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मध्यप्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए कोशिश, MSME की नई पॉलिसी लाएगी सरकार

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Published : Sep 26, 2020, 1:44 PM IST

एमएसएमई (Micro, Small and Medium Enterprises) सेक्टर में निवेश बढ़ाने और रोजगार पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार एक साल बाद फिर नई MSME पॉलिसी लाने जा रही है. जिसके लिए उद्योगपतियों ने कहा कि नई पॉलिसी के स्थान पर सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए.

Preparation of new policy of MSME
MSME की नई पॉलिसी की तैयारी

भोपाल। एमएसएमई (Micro, Small and Medium Enterprises) सेक्टर में निवेश बढ़ाने और रोजगार पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार एक साल बाद फिर नई MSME पॉलिसी लाने जा रही है. नई पॉलिसी में लघु और मध्यम उद्योगों को बड़ी राहत देने की तैयारी की जा रही है. पिछले 5 सालों में लघु और मध्यम उद्योगों में 4 गुना तक पूंजी निवेश हुआ है, जिसे लेकर सरकार की कोशिश है कि नई पॉलिसी से निवेश और रोजगार के रास्ते और खोले जाएं. हालांकि उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार नई पॉलिसी के स्थान पर सुविधाएं बढ़ाएं तो ज्यादा फायदेमंद होगा.

MSME की नई पॉलिसी की तैयारी शुरू

2017 और 2014 में आई थी MSME पॉलिसी

प्रदेश में पिछले साल अक्टूबर माह में मध्य प्रदेश एमएसएमई विकास नीति 2019 सरकार लेकर आई थी. इसके साथ ही पिछले ही साल मध्य प्रदेश स्टार्टअप नीति भी लाई गई, जो अप्रैल 2020 से प्रभावशाली हुई. इसके पहले एमएसएमई पॉलिसी 2017 और 2014 में आई थी.

अधिक लघु उद्योग स्थापित करने की कोशिश

प्रदेश के एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के मुताबिक पिछले महीनों में उन्होंने 12 जिलों में घूमकर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक और कलेक्टरों से चर्चा की है. साथ ही वेबीनार के जरिए भी चर्चा की गई है. सरकार की कोशिश है कि ऐसी पॉलिसी तैयार की जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लघु उद्योग स्थापित हो सकें. माना जा रहा है कि नई पॉलिसी में एमएसएमई के तहत 20 फीसदी अतिरिक्त लोन देने, ठेकेदारी प्रथा खत्म करने और बिजली चार्ज घटाने जैसे निर्णय शामिल हो सकते हैं.

ये भी पढ़े- पेट्रोल-डीजल भराने वाले ग्राहक ऐसे होते हैं ठगी के शिकार, पेट्रोल पंप में रखें ये सावधानी

उद्योगपति बोले सुविधाएं बढ़ाए सरकार

नई एमएसएमई पॉलिसी को लेकर उद्योगपतियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नई पॉलिसी के स्थान पर सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. मंडीदीप एसोसिएशन के पदाधिकारी मुकेश मोदी के मुताबिक सिर्फ नियमों के सरलीकरण से एमएसएमई सेक्टर मजबूत नहीं होगा, सरकार को आर्थिक सुविधाएं भी देनी होगी. सरकार ने नए उद्योगों के साथ जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करें. वेट खत्म होने के तीन साल बाद भी अब तक उसका रिफंड नहीं मिल सका है, अगर ये कमिटमेंट भी सरकार ने पूरा कर दिया तो बड़ी राहत मिलेगी.

5 साल में कितना हुआ निवेश

मध्यप्रदेश में पिछले साल 2018-19 में 2 लाख 97 हजार 595 सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों का पंजीकरण हुआ, जबकि दिसंबर 2019 में 2 लाख 23 हजार 816 लघु उद्योगों का पंजीकरण कराया गया है. पिछले 5 सालों में प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योगों की संख्या बढ़ी है, साथ ही इसमें पूंजी निवेश भी बढ़ा है.

ये भी पढ़े- कैबिनेट मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की बागवानी उत्कृष्टता केंद्र का किया शिलान्यास, किसान को होगा फायदा

साल 2015-16 में प्रदेश में 48 हजार 179 लघु एवं मध्यम उद्योग थे, जिनमें 5 हजार 172 करोड़ का निवेश हुआ, जो बढ़कर 2018 में 19 हजार 285 करोड़ का हो गया. लघु उद्योगों की संख्या बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. साल 2018-19 में 10 लाख 30 हजार लोगों को एमएसएमई से रोजगार मिला है, जबकि 2019- 20 में दिसंबर माह तक 7 लाख 71 हजार 482 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ.

बता दें कि मध्य प्रदेश में एमएसएमई की नई पॉलिसी को लेकर एमएसएमई मिनिस्टर ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि उन्होंने कहा कि सीएम शिवराज सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही एमएसएमई की नई पॉलिसी जारी कर दी जाएगी. नई पॉलिसी के आने से छोटे उद्योगों के व्यापारियों को फायदा होगा.

भोपाल। एमएसएमई (Micro, Small and Medium Enterprises) सेक्टर में निवेश बढ़ाने और रोजगार पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार एक साल बाद फिर नई MSME पॉलिसी लाने जा रही है. नई पॉलिसी में लघु और मध्यम उद्योगों को बड़ी राहत देने की तैयारी की जा रही है. पिछले 5 सालों में लघु और मध्यम उद्योगों में 4 गुना तक पूंजी निवेश हुआ है, जिसे लेकर सरकार की कोशिश है कि नई पॉलिसी से निवेश और रोजगार के रास्ते और खोले जाएं. हालांकि उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार नई पॉलिसी के स्थान पर सुविधाएं बढ़ाएं तो ज्यादा फायदेमंद होगा.

MSME की नई पॉलिसी की तैयारी शुरू

2017 और 2014 में आई थी MSME पॉलिसी

प्रदेश में पिछले साल अक्टूबर माह में मध्य प्रदेश एमएसएमई विकास नीति 2019 सरकार लेकर आई थी. इसके साथ ही पिछले ही साल मध्य प्रदेश स्टार्टअप नीति भी लाई गई, जो अप्रैल 2020 से प्रभावशाली हुई. इसके पहले एमएसएमई पॉलिसी 2017 और 2014 में आई थी.

अधिक लघु उद्योग स्थापित करने की कोशिश

प्रदेश के एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के मुताबिक पिछले महीनों में उन्होंने 12 जिलों में घूमकर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक और कलेक्टरों से चर्चा की है. साथ ही वेबीनार के जरिए भी चर्चा की गई है. सरकार की कोशिश है कि ऐसी पॉलिसी तैयार की जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लघु उद्योग स्थापित हो सकें. माना जा रहा है कि नई पॉलिसी में एमएसएमई के तहत 20 फीसदी अतिरिक्त लोन देने, ठेकेदारी प्रथा खत्म करने और बिजली चार्ज घटाने जैसे निर्णय शामिल हो सकते हैं.

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उद्योगपति बोले सुविधाएं बढ़ाए सरकार

नई एमएसएमई पॉलिसी को लेकर उद्योगपतियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नई पॉलिसी के स्थान पर सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. मंडीदीप एसोसिएशन के पदाधिकारी मुकेश मोदी के मुताबिक सिर्फ नियमों के सरलीकरण से एमएसएमई सेक्टर मजबूत नहीं होगा, सरकार को आर्थिक सुविधाएं भी देनी होगी. सरकार ने नए उद्योगों के साथ जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करें. वेट खत्म होने के तीन साल बाद भी अब तक उसका रिफंड नहीं मिल सका है, अगर ये कमिटमेंट भी सरकार ने पूरा कर दिया तो बड़ी राहत मिलेगी.

5 साल में कितना हुआ निवेश

मध्यप्रदेश में पिछले साल 2018-19 में 2 लाख 97 हजार 595 सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों का पंजीकरण हुआ, जबकि दिसंबर 2019 में 2 लाख 23 हजार 816 लघु उद्योगों का पंजीकरण कराया गया है. पिछले 5 सालों में प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योगों की संख्या बढ़ी है, साथ ही इसमें पूंजी निवेश भी बढ़ा है.

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साल 2015-16 में प्रदेश में 48 हजार 179 लघु एवं मध्यम उद्योग थे, जिनमें 5 हजार 172 करोड़ का निवेश हुआ, जो बढ़कर 2018 में 19 हजार 285 करोड़ का हो गया. लघु उद्योगों की संख्या बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. साल 2018-19 में 10 लाख 30 हजार लोगों को एमएसएमई से रोजगार मिला है, जबकि 2019- 20 में दिसंबर माह तक 7 लाख 71 हजार 482 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ.

बता दें कि मध्य प्रदेश में एमएसएमई की नई पॉलिसी को लेकर एमएसएमई मिनिस्टर ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि उन्होंने कहा कि सीएम शिवराज सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही एमएसएमई की नई पॉलिसी जारी कर दी जाएगी. नई पॉलिसी के आने से छोटे उद्योगों के व्यापारियों को फायदा होगा.

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