भोपाल। देश को एक सूत्र में बांधने के लिए संविधान को तैयार करने में 2 लाख 11 महीने 18 दिन का समय लगा. उस वक्त संविधान लिखने के लिए बनाई गई समिति में कई लोग थे. इसमें मौजूदा मध्यप्रदेश और उस समय मध्य प्रांत, बरार, मध्य प्रांत की रियासत, भोपाल और विंध्य क्षेत्र के कई लोगों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एमपी की माटी में जन्मे संविधान सभा की ड्रॉफ्टिंग समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब आंबेडकर ने डॉ. हरिसिंह गौर, पंडित रविशंकर शुक्ला के सुझावों पर संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया था. वहीं मध्यप्रदेश के दो कलाकारों ने संविधान की मूल कृति को संवारने का काम किया था. इनमें से एक हैं जबलपुर के राम मनोहर सिन्हा जिनके 18 चित्रों को संविधान में लिया गया है. संविधान में कुल 25 चित्र लिए गए हैं.
बिना पैसे संविधान के लिए बनाए थे चित्र: दरअसल संविधान के निर्माण की जब बात आई तो तय किया गया कि इसे सिर्फ शब्दों से ही नहीं, बल्कि चित्रों से भी संवारा जाए. संविधान की प्रति में चित्रों के माध्यम से देश के गौरवशाली इतिहास की झलक दिखनी चाहिए. सभी भाषा संस्कृतियां प्रदर्शित होना चाहिए. साथ ही संविधान के हर पृष्ठ को कला से संवारा जाना चाहिए. तब इसका काम उस वक्त के चित्रकला के केन्द्र शांति निकेतन को सौंपा गया, जो उस दौर के विख्यात चित्रकार नंदलाल बोस के मार्गदर्शन में चल रहा था. मूलतः जबलपुर के डॉ. अनुपम सिन्हा बताते हैं कि उस वक्त उनके पिता ब्यौहार राममनोहर सिंहा इसी संस्थान में पढ़ रहे थे और नंदलाल बोस के प्रिय शिष्य थे.
संविधान को कला से संवारने के लिए कलाकारों की एक टीम बनाई गई. जिसने अलग-अलग चित्र तैयार किए. इस तरह संविधान में कुल 25 चित्र लगाए गए, लेकिन जिनमें से 18 चित्र सिर्फ उनके पिता ब्यौहार राममनोहर सिन्हा के ही थे, जो उन्होंने बोस के नेतृत्व में तैयार किए थे. हालांकि बाद में जब पारिश्रमिक की बात आई तो उन्होंने इसे देश का काम बताकर लेने से इंकार कर दिया.
संविधान की प्रस्तावना पृष्ठ पर हैं हस्ताक्षर: डॉ. अनुपम बताते हैं कि पिता द्वारा संविधान के लिए बनाए गए चित्रों में देश के गौरवशाली इतिहास, प्राकृतिक संपदा, धर्म-संस्कृति को प्रदर्शित किया गया है. इसमें फारस से मिले स्वास्तिक को दर्शाया गया तो कलिंग साम्राज्य के कोणार्क सूर्य मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय और गुप्त काल की मुद्राओं को दिखाया गया. वहीं सिंधु घाटी सभ्यता के प्रतीक वृषभ, सिंधु घाटी सभ्यता के बंदरगाह लोथल, सुमेरियन सभ्यता के बंदरगाह बेबीलोन को चित्रकला में प्रदर्शित किया गया. हालांकि बाद में जब संविधान की प्रस्तावना पृष्ठ पर हस्ताक्षर की बात आई तो एक-एक कर सभी नेताओं सहित संविधान निर्माण में भूमिका निभाने वालों के हस्ताक्षर कराए गए, लेकिन ब्यौहार ने राम लिखकर अपने हस्ताक्षर किए.
इंदौर के चित्रकार ने तैयार कराया था मुख्य पृष्ठ: इसी टीम में इंदौर के एक चित्रकार थे दीनानाथ भार्गव. दीनानाथ भार्गव को नंदलाल बोस ने कुछ चित्रकारों के साथ संविधान का पृष्ठ तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. तय किया गया था कि मुखपृष्ठ ऐसा हो, जिसमें कुछ संदेश दिखाई दे. इसके लिए दीनानाथ भार्गव अपने साथियों के साथ कई स्थानों पर गए. इसी दौरान वे कोलकाता के चिड़ियाघर भी गए और यहां शेरों को देखकर उन्होंने सम्राट अशोक के अशोक चक्र को मुखपृष्ठ पर रखने का विचार रखा. बाद में इसे सोने के वर्क से तैयार किया गया.