भोपाल। 26 जनवरी का दिन देश में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था. देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान भारत माता के लिए कुर्बान कर दी थी. उन्हीं की याद में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शौर्य स्मारक बनाया गया है. जो तीनों थल, वायु और जल सेना के वीर सपूतों की वीर गाथा बताता है.
शोर्य स्मारक करीब 13 एकड़ जमीन में फैले इस स्मारक में अंग्रेजों की लड़ाई के साथ उन शहीद जवानों का भी जिक्र है. जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान दे दी. संग्रहालय में भारतीय सेना के शहीद जवानों की देशभक्ति और शौर्य को तस्वीरें के जरिए दर्शाया गया है. भारतीय सेना की तीनों सेना सशस्त्र बलों के हवाई जहाजों, पानी के जहाजों, टैंको को छोटे रूप में यहां रखा गया है. संग्रहालय में देश के शहीद जवानों को गरिमामय रूप से श्रद्धांजलि अर्पित की है.
जांबाजों की कहानी बयां करती पेंटिंग्स
कारगिल विजय की वीर गाथा के साथ ही खून जमा देने वाली सियाचिन की सर्दी में जवान कैसे अपनी जान हथेली पर रखकर चौकन्ने रहते हैं. उसे भी दर्शाया गया है. संग्रहालय में परमवीर चक्र और महावीर चक्र से विभूषित सेना और शहीदों की पेंटिंग और पुरस्कृत वीर के चित्र कि उनकी जांबाजी की कहानी कहते हैं. इसके अलावा रामायण, भीमबैठका, महाभारत और चंद्रगुप्त जैसे सैन्य विजयों के रूप में परंपरा की पेंटिंग भी परदर्शित की गई है.
शक्ति व साहस की बुनियाद पर निर्मित स्मारक
वहीं 62 फीट ऊंचा शौर्य स्तंभ अंदरूनी शक्ति एवं साहस की बुनियाद पर निर्मित हैं. जिसमें थल सेना को काले ग्रेनाइट, नौसेना को जल स्त्रोत एवं वायु सेना को श्वेत ग्रेनाइट के रूप में दर्शाया गया है. शौर्य स्तंभ के आसपास का वातावरण शहीदों के बलिदान को दर्शाता है. शौर्य स्तंभ के पास एमपी के शहीदों के बारे में बताया गया है. उद्यान में लाल स्कल्प चर लगाया है जो एक ओर से रक्त की बूंद और दूसरी ओर से बंधन करते दिखाई देता है.
रोज दिखाई जाता है सेना से जुड़ी फिल्में
शौर्य स्मारक में रोज सेना से जुड़ी हुई फिल्म भी दिखाई जाती हैं. सेना की बहादुरी को देखने के लिए रोज हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. अब तक 2016 के बाद से यहां 18 लाख 50 हजार लोग पहुंच चुके हैं. वीकंड पर शौर्य स्मारक पर पर्यटकों की संख्या 3 गुना बढ़ जाती है.