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समाज सेवी अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने पर परिवार में खुशी, लेकिन आर्थिक तंगी से गुजर रहा परिवार - भोपाल गैस त्रासदी

भोपाल गैस त्रासदी के बाद से संघर्ष करने वाले समाज सेवी अब्दुल जब्बार को मरणोपरांत पद्मश्री दिए जाने की घोषणा, केंद्र सरकार के द्वारा की गई है.

Abdul Jabbar will get Padma Shri
अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने की परिवार को है खुशी
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Published : Jan 26, 2020, 4:35 PM IST

Updated : Jan 26, 2020, 5:26 PM IST

भोपाल| गैस त्रासदी के बाद से ही लगातार संघर्ष करने वाले समाज सेवी अब्दुल जब्बार को मरणोपरांत पद्मश्री दिए जाने की घोषणा केंद्र सरकार के द्वारा की गई है. देश का इतना बड़ा सम्मान मिलने पर परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन उनके जाने का गम भी परिजनों की आंखों में दिखाई पड़ता है. जिस समाजसेवी ने अपनी पूरी जिंदगी गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में लगा दी. आज वही परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. ऐसी स्थिति में परिवार को इस बात की नाराजगी भी है कि राज्य सरकार ने अब तक किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं की है. यहां तक कि दो महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने जो राशि दिए जाने की घोषणा की थी, वो भी उन्हें नहीं मिल पाई है.

अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने की परिवार को है खुशी


गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार के छोटे भाई अब्दुल समीन का कहना है कि बड़े भाई को उनके किए गए, कार्यों के लिए पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. जैसे ही ये बात पता चली तो सभी को बेहद खुशी हो रही है, लेकिन इस बात का दुख भी है कि आज वो उनके बीच में नहीं हैं. उनका साया हमेशा हमारे सर पर रहा है, लेकिन आज हम उस खुशी से मेहरूम हैं, क्योंकि अब वो हमारे बीच में नहीं रहे.

अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने की परिवार को है खुशी


भोपाल कलेक्टर के द्वारा जरूर ये कहा गया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वो 25% की मदद कर सकते हैं, लेकिन बाकी के 75% राशि की व्यवस्था स्वयं करनी होगी. अब जब उनके घर में 10 किलो आटा नहीं है तो, वो बच्चों को पढ़ाने के लिए बाकी की राशि का इंतजाम कैसे करेंगे.


वहीं अब्दुल जब्बार के बड़े बेटे साहिल जब्बार का कहना है कि पिता यदि होते तो उनको ज्यादा खुशी होती, हालांकि पद्मश्री जैसा सम्मान मिला गौरव का विषय है, लेकिन यदि ये सम्मान उन्हें जिंदा रहते हुए दिया जाता तो शायद और ज्यादा गर्व की बात होती. उन्होंने बताया कि उनका यही सपना है कि पिता अब्दुल जब्बार के जो काम अधूरे रह गए हैं, वो किसी तरह से पूरे हो जाएं, क्योंकि वो जो सपना देखा करते थे वो अभी पूरा नहीं हुआ है.

भोपाल| गैस त्रासदी के बाद से ही लगातार संघर्ष करने वाले समाज सेवी अब्दुल जब्बार को मरणोपरांत पद्मश्री दिए जाने की घोषणा केंद्र सरकार के द्वारा की गई है. देश का इतना बड़ा सम्मान मिलने पर परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन उनके जाने का गम भी परिजनों की आंखों में दिखाई पड़ता है. जिस समाजसेवी ने अपनी पूरी जिंदगी गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में लगा दी. आज वही परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. ऐसी स्थिति में परिवार को इस बात की नाराजगी भी है कि राज्य सरकार ने अब तक किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं की है. यहां तक कि दो महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने जो राशि दिए जाने की घोषणा की थी, वो भी उन्हें नहीं मिल पाई है.

अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने की परिवार को है खुशी


गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार के छोटे भाई अब्दुल समीन का कहना है कि बड़े भाई को उनके किए गए, कार्यों के लिए पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. जैसे ही ये बात पता चली तो सभी को बेहद खुशी हो रही है, लेकिन इस बात का दुख भी है कि आज वो उनके बीच में नहीं हैं. उनका साया हमेशा हमारे सर पर रहा है, लेकिन आज हम उस खुशी से मेहरूम हैं, क्योंकि अब वो हमारे बीच में नहीं रहे.

अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने की परिवार को है खुशी


भोपाल कलेक्टर के द्वारा जरूर ये कहा गया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वो 25% की मदद कर सकते हैं, लेकिन बाकी के 75% राशि की व्यवस्था स्वयं करनी होगी. अब जब उनके घर में 10 किलो आटा नहीं है तो, वो बच्चों को पढ़ाने के लिए बाकी की राशि का इंतजाम कैसे करेंगे.


वहीं अब्दुल जब्बार के बड़े बेटे साहिल जब्बार का कहना है कि पिता यदि होते तो उनको ज्यादा खुशी होती, हालांकि पद्मश्री जैसा सम्मान मिला गौरव का विषय है, लेकिन यदि ये सम्मान उन्हें जिंदा रहते हुए दिया जाता तो शायद और ज्यादा गर्व की बात होती. उन्होंने बताया कि उनका यही सपना है कि पिता अब्दुल जब्बार के जो काम अधूरे रह गए हैं, वो किसी तरह से पूरे हो जाएं, क्योंकि वो जो सपना देखा करते थे वो अभी पूरा नहीं हुआ है.

Intro:समाजसेवी अब्दुल जब्बार को पद्मश्री मिलने की परिवार को खुशी , पर आर्थिक तंगी से गुजर रहा परिवार


भोपाल | भोपाल गैस त्रासदी के बाद से ही लगातार संघर्ष करने वाले समाजसेवी अब्दुल जब्बार को मरणोपरांत पद्मश्री दिए जाने की घोषणा केंद्र सरकार के द्वारा की गई है देश का इतना बड़ा सम्मान मिलने पर परिवार में खुशी का माहौल है लेकिन उनके जाने का गम भी परिजनों की आंखों में दिखाई पड़ता है जिस समाजसेवी ने अपनी पूरी जिंदगी गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में लगा दी आज वही परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है ऐसी स्थिति में परिवार को इस बात की नाराजगी भी है कि राज्य सरकार ने अब तक किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं की है यहां तक कि 2 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने जो राशि दिए जाने की घोषणा की थी वह भी उन्हें नहीं मिल पाई है .


पुरानी भोपाल की राजेंद्र नगर में समाजसेवी अब्दुल जब्बार का पूरा परिवार रहता है एक छोटे से मकान में रहकर पूरा परिवार अपनी गुजर-बसर कर रहा है मकान की हालत यह है कि इस मकान की छत भी नहीं है यहां केवल एक प्लास्टिक की पन्नी बिछाई गई है ताकि पानी से और धूप से बचाव हो सके इस छोटे से घर में अब्दुल जब्बार का पूरा परिवार अपनी जिंदगी गुजार रहा है . अब्दुल जब्बार के पुराने चित्रों को देखकर परिवार उनकी यादों में खो जाता है कई बार तो उनके चित्रों को देखकर एकाएक परिवार के लोगों के आंसू निकल पड़ते हैं .


Body:गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार के छोटे भाई अब्दुल समीन का कहना है कि बड़े भाई को उनके किए गए कार्यों के लिए पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई है जैसे ही यह बात पता चली तो सभी को बेहद खुशी हो रही है लेकिन इस बात का दुख भी है कि आज भी हमारे बीच में नहीं है उनका साया हमेशा हमारे सर पर रहा है लेकिन आज हम उस खुशी से मैहरूम है क्योंकि अब वह हमारे बीच में नहीं रहे उनके चले जाने के बाद परिवार में भी संघर्ष का दौर चल रहा है बड़े भाई साहब ने अपना पूरा जीवन केवल गैस पीड़ितों के लिए निछावर कर दिया एक समय खाना खाकर भी उन्होंने अपने संघर्ष को कभी नहीं छोड़ा यहां तक कि उन्होंने अपने परिवार को भी समय नहीं दिया लेकिन गैस पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए भोपाल न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ते रहे उन्होंने अपने अंतिम समय में भी केवल गैस पीड़ितों का भला ही सोचा है 2 महीने पहले ही बीमारी से संघर्ष करते हुए उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था लेकिन उनके चले जाने के बाद कई मुश्किलों का सामना अब परिवार को करना पड़ रहा है वह थे तो हर मुश्किल को हल कर लेते थे लेकिन अब हम सभी को इन चीजों से दो-चार होना पड़ता है हमारी स्थिति ऐसी नहीं है कि हम उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा या अच्छा खाना खिला सके स्थिति यह है कि परिवार एक समय का खाना खाकर ही गुजर बसर कर रहा है भोपाल कलेक्टर के द्वारा जरूर यह कहा गया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वे 25% की मदद कर सकते हैं लेकिन बाकी के 75% राशि की व्यवस्था हमें स्वयं करनी होगी अब जब हमारे घर में 10 किलो आटा नहीं है तो हम बच्चों को पढ़ाने के लिए बाकी की राशि का इंतजाम कैसे करेंगे हम चाहते हैं कि बड़े भाई अब्दुल जब्बार के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन करें लेकिन सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल पाई है जिसका हमें अफसोस है


Conclusion:वही अब्दुल जब्बार के बड़े बेटे साहिल जब्बार का कहना है कि पिता यदि होते तो हमें ज्यादा खुशी होती हालांकि पद्मश्री जैसा सम्मान मिला गौरव का विषय है लेकिन यदि यह सम्मान उन्हें जिंदा रहते हुए दिया जाता तो शायद और ज्यादा गर्व की बात होती जैसे ही हमें यह सूचना मिली कि पिताजी को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा तो सभी को खुशी हुई लेकिन उनके चले जाने का गम सभी को है. उन्होंने बताया कि उनका यही सपना है कि पिता अब्दुल जब्बार के जो काम अधूरे रह गए हैं वे किसी तरह से पूरे हो जाए क्योंकि वह जो सपना देखा करते थे वह अभी पूरा नहीं हुआ है उन्होंने हमेशा हार गैस पीड़ित को इंसाफ दिलाने का सपना संजो रखा था लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया वह अपने अंतिम समय में भी लोगों के लिए काम करते रहे जिस समय वे अस्पताल में अपना उपचार करा रहे थे तो स्थिति यह बन जाती थी कि कई बार वह अस्पताल से ही लोगों की मदद करने के लिए निकल जाया करते थे और फिर बाद में वापस अस्पताल आ जाया करते थे


परिवार से जुड़े और भी बच्चों ने अब्दुल जब्बार को याद करते हुए बताया कि वह बहुत ही अच्छे दिल के इंसान थे हमेशा दूसरों के दुख को अपना दुख समझा करते थे यही वजह रही कि उन्होंने जीवन भर दूसरों को इंसाफ दिलाने के लिए लगा दिया वह कभी भी हम लोगों को इतना समय नहीं देते थे उनका ज्यादातर समय संगठन के कार्यों और गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष करने में ही निकल गया आज जब वह हमारे बीच में नहीं है तो हमेशा उनकी याद आती है .
Last Updated : Jan 26, 2020, 5:26 PM IST
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