भोपाल। मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक धरोहर संभाल रहे ट्रस्टों की भूमिका पर सवाल खड़े हैं. इन संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने यानि पिछले दरवाजे से बेचने पर विवाद है. सबसे बड़ा विवाद देवी अहिल्या बाई होल्कर और पूरे होल्कर राजघराने की धरोहरों के संरक्षण के लिए बनाए गए खासगी ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर है. ट्रस्ट पर कई संपत्तियों को बेंचने के आरोप हैं जिसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि कोई भी संपत्ति ट्रस्ट नहीं बेंच सकती। इसके बाद खासगी ट्रस्ट के सारे गड़बड़झाले की जांच का रास्ता साफ हो गया है.
मोटे तौर पर देशभर में 1000 एकड़ से ज्यादा जमीन पर ये संपत्तियां मौजूद हैं. खासगी ट्रस्ट की देशभर में 26 राज्यों में 246 संपत्ति हैं, जिसमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां, 24 बगीचे और कुंड शामिल हैं. हाईकोर्ट के फैसले से सामने आया कि ट्रस्ट और ट्रस्टी को 26 राज्यों में 246 संपत्ति केवल देखभाल के लिए दी गई थी. इस विरासत को औने पौने रेट पर बेचा गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है. इस काम के लिए ट्रस्ट ने सप्लीमेंट्री डीड बनाई थी जो गलती थी. इसे भी कोर्ट ने शून्य घोषित किया. जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने फैसला दिया.
खासगी ट्रस्ट को लेकर सरकारी जांच में पता चला कि उससे जुड़े व्यक्तियों ने प्रयागराज, हरिद्वार, पुष्कर, रामेश्वरम सहित ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थानों पर होल्कर राज परिवार की कई संपत्तियों को औने-पौने दाम पर बेच दिया.
खासगी ट्रस्ट के संपत्ति विवाद को लेकर आइए जानते हैं कि आखिर अब तक कौन से अहम पड़ाव आए हैं. कैसे ये मामला आगे बढ़ रहा है. सबसे पहले खासगी ट्रस्ट की देश भर में फैली संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने को लेकर एमपी हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने अहम फैसला सुनाया जिसके बाद ये मामला अचानक सुर्खियों में आ गया. प्रकरण में इंटरवीनर एप्लिकेशन विजय पाल सिंह के वकील समीर सक्सेना, आशीष जोशी और उपेंद्र उज्जवल फणसे के जरिए दायर की गई थी.
जानिए खासगी विवाद के अहम पड़ाव
- खासगी ट्रस्ट की संपत्ति को लेकर इंदौर हाई कोर्ट ने 118 पेज का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
- हरिद्वार स्थित खासगी ट्रस्ट की कुशावर्त घाट को बेचने का मामले ने तूल पकड़ा था.
- रामेश्वरम की संपत्ति को भी बेचने के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया.
- सभी लोक संपत्ति आम जनता को उपलब्ध कराने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिए.
- कोर्ट ने इसके लिए एक कमेटी भी बनाई है.
- मामले में इंदौर सहित पूरे देशभर में फैली खासगी ट्रस्ट की संपत्ति को लेकर फैसला आया है
- कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है, जो संपत्तियों को संरक्षित करेगी.
- कमेटी खासगी ट्रस्ट की ओर से बेची गई संपत्तियों को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए जरुरी कदम उठाएगी
- कमेटी में एमपी के चीफ सेक्रेट्री, चेयरमैन होंगे
- एमपी के वित्त विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सदस्य होंगे. साथ ही कमिश्नर इंदौर डिवीजन और कलेक्टर इंदौर भी कमेटी का हिस्सा होंगे
- कोर्ट ने मामले की जांच EOW से कराने के भी निर्देश दिए.
क्या है कोर्ट का फैसला
- खासगी ट्रस्ट की देश भर की फैली संपत्तियों पर निर्माण, अतिक्रमण कर स्वरूप में बदलाव पर दिया फैसला.
- सभी संपत्तियों को उसके मूल स्वरूप में लाने के दिए आदेश.
- मध्यप्रदेश सरकार से बिगड़े स्वरुप को ठीक करने के दिए निर्देश
- कोर्ट ने डीएम हरिद्वार को कमीश्नर इंदौर के अधीन करते हुए दिए निर्देश
- निर्देश में हरिद्वार स्थित खासगी ट्रस्ट की संपत्ति आम जनता को उपलब्ध कराने को कहा
- कुशावर्त घाट और अन्य सभी खासगी ट्रस्ट की लोक संपत्ति होगी आम जनता के लिए मुहैया
- यह निर्देश न सिर्फ हरिद्वार बल्कि देश में स्थित खासगी संपत्तियों को लेकर है
- एमपी सरकार से सुनिश्चित करने को कहा कि खासगी ट्रस्ट की किसी भी संपत्ति की फिर से विक्रय न हो
- सभी कुएं, बावड़ी, घाट, मंदिर, धर्मशाला और धरोहर को ऐतिहासिक स्वरूप में संरक्षित किया जाए