भोपाल। प्रदेश के करीब 90 हजार सरकारी स्कूलों के बैंक खाते एक जुलाई से जीरो बैलेंस करने की तैयारी थी. ऐसा माना जा रहा था कि एक जुलाई से राज्य स्तर पर एक ही सिंगल बचत खाता चालू हो जाएगा, लेकिन बुधवार शाम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कुछ अधिकारियों ने मंत्री के सामने अपनी बात रखी, जिसमें बताया गया कि स्कूलों के खातों में अन्य मदों का पैसा मौजूद है. अगर ऐसा होता है तो कर्मचारी की तनख्वाह से लेकर अन्य स्टाफ के कामों में परेशानी आएगी. फिलहाल अभी निर्णय 15 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है. इसके बाद निर्णय लिया जाएगा. इसकी जानकारी राज्य अपने स्तर से केंद्र को भी भेजेंगे.
90,000 खातों में जमा हैं 100 करोड़ रुपये
वर्तमान में सरकारी स्कूलों के 90 हजार अलग-अलग खातों में करीब 100 करोड़ रुपये जमा हैं. सिंगल बचत खाते में राशि का स्थानांतरण करने से पहले जिला स्तर पर अधिकारी इसे खर्च करने में जुट गए हैं. केंद्र सरकार की योजनाओं की राशि को लेकर एक सिंगल बचत खाता खोलने के निर्देश दिए गए हैं. इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी कर दिए थे.
30 जून तक थे खर्च करने के निर्देश
स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 जून तक सभी प्राइमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में अलग-अलग 90 हजार खातों में जीरो बैलेंस करने के आदेश दिए थे, लेकिन अब इसकी तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. दरअसल, शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारियों की तनख्वाह से लेकर तमाम मद इन्हीं खातों में मौजूद रहते हैं.
बैठक के बाद टला फैसला
अधिकारियों का कहना है कि अगर एक खाता कर दिया जाता है, तो खातों की राशि राज्य स्तर पर खोले जाने वाले सिंगल बचत खाते में स्थानांतरण कर दी जाएगी. इससे केंद्र से मिली राशि के खर्च का हिसाब रखने के लिए अब राज्य सरकार को एक ऐसा खाता खोलना होगा, जिसकी सीधी निगरानी केंद्र की होगी. केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वित्त विभाग ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव और बजट नियंत्रण अधिकारी के रूप में काम करने वाले सभी विभागाध्यक्षों को फिलहाल तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अभी जैसा चल रहा है वैसा ही चलने के निर्देश दिए गए हैं.
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वहीं इसके पीछे यह भी तर्क दिया जा रहा है कि अगर एक खाता हो जाता है तो कई परेशानियां बढ़ जाएंगी. स्कूल प्रबंधन को हर छोटे-मोटे से कार्य के लिए अधिकारी को पहले बिल दिखाना होगा. अभी तक वर्तमान में सरकारी स्कूलों के अलग-अलग बैंक खाते हैं. इन खातों की राशि स्कूली स्तर पर प्रबंधन जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकते थे, लेकिन राज्य स्तर पर सिंगल बचत खाता होने के बाद स्कूल के किसी काम के लिए पहले बिल विकासखंड स्रोत समन्वयक (बीआरसी) को लगाने होंगे. बीआरसी से जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) को भेजे जाएंगे. इसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र को भेजने होंगे. वहां से भुगतान मिलने के बाद ही स्कूलों में कोई काम हो सकेगा.