भोपाल| गैस त्रासदी के बाद से ही लगातार संघर्ष करने वाले समाज सेवी अब्दुल जब्बार को मरणोपरांत पद्मश्री दिए जाने की घोषणा केंद्र सरकार के द्वारा की गई है. देश का इतना बड़ा सम्मान मिलने पर परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन उनके जाने का गम भी परिजनों की आंखों में दिखाई पड़ता है. जिस समाजसेवी ने अपनी पूरी जिंदगी गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में लगा दी. आज वही परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. ऐसी स्थिति में परिवार को इस बात की नाराजगी भी है कि राज्य सरकार ने अब तक किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं की है. यहां तक कि दो महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने जो राशि दिए जाने की घोषणा की थी, वो भी उन्हें नहीं मिल पाई है.
गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार के छोटे भाई अब्दुल समीन का कहना है कि बड़े भाई को उनके किए गए, कार्यों के लिए पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. जैसे ही ये बात पता चली तो सभी को बेहद खुशी हो रही है, लेकिन इस बात का दुख भी है कि आज वो उनके बीच में नहीं हैं. उनका साया हमेशा हमारे सर पर रहा है, लेकिन आज हम उस खुशी से मेहरूम हैं, क्योंकि अब वो हमारे बीच में नहीं रहे.
भोपाल कलेक्टर के द्वारा जरूर ये कहा गया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वो 25% की मदद कर सकते हैं, लेकिन बाकी के 75% राशि की व्यवस्था स्वयं करनी होगी. अब जब उनके घर में 10 किलो आटा नहीं है तो, वो बच्चों को पढ़ाने के लिए बाकी की राशि का इंतजाम कैसे करेंगे.
वहीं अब्दुल जब्बार के बड़े बेटे साहिल जब्बार का कहना है कि पिता यदि होते तो उनको ज्यादा खुशी होती, हालांकि पद्मश्री जैसा सम्मान मिला गौरव का विषय है, लेकिन यदि ये सम्मान उन्हें जिंदा रहते हुए दिया जाता तो शायद और ज्यादा गर्व की बात होती. उन्होंने बताया कि उनका यही सपना है कि पिता अब्दुल जब्बार के जो काम अधूरे रह गए हैं, वो किसी तरह से पूरे हो जाएं, क्योंकि वो जो सपना देखा करते थे वो अभी पूरा नहीं हुआ है.