भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस की शुरुआत हुए लगभग 6 महीने हो चुकी है लेकिन अब भी प्रदेश में स्थिति बद से बदतर है. लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसके साथ ही अब मौतों का आंकड़ा भी दिनों दिन बढ़ रहा है. कोरोना वायरस ने किसी को भी नहीं छोड़ा है. बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सब इसकी चपेट में आ चुके हैं. हालांकि विशेषज्ञ डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उन्हें कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा है इनमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग, ऐसे व्यक्ति जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो और गर्भवती महिलाएं शामिल है. कोरोना महामारी के इस दौर में गर्भवती महिलाएं भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुई है. राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में ऐसे मामले सामने आये हैं, जहां गर्भवती महिलाओं को भी संक्रमण हुआ है और महिलाओं से उनके नवजात बच्चों को भी संक्रमण पहुंचा है. ऐसी गर्भवती महिलाएं जो कोरोना वायरस की शिकार हुई है उनके लिए राजधानी भोपाल समेत मध्यप्रदेश के सभी प्रसूति गृहों और जिला अस्पतालों में अलग से व्यवस्थाएं की गई हैं.
भोपाल में संक्रमित गर्भवती महिलाओं को लेकर क्या खास व्यवस्था की गई है. इस बारे में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि अभी आई नई गाइडलाइन के मुताबिक हर एक गर्भवती महिला का कोविड-19 टेस्ट करवाना जरूरी नहीं है. अब केवल उन्हीं गर्भवती महिलाओं का टेस्ट किया जा रहा है. जो कंटेनमेंट क्षेत्र से हो या जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण हो या फिर वह किसी कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के संपर्क में आई हो. यदि कोई गर्भवती महिला कोविड पॉजिटिव पाई जाती है तो उनके इलाज और प्रसव की अलग से व्यवस्था राजधानी के विभिन्न प्रसूति गृहों और अस्पतालों में की गई.
अभी तक के डेटा के मुताबिक राजधानी में कई मामले गर्भवती महिलाओं के संक्रमण के आये है जिनकी सफल डिलीवरी भी कराई गई है। साथ ही कोविड पॉजिटिव नवजात बच्चे की भी देखभाल के लिए टीम काम कर रही। अभी तक राजधानी में कोविड से किसी भी नवजात के मौत का मामला सामने नहीं आया है. कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के इलाज में डॉक्टर भी काफी सावधानियां बरत रहे हैं.
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रद्धा अग्रवाल ने बताया कि जब हम किसी पॉजिटिव गर्भवती महिला का इलाज कर रहे हैं तो पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क इन सब का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ ही वार्ड सैनिटाइजेशन भी समय-समय पर किया जा रहा है. कोरोना संक्रमित माता से नवजात को कोरोना वायरस होने के खतरे को लेकर डॉ. श्रद्धा अग्रवाल का कहना है कि हालांकि यह खतरा तो बना रहता है पर फिर भी माता को हम पूरी सावधानी रखने की हिदायत दे रहे हैं. नवजात के लिए मां का दूध सबसे जरूरी होता है इसीलिए मां का दूध ही नवजात को दिया जा रहा है जिसके लिए मां मास्क लगाकर और ग्लव्स पहनकर बच्चे को दूध पिला सकती है. यदि कोई गर्भवती महिला कोविड पॉजिटिव है और उसका बच्चा कोविड नेगेटिव है तो सारी सावधानियों के साथ मां अपने बच्चे के साथ रह सके इसे भी हम सुनिश्चित कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश में कोविड-19 गर्भवती महिलाओं के लिए क्या खास व्यवस्था है इस बारे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन डायरेक्टर छवि भारद्वाज ने बताया कि कोविड पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं. हर एक जिला अस्पताल में आइसोलेशन की सुविधा की गई है ताकि यदि कोई गर्भवती महिला एएनसी समय या फिर प्रसव के समय कोरोना संक्रमित पाई जाती है तो उनको आइसोलेट कर लेबर मैनेजमेंट किया जा सके. प्रदेश के हर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में यह व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही एक लेबर टेबल और 5 बेड भी आरक्षित किए गए हैं.
राजधानी भोपाल में कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जहां पर गर्भवती महिलाओं का प्रसव डॉक्टरों की टीम ने मिलकर किया है और यह काफी हद तक सफल भी हुआ है. कोरोना वायरस की शुरुआत से लेकर अब तक हुए गर्भवती महिलाओं के मामलों में केवल 10% गंभीर मामले ही सामने आए हैं. जहां गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हुई है. वहीं अब तक ऐसा एक भी केस नहीं देखने को मिला है जहां पर गर्भवती महिला से किसी डॉक्टर को संक्रमण हुआ हो.