भोपाल। कोरोना महामारी में दुनिया भर में चारों तरफ तबाही मचा रखी है. कोरोना से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश भर पिछले 4 से 5 महीनों में अदालती प्रक्रिया पर भी ब्रेक लगा हुआ है. मध्य प्रदेश में भी हाइकोर्ट के निर्देश के बाद सभी जिला अदालतों में सिर्फ जमानत पर ही सुनवाई हुई. इस दौरान सिविल, क्रिमिनल और फैमिली कोर्ट के फाइल हुए हजारों मामले पेंडिंग पड़े रहे.
बात भोपाल जिला अदालत की करें तो कोरोना के कारण 35 सौ के करीब क्रिमिलन और सिविल ऑफेंस के मामले, वहीं फैमिली कोर्ट में 500 सौ के करीब मामले पेंडिंग हैं. हालांकि अब हाई कोर्ट के निर्देश के बाद गंभीर क्रिमिनल ऑफेंस और जरूरी सिविल मामलों में सुनवाई की जा रही है, जिससे अटके मामलों की लिस्ट कम होने की उम्मीद है.
कोरोना काल में कैसे चला कोर्ट
सुनवाई के लिए वकीलों को ऑनलाइन ही अपॉइंटमेंट दिया जा रहा था. इसके अलावा सभी वकीलों के कोर्ट आने पर भी प्रतिबंध लगाया गया था. केवल सुनवाई में शामिल होने वाले वकीलों को ही कोर्ट में शर्तों के साथ प्रवेश दिया जा रहा था. इस दौरान सिविल क्रिमिनल और फैमिली कोर्ट के हजारों मामलों में कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी.
कोर्ट में फाइल हुए मामले
29 जून 2020 से अब तक भोपाल जिला अदालत में सिविल ऑफेंस के करीब 1080 सिविल मामले वहीं क्रिमिलन ऑफेंस के 2370 मामले रजिस्टर्ट हुए हैं. जबकि पारिवारिक विवादों की बात करें तो 1 जुलाई से लेकर अब तक भोपाल की फैमिली कोर्ट में करीब 480 मामले दर्ज हुई हैं.
पॉक्सो और बलात्कार के मामलों में शुरू हुई गवाही
अभी तक कोरोना के चलते केवल जमानत पर ही सुनवाई की जा रही थी, लॉकडाउन के चलते अन्य मामलों पर बयान और गवाही की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी. लेकिन अब अनलॉक के बाद हाईकोर्ट के आदेशों पर पॉक्सो, बलात्कार जैसे संगीन अपराधों के अलावा जरूरी सिविल मामलों पर भी गवाही शुरू कर दी गई है.
7 हजार वकील की जीविका पर संकट
भोपाल जिला अदालत में कुल रजिस्टर्ड वकीलों की संख्या 7 हज़ार 354 है. लॉकडाउन के कराण अदालतों में कामकाज लगभग बंद होने के कारण वकीलों के सामने भी संकट खड़ा हो गया था. लेकिन अब अदालत में कुछ हद तक काम शुरू होने के साथ ही वकीलों की चिंता कम हुई है. वकीलों की मानें तो अदालतों का काम पूरी तरीके से शुरू होने में दिसंबर तक का वक्त लग सकता है, इसलिए अभी संकट के बाद पूरी तरह हटे नहीं.
अब तक मिले 5 कोरोना पॉजिटिव
अदालत के मेन गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है और हाथों को सैनिटाइज करने के बाद ही अदालत के अंदर प्रवेश दिया जा रहा है. भोपाल जिला अदालत में अब तक 5 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, यही वजह है कि अनावश्यक किसी को भी अदालत में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. अदालत परिसर में कुल 5 गेट हैं लेकिन चार गेट पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं.