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नतीजे बताएंगे...एमपी के मन में शिवराज भी हैं क्या, जानें शिवराज BJP के लिए जरूरी हैं या मजबूरी

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 6:26 PM IST

Madhya Pradesh Election Result 2023: 3 दिसंबर यानि की फैसले की घड़ी, इस दिन एमपी के चुनावी मैदान में छाए संशय के बादल साफ होंगे और नतीजे बताएंगे कि एमपी के मन में शिवराज सिंह चौहान हैं या कमलनाथ. शिवराज सिंह चौहान जीत के साथ चुनावी सभाएं करने का रिकार्ड भी अपने नाम पर दर्ज करा चुके हैं. पढ़िए भोपाल से शेफाली पांडेय की यह रिपोर्ट...

Madhya Pradesh assembly election 2023
शिवराज जरूरी या मजबूरी

भोपाल। चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्रिकेट पर हुई राजनीति को लेकर बयान दे रहे थे. कह रहे थे कि दस बार लगातार हम मैच जीते अब क्रिक्रेट बाय चांस होता है. अगर एकाध मैच हार गए तो कौन सा आसमान टूट गया. राजनीतिक हल्कों में शिवराज सिंह चौहान के इस बयान को उनकी अपनी रिकार्ड वाली राजनीतिक पारी संदर्भ में देखा जा रहा है. रिकार्ड बनाने में यकीन रखने वाले शिवराज ने सत्ता का रिकार्ड तो बनाया ही एमपी में सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं करने वाले नेता का रिकार्ड भी अब तक शिवराज के ही नाम पर दर्ज है.

इस चुनाव के नतीजे शिवराज की इस दौड़ का हिसाब किताब ही नहीं होंगे...पार्टी लाइन से अलग लकीर खींच रहे शिवराज की जनता में लोकप्रियता का पैमाना भी होंगे ये नतीजे...ये नतीजे बताएंगे अब मजबूरी नहीं रहे....या अब भी जरुरी हैं शिवराज.....ईवीएम से आए नतीजे बताएंगे कि एमपी के मन में शिवराज भी हैं क्या.

Madhya Pradesh Election Result 2023
लोगों से मिलते सीएम शिवराज

बीजेपी जीती तो भी क्या ये शिवराज का चुनाव है: 2003 में उमा भारती के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बाद 2008 से 2018 तक बीजेपी ने एक चेहरे और एक ही नेतृत्व पर चुनाव लड़ा. शिवराज सिंह चौहान वो चेहरा रहे. 2023 का विधानसभा चुनाव एमपी में बीजेपी की सत्ता के इतिहास का पहला चुनाव है. जब शिवराज को दरकिनार करके पूरा चुनाव लड़ा गया. ये पहली बार है कि जब बीजेपी समर्थक भी ये सवाल कर रहे हैं, कि बीजेपी जीती तब भी क्या शिवराज मुख्यमंत्री बन पाएंगे.

बीजेपी की जीत की जमीन तैयार करते रहे शिवराज से ये पार्टी का ये पहला किनारा है. जो कह रहा है कि बीजेपी जीती भी तो क्या ये शिवराज का चुनाव माना जाएगा. एक चेहरे पर एमपी में तीन चुनाव निकाल चुकी बीजेपी में जब पीएम मोदी के साथ टीम 11 उतारी गई है. तब नतीजे ही फैसला कर पाएंगे कि शिवराज सिंह चौहान की अगली भूमिका एमपी में क्या होगी. बीजेपी की जीत भर लेने की बात नहीं...उस जीत में शिवराज की जाती मेहनत कितनी...करिश्मा कितना इससे तय होगा कि शिवराज एमपी में बीजेपी के लिए जरुरी हैं भी या नहीं.

Shivraj Political Story
मंजीरा बजाते शिवराज सिंह चौहान

ये शिवराज की अपनी लोकप्रियता का भी टेस्ट: इस बार बीजेपी का पुराना चुनाव केन्द्र के हाथ में था. केन्द्रीय बीजेपी से आए दिग्गजों ने मोर्चा संभाला हुआ था. बैनर पोस्टर होर्डिंग जिंगल में एमपी के मन में मोदी का डंका. शिवराज की एमपी में मौजूदगी आटे में नमक जितनी ही बताई गई. लेकिन शिवराज कहां मानने वाले थे. वो दौड़-दौड़ कर सभाएं करते अपनी लकीर खींच रहे थे. 165 से ज्यादा सभाएं करके ये बताने में जुटे थे कि बीजेपी को एमपी में शिवराज का विकल्प ढूंढना आसान नहीं है.

यहां पढ़ें...

Madhya Pradesh Election Result 2023
रैली के दौरान सीएम शिवराज

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं 'शिवराज की ये खूबी है राजनीति में अपनी जगह बनाए रखना जानते हैं. साइडलाईन किए जाने के बाद भी उन्होने पार्टी को जता दिया कि शिवराज के बिना इतना आसान भी नहीं है और अब भी जिस तरह से उनसे विधायक मिल रहे हैं शिवराज बता रहे हं कि पॉवर सेंटर तो वे हैं. लेकिन सबकुछ चुनाव नतीजों पर है. ये नतीजे केवल बीजेपी कांग्रेस की जीत हार तय नहीं करेंगे शिवराज जैसे कई नेताओँ का भविष्य भी ईवीएम से ही निकलेगा.

भोपाल। चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्रिकेट पर हुई राजनीति को लेकर बयान दे रहे थे. कह रहे थे कि दस बार लगातार हम मैच जीते अब क्रिक्रेट बाय चांस होता है. अगर एकाध मैच हार गए तो कौन सा आसमान टूट गया. राजनीतिक हल्कों में शिवराज सिंह चौहान के इस बयान को उनकी अपनी रिकार्ड वाली राजनीतिक पारी संदर्भ में देखा जा रहा है. रिकार्ड बनाने में यकीन रखने वाले शिवराज ने सत्ता का रिकार्ड तो बनाया ही एमपी में सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं करने वाले नेता का रिकार्ड भी अब तक शिवराज के ही नाम पर दर्ज है.

इस चुनाव के नतीजे शिवराज की इस दौड़ का हिसाब किताब ही नहीं होंगे...पार्टी लाइन से अलग लकीर खींच रहे शिवराज की जनता में लोकप्रियता का पैमाना भी होंगे ये नतीजे...ये नतीजे बताएंगे अब मजबूरी नहीं रहे....या अब भी जरुरी हैं शिवराज.....ईवीएम से आए नतीजे बताएंगे कि एमपी के मन में शिवराज भी हैं क्या.

Madhya Pradesh Election Result 2023
लोगों से मिलते सीएम शिवराज

बीजेपी जीती तो भी क्या ये शिवराज का चुनाव है: 2003 में उमा भारती के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बाद 2008 से 2018 तक बीजेपी ने एक चेहरे और एक ही नेतृत्व पर चुनाव लड़ा. शिवराज सिंह चौहान वो चेहरा रहे. 2023 का विधानसभा चुनाव एमपी में बीजेपी की सत्ता के इतिहास का पहला चुनाव है. जब शिवराज को दरकिनार करके पूरा चुनाव लड़ा गया. ये पहली बार है कि जब बीजेपी समर्थक भी ये सवाल कर रहे हैं, कि बीजेपी जीती तब भी क्या शिवराज मुख्यमंत्री बन पाएंगे.

बीजेपी की जीत की जमीन तैयार करते रहे शिवराज से ये पार्टी का ये पहला किनारा है. जो कह रहा है कि बीजेपी जीती भी तो क्या ये शिवराज का चुनाव माना जाएगा. एक चेहरे पर एमपी में तीन चुनाव निकाल चुकी बीजेपी में जब पीएम मोदी के साथ टीम 11 उतारी गई है. तब नतीजे ही फैसला कर पाएंगे कि शिवराज सिंह चौहान की अगली भूमिका एमपी में क्या होगी. बीजेपी की जीत भर लेने की बात नहीं...उस जीत में शिवराज की जाती मेहनत कितनी...करिश्मा कितना इससे तय होगा कि शिवराज एमपी में बीजेपी के लिए जरुरी हैं भी या नहीं.

Shivraj Political Story
मंजीरा बजाते शिवराज सिंह चौहान

ये शिवराज की अपनी लोकप्रियता का भी टेस्ट: इस बार बीजेपी का पुराना चुनाव केन्द्र के हाथ में था. केन्द्रीय बीजेपी से आए दिग्गजों ने मोर्चा संभाला हुआ था. बैनर पोस्टर होर्डिंग जिंगल में एमपी के मन में मोदी का डंका. शिवराज की एमपी में मौजूदगी आटे में नमक जितनी ही बताई गई. लेकिन शिवराज कहां मानने वाले थे. वो दौड़-दौड़ कर सभाएं करते अपनी लकीर खींच रहे थे. 165 से ज्यादा सभाएं करके ये बताने में जुटे थे कि बीजेपी को एमपी में शिवराज का विकल्प ढूंढना आसान नहीं है.

यहां पढ़ें...

Madhya Pradesh Election Result 2023
रैली के दौरान सीएम शिवराज

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं 'शिवराज की ये खूबी है राजनीति में अपनी जगह बनाए रखना जानते हैं. साइडलाईन किए जाने के बाद भी उन्होने पार्टी को जता दिया कि शिवराज के बिना इतना आसान भी नहीं है और अब भी जिस तरह से उनसे विधायक मिल रहे हैं शिवराज बता रहे हं कि पॉवर सेंटर तो वे हैं. लेकिन सबकुछ चुनाव नतीजों पर है. ये नतीजे केवल बीजेपी कांग्रेस की जीत हार तय नहीं करेंगे शिवराज जैसे कई नेताओँ का भविष्य भी ईवीएम से ही निकलेगा.

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