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जनजातीय संग्रहालय में 'उत्तराधिकार' का मंचन, कलाकारों की प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

भोपाल के मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 'उत्तराधिकार' कार्यक्रम का मंचन किया गया. जिसमें दिल्ली से आए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार अजय प्रसन्ना ने बांसुरी वादन कर दर्शकों का मन मोह लिया. वहीं मुंबई की संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी.

कलाकारों ने दी प्रस्तुति
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Published : Apr 15, 2019, 7:57 AM IST

भोपाल| राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में मुक्ताकाश मंच ने एकाग्र श्रृंखला 'उत्तराधिकार' का आयोजन किया. जिसमें गायन, वादन और भरतनाट्यम की प्रस्तुतियां कालाकारों ने दी. दिल्ली से आए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार अजय प्रसन्ना ने अपने साथी कलाकारों के साथ राग यमन में बांसुरी वादन कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.


राग यमन के बाद अजय प्रसन्ना ने साथी कलाकारों के साथ 'याद पिया की आए' प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया. बांसुरी वादन के बाद अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुंबई की संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ भरतनाट्यम नृत्य की शुरुआत वृंदावनी वेणी बाजे पर नृत्य प्रस्तुत कर की. इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय कौशल से कलिका मर्दन और गोवर्धन गिरधारी प्रस्तुत किया. जिसमें श्री कृष्ण के रूप को मंच पर जीवंत किया गया. वृंदावनी वेणी बाजे के बाद कलाकारों ने संत जनाबाई केंद्र प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को भाव से भर दिया.

कलाकार अजय प्रसन्ना ने दी प्रस्तुति


संग्रहालय में जनाबाई जो असल में एक नौकरानी है, उसके कार्य कौशल को कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया. इसके बाद कलाकारों ने वेणाबाई पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत किया. इस प्रस्तुति में रामदास की शिष्य वेणाबाई उन्हीं के सानिध्य में राम भक्ति करती हैं. रामनवमी के दिन राम चंद्र ने स्वयं रमाबाई के रूप में आकर उनकी सहायता की प्रस्तुति के अंत में संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ मुक्ताबाई पर केंद्रित नृत्य पेश करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया.

भोपाल| राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में मुक्ताकाश मंच ने एकाग्र श्रृंखला 'उत्तराधिकार' का आयोजन किया. जिसमें गायन, वादन और भरतनाट्यम की प्रस्तुतियां कालाकारों ने दी. दिल्ली से आए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार अजय प्रसन्ना ने अपने साथी कलाकारों के साथ राग यमन में बांसुरी वादन कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.


राग यमन के बाद अजय प्रसन्ना ने साथी कलाकारों के साथ 'याद पिया की आए' प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया. बांसुरी वादन के बाद अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुंबई की संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ भरतनाट्यम नृत्य की शुरुआत वृंदावनी वेणी बाजे पर नृत्य प्रस्तुत कर की. इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय कौशल से कलिका मर्दन और गोवर्धन गिरधारी प्रस्तुत किया. जिसमें श्री कृष्ण के रूप को मंच पर जीवंत किया गया. वृंदावनी वेणी बाजे के बाद कलाकारों ने संत जनाबाई केंद्र प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को भाव से भर दिया.

कलाकार अजय प्रसन्ना ने दी प्रस्तुति


संग्रहालय में जनाबाई जो असल में एक नौकरानी है, उसके कार्य कौशल को कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया. इसके बाद कलाकारों ने वेणाबाई पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत किया. इस प्रस्तुति में रामदास की शिष्य वेणाबाई उन्हीं के सानिध्य में राम भक्ति करती हैं. रामनवमी के दिन राम चंद्र ने स्वयं रमाबाई के रूप में आकर उनकी सहायता की प्रस्तुति के अंत में संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ मुक्ताबाई पर केंद्रित नृत्य पेश करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया.

Intro:जनजातीय संग्रहालय में वह बांसुरी वादन एवं भरतनाट्यम नृत्य का प्रस्तुतीकरण


भोपाल | राजधानी के श्यामला हिल्स स्थित मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में गायन , वादन एवं नृत्य प्रस्तुतियों पर एकाग्र श्रृंखला ' उत्तराधिकार ' में बांसुरी वादन एवं भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुतियां संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर आयोजित की गई .

कार्यक्रम की शुरुआत में दिल्ली से आए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार अजय प्रसन्ना ने अपने साथी कलाकारों के साथ राग यमन में बांसुरी वादन कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया राग यमन के पश्चात अजय प्रसन्ना ने साथी कलाकारों के साथ याद पिया की आए प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया . बांसुरी वादन के दौरान अजय प्रसन्ना का साथ तबले पर रविंद्र सिंह सोलंकी ने बांसुरी पर अमृत और नीलेश द्विवेदी ने दिया .


Body:बांसुरी वादन के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुंबई की संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ भरतनाट्यम नृत्य की शुरूआत वृंदावनी वेणी वाजे पर नृत्य प्रस्तुत कर की इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय कौशल से कलिका मर्दन और गोवर्धन गिरधारी प्रस्तुत किया जिसमें श्री कृष्ण के रूप को मंच पर जीवंत किया गया . वृंदावनी वेणी बाजे के बाद कलाकारों ने संत जनाबाई केंद्र प्रस्तुति प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को भाव से भर दिया इस प्रस्तुति में जनाबाई जो असल में एक नौकरानी है उसके कार्य कौशल को कलाकारों ने नृत्य माध्यम से दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया जनाबाई एक वृद्ध महिला है और वह घर के कामकाज करने में काफी कुशल है परंतु उनका कहना है कि वह स्वयं कुछ नहीं करती उनकी सहायता तो स्वयं विट्ठल देव करते हैं . इस प्रसंग के बाद कलाकारों ने संत जनाबाई का दूसरा प्रसंग नृत्य माध्यम से प्रस्तुत किया इस प्रसंग में विट्ठल का हार चोरी करने का आरोप जनाबाई पर लगता है और उसे फांसी के लिए ले जाया जाता है लेकिन प्रभु की कृपा से नदी में बाढ़ आ जाती है और जनाबाई के अलावा सभी बह जाते हैं इसके बाद कलाकारों ने वेणाबाई पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत किया इस प्रस्तुति में रामदास जी की शिष्य वेणा बाई उन्हीं के सानिध्य में राम भक्ति करती हैं अतः रामनवमी के दिन राम चंद्र जी ने स्वयं रमाबाई के रूप में आकर उनकी सहायता की प्रस्तुति के अंत में संध्या पूरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ मुक्ताबाई पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया योग सिद्ध मुक्ताबाई आदि माया का अवतार थी ऐसा माना जाता है कि संत निवृत्तीनाथ से संत मुक्ताबाई ने मुक्ति का वैभव और परम ज्ञान प्राप्त किया था नृत्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर संध्या का साथ शांति मोहंती दवे , चित्रा , मंदिरा , पुष्करा , रेशम और मनस्वी आदि ने दिया प्रस्तुति के दौरान प्रकाश परिकल्पना में कमल जैन और भावना शाह ने सहयोग दिया इस नेत्र का निर्देशन संध्या पूरेचा के द्वारा किया गया .


Conclusion:आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए विश्व प्रसिद्ध कलाकार अजय प्रसन्ना लंबे समय से गायन और वादन के क्षेत्र में सक्रिय हैं अजय प्रसन्ना ने बांसुरी वादन की कई प्रस्तुतियां देश के विभिन्न कला मंच पर दी है वही संध्या को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के साथ ही कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया है संध्या ने देश के विभिन्न कला मंच पर भरतनाट्यम की कई मनमोहक प्रस्तुति आती है वे कई हजार छात्रों को भरतनाट्यम की विधा सिखा भी रही है .
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