ETV Bharat / state

चाइना के साथ रिश्ते प्राथमिकता नहीं, देश को ट्रांसफॉर्म करना हमारी प्राथमिकता- शिवशंकर मेनन - bhopal news

राजधानी भोपाल के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य और कला उत्सव के दूसरे दिन पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने भारत के पड़ोसी देशों से रिश्तों पर चर्चा की.

sahitya aur kala utsav
भोपाल साहित्य और कला उत्सव
author img

By

Published : Jan 11, 2020, 10:39 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य और कला उत्सव के दूसरे दिन पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने अपनी किताब 'चॉइसेज- इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडिया फॉरेन पॉलिसी' के बारे में चर्चा की.

इस दौरान शिवशंकर मेनन ने भारत के पड़ोसी देशों से रिश्ते, खास तौर पर भारत-चाइना रिलेशनशिप और भारत-पाकिस्तान रिलेशनशिप के बारे में चर्चा की. पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रह चुके शिव शंकर मीनल भारत चाइना के रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा कि चाइना हमारी मुख्य चिंता नहीं है और ना ही चाइना के लिए भारत के साथ उसके रिश्ते प्राथमिकता में है.

भोपाल साहित्य और कला उत्सव

इस समय भारत को आगे बढ़ाना, उसे ट्रांसफार्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए. साल 1988 में दोनों देशों ने मिलकर तय किया था कि अपने बीच के मनमुटाव के बारे में बात करेंगे और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से चल जाएंगे.

वहीं भारत की अब की स्थिति के बारे में मेनन का कहना है कि चाहे भारत अब ज्यादा बड़ा, ताकतवर और दुनिया को प्रभावित करने वाला बन गया हो पर साथ ही दुनिया पर ज्यादा निर्भर हो गया है. इस निर्भरता को कम करने के लिए आंतरिक और बाहरी नीतियों को ठीक से बनाना और उनका क्रियान्वयन जरूरी है.

अमेरिका और ईरान के युद्ध को लेकर पूर्व विदेश सचिव का कहना है कि हम नहीं चाहते हैं कि कोई पारंपरिक युद्ध हो, अन्य देशों के साथ हम किसी भी तरह के नुकसान को कम करने की तैयारी कर रहे हैं. गल्फ और सऊदी अरेबिया में करीब 7 मिलियन भारतीय काम कर रहे हैं. हम तेल के लिए उन पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं. हम ईरान के साथ कोई संघर्ष नहीं चाहते. अफगानिस्तान में आतंकवाद और आतंकवादी समूह के खिलाफ काम करने में इरान हमारे लिए एक विश्वसनीय साझेदार रहा है.

भोपाल। राजधानी भोपाल के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य और कला उत्सव के दूसरे दिन पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने अपनी किताब 'चॉइसेज- इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडिया फॉरेन पॉलिसी' के बारे में चर्चा की.

इस दौरान शिवशंकर मेनन ने भारत के पड़ोसी देशों से रिश्ते, खास तौर पर भारत-चाइना रिलेशनशिप और भारत-पाकिस्तान रिलेशनशिप के बारे में चर्चा की. पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रह चुके शिव शंकर मीनल भारत चाइना के रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा कि चाइना हमारी मुख्य चिंता नहीं है और ना ही चाइना के लिए भारत के साथ उसके रिश्ते प्राथमिकता में है.

भोपाल साहित्य और कला उत्सव

इस समय भारत को आगे बढ़ाना, उसे ट्रांसफार्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए. साल 1988 में दोनों देशों ने मिलकर तय किया था कि अपने बीच के मनमुटाव के बारे में बात करेंगे और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से चल जाएंगे.

वहीं भारत की अब की स्थिति के बारे में मेनन का कहना है कि चाहे भारत अब ज्यादा बड़ा, ताकतवर और दुनिया को प्रभावित करने वाला बन गया हो पर साथ ही दुनिया पर ज्यादा निर्भर हो गया है. इस निर्भरता को कम करने के लिए आंतरिक और बाहरी नीतियों को ठीक से बनाना और उनका क्रियान्वयन जरूरी है.

अमेरिका और ईरान के युद्ध को लेकर पूर्व विदेश सचिव का कहना है कि हम नहीं चाहते हैं कि कोई पारंपरिक युद्ध हो, अन्य देशों के साथ हम किसी भी तरह के नुकसान को कम करने की तैयारी कर रहे हैं. गल्फ और सऊदी अरेबिया में करीब 7 मिलियन भारतीय काम कर रहे हैं. हम तेल के लिए उन पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं. हम ईरान के साथ कोई संघर्ष नहीं चाहते. अफगानिस्तान में आतंकवाद और आतंकवादी समूह के खिलाफ काम करने में इरान हमारे लिए एक विश्वसनीय साझेदार रहा है.

Intro:भोपाल- राजस्थानी भोपाल के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य और कला उत्सव के दूसरे दिन पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने अपनी किताब चॉइसेज- इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडिया फॉरेन पॉलिसी' के बारे में चर्चा की।
शिवशंकर मेनन ने भारत के अपने पड़ोसी देशों से रिश्ते खास तौर पर भारत चाइना रिलेशनशिप और भारत पाकिस्तान रिलेशनशिप के बारे में चर्चा की।



Body:पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रह चुके शिव शंकर मीनल भारत चाइना के रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि चाइना हमारी मुख्य चिंता नहीं है और ना ही चाइना के लिए भारत के साथ उसके रिश्ते प्राथमिकता में है इस समय भारत को आगे बढ़ाना उसे ट्रांसफार्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए ।
1988 में दोनों देशों ने मिलकर तय किया था कि अपने बीच के मनमुटाव के बारे में बात करेंगे और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से चल जाएंगे।
वहीं भारत की अब की स्थिति के बारे में मेनन का कहना है कि चाहे भारत अब ज्यादा बड़ा, ताकतवर और दुनिया को प्रभावित करने वाला बन गया हो पर साथ ही दुनिया पर ज्यादा निर्भर हो गया है। इस निर्भरता को कम करने के लिए आंतरिक और बाहरी नीतियों को ठीक से बनाना और उनका क्रियान्वयन जरूरी है।


Conclusion:अमेरिका और ईरान के युद्ध को लेकर पूर्व विदेश सचिव मानते हैं कि हम नहीं चाहते हैं कि कोई पारंपरिक युद्ध हो,अन्य देशों के साथ हम किसी भी तरह के नुकसान को कम करने की तैयारी कर रहे हैं।।गल्फ और सऊदी अरेबिया में करीब 7 मिलियन भारतीय काम कर रहे हैं। हम तेल के लिए उन पर सबसे ज्यादा निर्भर है। हम ईरान के साथ कोई संघर्ष नहीं चाहते, ईरान के कारण ही सेंट्रल एशिया तक हमारी सीधी पहुंच है। अफगानिस्तान में आतंकवाद और आतंकवादी समूह के खिलाफ काम करने में इरान हमारे लिए एक विश्वसनीय साझेदार रहा है।
हम जो कुछ कर सकते हैं इस बारे में कर रहे हैं।

बता दें कि पूर्व सचिव शिवशंकर मेनन इजराइल,श्रीलंका, चाइना, पाकिस्तान में भारत के दूत बनकर कर रहे हैं। शिवशंकर मेनन भारतीय ऑटोमेक एनर्जी कमीशन में साल 2008-14 तक सदस्य भी रहे हैं।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.