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केंद्र ने वापस लिया कृषि कानून, अब किसानों पर दर्ज मामले भी वापस ले सरकार: कमलनाथ - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

किसानों के लंबे आंदोलन के आगे आखिरकार सरकार को घुटने टेकने ही पड़ गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान (Agricultural Laws Repealed) कर दिया है, जबकि किसान अब भी आंदोलन पर डटे हैं. मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सरकार से किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस (Government Withdraw All Cases of Farmers) लेने की मांग की है.

PM Modi repeal three agriculture laws
किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस ले सरकार
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Published : Nov 19, 2021, 12:21 PM IST

भोपाल। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर माह में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे, बारिश, ठंड, गर्मी में भी वह सड़कों पर डटे रहे थे, जिसे आज प्रधानमंत्री ने रद्द करने का एलान (PM Modi Repeal Agriculture Laws) कर दिया है. कमलनाथ ने ट्विटर पर बयान जारी कर किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की है.

टूट गया अभिमान, जीत गया हिन्दुस्तान! बीजेपी को हराते जाओ, देश की आन बचाते जाओ

परेशानी पर भी टस से मस नहीं हुए किसान

कमलनाथ ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हुई है, किसानों को इस प्रदर्शन के दौरान खूब प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी, कई-कई रातें सड़कों पर गुजारनी पड़ी, उन्हें तरह-तरह के आरोप भी सहने पड़े, कभी उन्हें आतंकवादी, कभी देशद्रोही, कभी दलाल,कभी खालिस्तानी जैसे नामों से संबोधित किया गया, लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए.

किसान आंदोलन को था कांग्रेस का समर्थन

कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था, खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिरकार एक वर्ष बाद सरकार को अपनी जिद छोड़नी पड़ी और ऐतिहासिक मौके पर गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं, यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता, सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी.

किसानों के संघर्ष की जीत

कमलनाथ ने कहा कि जो किसान सड़कों पर एक वर्ष से अधिक समय तक डटे रहे, उन्हें तरह-तरह की परेशानियां व प्रताड़ना झेलना पड़ी, उससे बचा जा सकता था, जिन किसानों को भाजपा के लोग इन कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कभी कांग्रेस समर्थक, कभी देशद्रोही, कभी दलाल, कभी आतंकवादी कहते थे, यह उन लोगों की हार है और यह न्याय व सच्चाई की जीत है. किसानों के कड़े संघर्ष की जीत है, जिसने एक अहंकारी व जिद्दी सरकार को झुका दिया.

भाजपा को सबक सिखाए जनता

कमलनाथ ने कहा जनता यदि इसी प्रकार भाजपा को चुनावों में भी सबक सिखाती रही तो उसकी इसी प्रकार जीत होती रहेगी. अब मोदी सरकार को इन कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान देश भर में किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस (Government Withdraw All Cases of Farmers) लेना चाहिये.

भोपाल। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर माह में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे, बारिश, ठंड, गर्मी में भी वह सड़कों पर डटे रहे थे, जिसे आज प्रधानमंत्री ने रद्द करने का एलान (PM Modi Repeal Agriculture Laws) कर दिया है. कमलनाथ ने ट्विटर पर बयान जारी कर किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की है.

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परेशानी पर भी टस से मस नहीं हुए किसान

कमलनाथ ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हुई है, किसानों को इस प्रदर्शन के दौरान खूब प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी, कई-कई रातें सड़कों पर गुजारनी पड़ी, उन्हें तरह-तरह के आरोप भी सहने पड़े, कभी उन्हें आतंकवादी, कभी देशद्रोही, कभी दलाल,कभी खालिस्तानी जैसे नामों से संबोधित किया गया, लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए.

किसान आंदोलन को था कांग्रेस का समर्थन

कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था, खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिरकार एक वर्ष बाद सरकार को अपनी जिद छोड़नी पड़ी और ऐतिहासिक मौके पर गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं, यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता, सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी.

किसानों के संघर्ष की जीत

कमलनाथ ने कहा कि जो किसान सड़कों पर एक वर्ष से अधिक समय तक डटे रहे, उन्हें तरह-तरह की परेशानियां व प्रताड़ना झेलना पड़ी, उससे बचा जा सकता था, जिन किसानों को भाजपा के लोग इन कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कभी कांग्रेस समर्थक, कभी देशद्रोही, कभी दलाल, कभी आतंकवादी कहते थे, यह उन लोगों की हार है और यह न्याय व सच्चाई की जीत है. किसानों के कड़े संघर्ष की जीत है, जिसने एक अहंकारी व जिद्दी सरकार को झुका दिया.

भाजपा को सबक सिखाए जनता

कमलनाथ ने कहा जनता यदि इसी प्रकार भाजपा को चुनावों में भी सबक सिखाती रही तो उसकी इसी प्रकार जीत होती रहेगी. अब मोदी सरकार को इन कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान देश भर में किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस (Government Withdraw All Cases of Farmers) लेना चाहिये.

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