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कोरोना काल में लॉकडाउन से स्क्रैप का व्यापार 'डाउन', व्यापारियों को लगा तगड़ा झटका - भोपाल स्कैप व्यापार

कोरोना और लॉक डाउन के कारण पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. हर व्यवसाय का इस समय बुरा वक्त चल रहा है. राजधानी भोपाल में स्क्रैप का व्यापार करने वाले व्यापारियों के हाल भी बेहाल हैं. कईयों का धंधा चौपट हो गया तो हम्मालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पढ़िए पूरी खबर...

scrap-traders suffered big losses
स्क्रैप का व्यापार
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Published : Jul 20, 2020, 9:56 PM IST

भोपाल। कोरोना वायरस ने हर एंगल से लोगों को तगड़ा झटका दिया है, चाहे वो आर्थिक हो या फिर अमूल्य जीवन. कोरोना काल में जहां सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए तो वहीं हजारों लोग सड़कों पर आ गए. कोरोना के बाद किए गए लॉकडाउन से कई लोग बेरोजगार हो गए तो कईयों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया. राजधानी भोपाल में स्क्रैप्स का व्यापार करने वालों को भी तगड़ा झटका लगा है. व्यापार ठप होने से कबाड़ का व्यापार करने वाले लोगों के हाल बेहाल हैं.

कोरोना काल में लॉकडाउन से स्क्रैप का व्यापार डाउन

लॉकडाउन के दौरान स्क्रैप व्यापारियों का धंधा पूरी तरह चौपट हो चुका है, लॉकडाउन से पहले जहां 100 फीसदी कमाई हो रही थी तो वहीं अब गिरकर महज 15-20 फीसदी रह गई है. सरकार की तरफ से दी गई राहत भी स्क्रैप्स व्यापारियों के लिए ऊंट के मुह में जीरा साबित हो रहा है, क्योंकि जमा पूंजी तो लॉकडाउन की दौरान खत्म हो गई और धंधा इस तरह चौपट हुआ कि उसकी भरपाई के लिए कई साल लग जाएंगे.

राजधानी भोपाल का कबाड़खाना एमपी के सबसे बड़े स्क्रैप कारोबार मार्केट में से एक है. इस मार्केट में सैकड़ों से ज्यादा दुकानें हैं, लेकिन व्यापार पूरी तरह से ठप हो चुका है. व्यापारियों का कहना है कि रोज यहां तीन करोड़ का कारोबार होता था, लेकिन अब सिर्फ 10 से 15 फीसदी तक काम सिमट गया है. अनलॉक के बाद भी व्यापार में तेजी नहीं आने से कबाड़ व्यापारी और चिंतित हैं. यही वजह है कि कबाड़खाने में हम्माल का काम करने वाले भी परेशान हैं, क्योंकि ये लोग सामान्य दिनों में रोज 300 से 400 रुपए कमा लेते थे, लेकिन अब महज 100 रुपए बमुश्किल कमा पाते हैं.

भोपाल के कबाड़ बाजार को सोमवार से शुक्रवार तक खोलने के आदेश दिए गए, जबकि शनिवार और रविवार को बाजार बंद रहते हैं. ऐसे में हम्मालों के सामने रोजी-रोटी का संकट बढ़ता जा रहा है. देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 10 लाख के ऊपर जा चुकी है और कोरोना फिहलाह थमता नहीं दिख रहा, ऐसे में लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है.

भोपाल। कोरोना वायरस ने हर एंगल से लोगों को तगड़ा झटका दिया है, चाहे वो आर्थिक हो या फिर अमूल्य जीवन. कोरोना काल में जहां सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए तो वहीं हजारों लोग सड़कों पर आ गए. कोरोना के बाद किए गए लॉकडाउन से कई लोग बेरोजगार हो गए तो कईयों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया. राजधानी भोपाल में स्क्रैप्स का व्यापार करने वालों को भी तगड़ा झटका लगा है. व्यापार ठप होने से कबाड़ का व्यापार करने वाले लोगों के हाल बेहाल हैं.

कोरोना काल में लॉकडाउन से स्क्रैप का व्यापार डाउन

लॉकडाउन के दौरान स्क्रैप व्यापारियों का धंधा पूरी तरह चौपट हो चुका है, लॉकडाउन से पहले जहां 100 फीसदी कमाई हो रही थी तो वहीं अब गिरकर महज 15-20 फीसदी रह गई है. सरकार की तरफ से दी गई राहत भी स्क्रैप्स व्यापारियों के लिए ऊंट के मुह में जीरा साबित हो रहा है, क्योंकि जमा पूंजी तो लॉकडाउन की दौरान खत्म हो गई और धंधा इस तरह चौपट हुआ कि उसकी भरपाई के लिए कई साल लग जाएंगे.

राजधानी भोपाल का कबाड़खाना एमपी के सबसे बड़े स्क्रैप कारोबार मार्केट में से एक है. इस मार्केट में सैकड़ों से ज्यादा दुकानें हैं, लेकिन व्यापार पूरी तरह से ठप हो चुका है. व्यापारियों का कहना है कि रोज यहां तीन करोड़ का कारोबार होता था, लेकिन अब सिर्फ 10 से 15 फीसदी तक काम सिमट गया है. अनलॉक के बाद भी व्यापार में तेजी नहीं आने से कबाड़ व्यापारी और चिंतित हैं. यही वजह है कि कबाड़खाने में हम्माल का काम करने वाले भी परेशान हैं, क्योंकि ये लोग सामान्य दिनों में रोज 300 से 400 रुपए कमा लेते थे, लेकिन अब महज 100 रुपए बमुश्किल कमा पाते हैं.

भोपाल के कबाड़ बाजार को सोमवार से शुक्रवार तक खोलने के आदेश दिए गए, जबकि शनिवार और रविवार को बाजार बंद रहते हैं. ऐसे में हम्मालों के सामने रोजी-रोटी का संकट बढ़ता जा रहा है. देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 10 लाख के ऊपर जा चुकी है और कोरोना फिहलाह थमता नहीं दिख रहा, ऐसे में लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है.

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