्न होते हैं.

क्‍या है गजछाया योग
गजछाया योग एक ऐसा योग है, जो प्रत्‍येक वर्ष नहीं बनता बल्कि यह कभी-कभार कुछ व‍िशेष नक्षत्रों के संयोग से ही बनते हैं. मान्‍यता है क‍ि यह जब भी बनता है तो केवल प‍ितृपक्ष में बनता है. जब आश्विन कृष्‍ण पक्ष में त्रयोदशी त‍िथ‍ि को चंद्रमा और सूर्य दोनों हस्त नक्षत्र में होते हैं. यह त‍िथ‍ि पितृपक्ष की त्रयोदशी या फ‍िर अमावस्‍या के द‍िन ही बनती है. इस योग का उल्‍लेख स्‍कंदपुराण, अग्निपुराण, मत्‍स्‍यपुराण, वराहपुराण और महाभारत में किया गया है. मान्‍यता है क‍ि इस योग में अगर पितृों का श्राद्ध तर्पण क‍िया जाए तो पितृ कम से कम 13 वर्ष तक तृप्‍त रहते हैं.

कैसे बनता है यह विशेष योग
सूर्य पर राहू या फिर केतू की दृष्टि पड़ने पर गज छाया का योग बनता है. इससे पहले 2018 में सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर भी गज छाया योग बना था. पितृ पक्ष में गज छाया योग होने पर तर्पण और श्राद्ध करने से वंश वृद्धि, धन संपत्ति और पितृों से मिलने वाले आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. इस योग को पितृों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का खास अवसर बताया गया है. गजछाया योग में गया, पुष्‍कर, हर‍िद्वार, बद्रीनाथ और प्रयागराज में पितृों का श्राद्ध करने के ल‍िए लोग दूर-दूर से आते हैं. नद‍ी के तट पर पितृों का श्राद्ध करते हैं. मान्‍यता है क‍ि इस योग में श्राद्ध करने से पितृ को अक्षय पुण्‍य की प्राप्ति होती है.

दान का विशेष महत्व
अग्नि, मत्स्य और वराह पुराण में भी गजछाया योग का वर्णन किया गया है. इस शुभ योग में पितृों के लिए श्राद्ध और घी मिली हुई खीर का दान करने से पितृ कम से कम 12 सालों के लिए तृप्त हो जाते हैं. गजछाया योग में तीर्थ-स्नान, ब्राह्मण भोजन, अन्न, वस्त्रादि का दान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसमें विधि-विधान से श्राद्ध करने से पितृ को तृप्ति मिलती है. श्राद्ध करने वाले को पारिवारिक उन्नति और संतान से सुख मिलता है. साथ ही ऋण से भी मुक्ति मिलती है. पितृ दोष वाले जातकों को इस विशेष योग में तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.

Last Updated : Oct 3, 2021, 8:24 AM IST
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