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राजधानी में सजने लगे पंडाल, आने वाले है बप्पा, लोग मिट्टी की प्रतिमाएं खरीदने में दिखा रहे रुचि - नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

गणेश उत्सव पर पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है, जिसके चलते लोग भी मिट्टी की प्रतिमाएं खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. जबकि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर रोक लगा दी है.

मिट्टी की प्रतिमाएं खरीदने में लोग दिखा रहे रुचि
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Published : Aug 30, 2019, 11:20 PM IST

भोपाल। प्रदेश में गणेश उत्सव की तैयारियां जोरो पर हैं. राजधानी भोपाल में भी गणपति बप्पा को घर लाने के लिए लोग जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं. वहीं पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है. जबकि प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर रोक लगा दी है.

मिट्टी की प्रतिमाएं खरीदने में लोग दिखा रहे रुचि

मूर्तिकारों ने मिट्टी की मूर्ति को लेकर लोगों की बढ़ती रुचि को ध्यान में रखते हुए पीओपी की मूर्तियां बनाना बंद कर दिया है. वहीं पर्यावरणविद लोगों से अपील कर रहे हैं कि घरों में मिट्टी के गणेशजी ही लेकर आए जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे. कोलकाता के रहने वाले निखिल चंद्रपॉल करीब 30 सालों से भोपाल में मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. मूर्तियों के लिए वे कोलकाता से कारीगरों को बुलाते हैं वे बताते हैं कि अब लोगों में मिट्टी की मूर्तियों को लेकर जागरुकता आई है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद प्रशासन ने भी सक्ती बढ़ाई है. प्रशासन की टीमें लगातार मूर्तिकारों के पास पहुंच रही हैं और पीओपी की मूर्तियां मिल जाने पर उन्हें जब्त किया जा रहा है.

भोपाल। प्रदेश में गणेश उत्सव की तैयारियां जोरो पर हैं. राजधानी भोपाल में भी गणपति बप्पा को घर लाने के लिए लोग जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं. वहीं पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है. जबकि प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर रोक लगा दी है.

मिट्टी की प्रतिमाएं खरीदने में लोग दिखा रहे रुचि

मूर्तिकारों ने मिट्टी की मूर्ति को लेकर लोगों की बढ़ती रुचि को ध्यान में रखते हुए पीओपी की मूर्तियां बनाना बंद कर दिया है. वहीं पर्यावरणविद लोगों से अपील कर रहे हैं कि घरों में मिट्टी के गणेशजी ही लेकर आए जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे. कोलकाता के रहने वाले निखिल चंद्रपॉल करीब 30 सालों से भोपाल में मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. मूर्तियों के लिए वे कोलकाता से कारीगरों को बुलाते हैं वे बताते हैं कि अब लोगों में मिट्टी की मूर्तियों को लेकर जागरुकता आई है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद प्रशासन ने भी सक्ती बढ़ाई है. प्रशासन की टीमें लगातार मूर्तिकारों के पास पहुंच रही हैं और पीओपी की मूर्तियां मिल जाने पर उन्हें जब्त किया जा रहा है.

Intro:भोपाल। गणेश उत्सव पर भगवान श्री गणेश को घर लाने लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। मिट्टी के गणेश को लेकर विभिन्न स्तर पर चल रही मुहिम रंग दिखाने लगी है। राजधानी में मूर्तिकारों ने पीओपी की मूर्तियों से तौबा कर लिया है राजधानी में सालों से मूर्ति बनाने का काम करने वालों के मुताबिक लोगों ने भी पीओपी की मूर्तियां खरीदने से इंकार कर दिया है गणेश उत्सव और दुर्गा उत्सव के लिए लोगों ने मिट्टी की मूर्तियों की ही बुकिंग कराई है। उधर पर्यावरणविद लोगों से अपील कर रहे हैं कि घर मिट्टी के गणेश ही लेकर आए इससे गणपति की कृपा तो मिलेगी ही पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।


Body:मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले निखिल चंद्रपॉल करीब 30 सालों से भोपाल में मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं मूर्तियों के लिए वे कोलकाता से कारीगरों को बुलाते हैं वे बताते हैं कि अब लोगों में मिट्टी की मूर्तियों को लेकर जागरूकता आई है लोगों की डिमांड मिट्टी की मूर्तियों के लिए ही आई है इस साल उनके पास गणेश उत्सव के लिए करीब डेढ़ सौ मूर्तियों के ऑर्डर मिले थे और सभी ने मिट्टी के गणेश के लिए ही बुकिंग कराई है। उधर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद प्रशासन ने भी सकती पढ़ाई है प्रशासन की टीमें लगातार मूर्ति कारों के पास पहुंच रही है और जिन भी मूर्ति कारों के पास पीओपी की मूर्तियां मिल रही है उन्हें जप्त किया जा रहा है। उधर पर्यावरणविद भी लोगों को सलाह दे रहे हैं कि घर मिट्टी के गणेश जी लेकर आए। पर्यावरणविद् राजेश रायकवार के मुताबिक पीओपी की मूर्तियां बनाना आसान जरूर होता है यह अपेक्षाकृत जल्दी भी बन जाती है लेकिन इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। मूर्तियों के विसर्जन के बाद यह पानी में घुलती नहीं है जिससे कहीं ना कहीं हमारी धार्मिक आस्थाओं को भी चोट पहुंचती है और इससे पानी भी प्रदूषित होता है। जबकि मिट्टी की मूर्तियां आसानी से पानी में घुल जाती है और बाद में इस मिट्टी का बागवानी जैसे दूसरे कामों में उपयोग किया जा सकता है।


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