भोपाल। 10 दिन में कर्जमाफी के वचन के साथ सत्ता में आई कमलनाथ सरकार को इसे पूरा करने में अभी और वक्त लगेगा. सरकार ने किसान कर्ज माफी का दूसरा चरण शुरू किया है, अब इसमें 50 हजार से 1 लाख तक का कर्ज माफ होगा. हालांकि इसके बाद भी बीता एक साल किसानों के लिए चुनौती भरा रहा. भारी बारिश यूरिया की कमी से जूझने के बाद प्रदेश के किसानों को गेहूं, चना, धान पर बोनस की राशि का इंतजार है. लेकिन इस पर सरकार का रुख अब तक पूरी तरह से साफ नहीं है.
पिछले एक साल के दौरान किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने जय किसान ऋण माफी योजना के जरिए राहत देने का काम किया है. सरकार का दावा है कि अब तक 21 लाख किसानों का 7000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ हुआ है. पहले चरण में सरकार ने 50 हज़ार का कर्ज माफ किया. योजना के दूसरे चरण में 1 लाख तक का किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा.
कर्ज माफी का लाभ पाने वाले किसानों को राहत भले ही मिली हो, लेकिन गेहूं, चना, धान पर बोनस की राशि अभी किसानों को नहीं मिल पाई है. इसको लेकर बीजेपी लगातार सवाल उठा रही है, हालांकि सरकार का रुख इसको लेकर बहुत साफ नहीं है. विधानसभा में भी बीजेपी ने इसको लेकर सवाल उठाए.
सरकार का कहना है कि समर्थन मूल्य के बाद फसल पर बोनस दिए जाने के कारण ही केंद्र सरकार ने पीडीएस का कोटा घटा दिया है, केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए 75 लाख टीडीएस का कोटा निर्धारित किया था. लेकिन पूर्व सरकार की प्रोत्साहन राशि की घोषणा की वजह से कोटा घटाकर केंद्र ने 36 लाख टन कर दिया है.
किसानों के सामने भले ही समस्याओं को लेकर सरकार का दावा है कि पिछले 1 साल में किसानों की आत्महत्याओं की घटनाओं में कमी आई है जनवरी से नवंबर 2019 के बीच प्रदेश में 122 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से महज एक किसान की मौत कर्ज के कारण हुई है, सरकार ने 121 किसानों की मौत की वजह बीमारी, पारिवारिक विवाद, मानसिक संतुलन, खराब नशा और व्यापार में घाटा होने के कारण बताया है.